अराजकता फैलाओ और चुनाव जीतो- AAP की सफलता का नया मॉडल

केजरीवाल सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं!

Arvind Kejriwal

Source- TFI

सत्ता में अगर लोभ की पराकाष्ठा देखनी है तो अरविंद केजरीवाल को देखिए। केजरीवाल आप के सर्वोच्च नेता हैं, परंतु सत्ता प्राप्ति के लिए वो किसी भी निचले स्तर तक जा सकते हैं। पंजाब में खालिस्तानियों के साथ आप का गंठजोड़ तो पूरे देश ने देख लिया और अब यह पार्टी यही मॉडल अन्य चुनावी राज्यों में भी अपनाने की कोशिशों में लगी हुई है। गुजरात में बीटीपी के साथ हुआ आप का गंठजोड़ इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। दरअसल, अरविंद केजरीवाल परिवर्तन वाली राजनीति के साथ आम आदमी पार्टी को लेकर आए थे पर यह परिवर्तन कुछ ऐसा होने वाला था इसका अंदेशा तो किसी को नहीं था। गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जिस तरह भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ गठबंधन करने का मन बनाया है उससे यह सिद्ध हो रहा है कि आम आदमी पार्टी और विशेषकर केजरीवाल की राजनीति केवल फूट डालो राज करो वाले सिद्धांत पर आधारित है।

ध्यान देने वाली बात है कि आम आदमी पार्टी ने बीते मंगलवार को घोषणा करते हुए कहा था कि वह भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के साथ गठबंधन में गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ेगी। AAP कार्यालय में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आप के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया और भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दडियापाड़ा के विधायक महेश भाई वसावा ने कहा कि भाजपा सरकार तीन दशक से सत्ता में है और पानी, जंगल, जमीन और आदिवासी मुद्दे राज्य के सामने हैं, लेकिन इस बारे में उसने कुछ नहीं किया। पार्टी के दोनों नेताओं ने कहा कि बीटीपी और आप गुजरात के लोगों के उत्थान के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। इटालिया ने कहा कि आदिवासी नेता छोटूभाई वसावा लंबे समय से गरीबों, मजदूरों, आदिवासियों और वंचित समाज के लिए लड़ रहे हैं।

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हिंदुओं के आराध्य को काल्पनिक बताने वाला नक्सली है वसावा

बस यही पर AAP फंस गई। जिस छोटूभाई वसावा का उल्लेख यहां किया गया, वो अभी तक देश, धर्म, राज्य को गाली देने के अतिरिक्त कुछ कर नहीं पाए हैं। इनकी एकमात्र उपलब्धि यही है कि जाति के नाम पर भारत विरोध! इनके मुताबिक देश में दो ही वर्ग ऐसे हैं जिनका शोषण होता आया है और हो रहा है, वो हैं आदिवासी और मुस्लिम। वसावा स्वयं को उन्हीं वर्गों की लड़ाई लड़ने वाले नेताओं में से एक मानते हैं। इसके लिए वो अपने आप को नक्सलवादी तो कहते ही हैं और साथ ही हिन्दू और हिन्दू धर्म के अनुयायियों के आराध्यों को काल्पनिक बताते हैं।

ऐसे में इस व्यक्ति और पार्टी के साथ गंठजोड़ आम आदमी पार्टी की उस अराजकता और अराजक राजनीति की भूख को दर्शाता है जहां किसी का ध्यान नहीं जाता है। पंजाब में, आम आदमी पार्टी ने बेशर्मी से खालिस्तानी तत्वों को शह दी। पंजाब में कट्टरपंथी तत्वों को लुभाने का यह अभियान 2017 से चल रहा था, जब केजरीवाल खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह के घर पर नींद लेकर आए थे। 2017 में फिर से, प्रतिबंधित इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन के मुख्य संचालक गुरदयाल सिंह ने AAP विधायक जयकिशन सिंह रोडी के लिए प्रचार किया। अब जब पंजाब में पूर्ण बहुमत आने के बाद “आप” की सरकार है तो खालिस्तानी तत्वों के हौसलों को पंख मिल गए हैं और हाल ही में पटियाला में हुई हिंसा इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। यह था आम आदमी पार्टी का पंजाब वाला अराजकता फैलाओ, चुनाव जीतो मॉडल!

रामायण पर सवाल उठा चुका है वसावा

अब आते हैं मुंगेरीलाल केजरीवाल के हसीन सपनों पर, जो गुजरात में एक ऐसी पार्टी के साथ गठबंधन करना चाह रहे हैं जिसका नेता स्वयंभू नक्सली है। आप छोटू वसावा के नेतृत्व वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के साथ गठबंधन की  बात कर रही है। 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में 27 सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। छोटू वसावा एक चटक+चमन बुद्धि वाला आदमी है। वसावा का दावा है कि भाजपा आदिवासियों और ‘आदिवासियों’ के अधिकारों की हिमायत करने वाले को ‘नक्सल’ कहती है। इसलिए वे वसावा को नक्सली के रूप में संदर्भित करते हैं।

वास्तव में, वसावा उन नेताओं में से है जो भारत विरोध और हिन्दू विरोध को पोसने में माहिर रहे हैं। कभी राम तो कभी रामायण के अस्तित्व तो कभी राम जन्मस्थली पर कटाक्ष और आपत्तिजनक टिप्पणी वसावा के स्वाभाव का एक अभिन्न भाग रहा है। यह सब इसलिए क्योंकि वसावा के अनुसार आदिवासी लोककथाओं, पुस्तकों और पांडुलिपियों में भगवान राम का उल्लेख नहीं है। छोटू वसावा में हिंदुओं एवं “गोमूत्र” का मजाक उड़ाने की भी आदत है। इससे भी बुरी बात यह है कि छोटू वसावा का मानना ​​है कि भारत कश्मीर पर कब्जा कर रहा है। और इसके साथ आप का गंठजोड़ इस पार्टी की विकृत विचारधारा को प्रतिबिंबित करता है।

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सत्ता के लिए कुछ भी करेंगे केजरीवाल

आम आदमी पार्टी के फ्री-पुरुष केजरीवाल का मॉडल उनके नेतृत्व में फ्री की राजनीति, संसाधनों की मुफ्त में बंदरबांट कर उन्हें स्थापित व्यवस्था के खिलाफ मोड़ने के इर्द-गिर्द घूमता है। अपने राजनीतिक और चुनावी उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, आम आदमी पार्टी कट्टरता को अपनाने से भी नहीं चूकती है। गुजरात में, बीटीपी के साथ उसका गठबंधन पंजाब मॉडल की पुनरावृत्ति ही है। आम आदमी पार्टी का वसावा जैसे नेताओं के साथ जाना कथित हनुमान भक्त केजरीवाल का उस विचारधारा को अपनाना होगा, जो वसावा जैसे नेताओं का मूल मंत्र रहा है, अर्थात् राम विरोध-हनुमान विरोध। बात का सार यही है कि सत्ता की आपक में आम आदमी पार्टी अराजकता को अपना माई-बाप मान चुकी है और अराजकता फैलाओ, चुनाव जीतो- आप की सफलता का यह नया मॉडल अब कई राज्यों में ऐसे प्रसारित और प्रवाहित होने के लिए तैयार है।

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