काशी विश्वनाथ और श्रीकृष्ण जन्मभूमि का अब जल्द होगा ‘शुद्धिकरण’

बाबा ने सुनी भक्तों की प्रार्थना !

kaashi mathura

Source- TFI

भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्षता को जगह दी गई है और समय दर समय हमें इस बात को याद भी दिलाया जाता रहा है कि भारत में हर धर्म का सम्मान होता है और हर एक धर्म समान है लेकिन क्या यही पूरा सत्य है। जब हिंदुओं के साथ भेदभाव होता है, जब कट्टरपंथी समय समय पर विधवा विलापकर अपनी अनुचित बात मनवाने पर तुल जाते हैं और जब मंदिरों को तोड़कर उसका अस्तित्व मिटा देने जैसे कृत्य प्रकाश में आते हैं तब दिमाग झंझना जाता है और मन में प्रश्न उठते हैं कि ये कैसी धार्मिक समानता है, ये कैसी धर्मनिर्पेक्षता है।

उदारहरण राम मंदिर का हो या फिर काशी विश्वनाथ या फिर मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि का हो। दुनिया देख रही है कि कैसे राम मंदिर के ऊपर जबरन बाबरी खड़ी की थी, कैसे काशी विश्वनाथ के अस्तित्व पर ज्ञानवापी मस्जिद अपना वर्चस्व स्थापित किए खड़ी है और कैसे कृष्ण जन्मभूमि का अधिकार छीनकर खड़ी है शाही ईदगाह मस्जिद। लेकिन अब हिन्दुओं के उत्थान का समय आ गया है। राम मंदिर के निर्माण वाले माननीय उच्चतम न्यायलय के निर्णय के समय से ही जो हिदुत्व की लहर ने तेज रफ्तार पकड़ी है अब वो लहर रुकने वाली नहीं है, क्योकि हिन्दू किसी भी प्रकार के समझौते के मूड मे नहीं है।

राम मंदिर का बनना एक प्रमाण तो है ही लेकिन हिंदुओं के वास्तविक उत्थान की एक ऐसे लहर चल पड़ी है इसके दो और प्रमाण प्रत्यक्ष दिखायी पड़ रहे हैं। पहला तो ज्ञानवापी मस्जिद और दूसरा मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि। इन दोनों विवादित ढाचें की वास्तविकता को दुनिया के सामने लाने के लिए न्यायालयों ने जो सख्ती दिखानी शुरू की है वो अब किसी से छिपा नहीं है।

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काशी विश्वनाथ मंदिर

पहले तो ज्ञानवापी या यूं कहें कि हमारे काशी विश्वनाथ की ही बात कर कर लेते हैं। ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के मामले में वाराणसी कोर्ट ने गुरुवार को अपना निर्णय सुनाते हुए परिसर के तहखाने तक वीडियोग्राफी के साथ ही साथ सर्वे कराने से जुड़े आवेदनों को स्वीकार किया और आदेश दिया कि जैसे भी हो, ताला खोलकर या फिर तोड़ कर पूरे परिसर के सर्वे का काम पूरा किया जाए। आदेश में कहा गया है कि किसी भी प्रकार की बाधा डाले जाने पर सख्त विधिक कार्यवाही की जाए। सर्वे की कार्यवाही सुबह 8 बजे से 12 बजे तक अब हर दिन होगी। अगली सुनवाई के लिए 17 मई का दिन तय कर लिया गया है।

इससे पहले हुआ ये कि कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी जब वाराणसी ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी सर्वे को लेकर ज्ञानवापी परिसर पहुंची तो कमेटी को रोक दिया गया। कई घंटों की प्रतीक्षा के बाद भी सर्वे टीम को बिना सर्वे किए ही खाली हाथ लौट जाना पड़ा था। वो तो भला हो हमारी न्यायपालिका का जिसने अपने रुख को स्पष्ट करके सबके समक्ष रखा। नहीं तो हिंदू मंदिर होने की गवाही देते ज्ञानवापी मस्जिद के मामले को ठंडे बस्ते में डालने की पूरी व्यवस्था थी। कट्टरपंथियों की फोटेग्राफी और वीडियोग्राफी करने के आदेश से ही सुलग गयी थी जरा सोचिए उस दिन का दृश्य कैसा होगा जब दुनिया के सामने काशी विश्वनाथ मंदिर की भव्यता सामने आएगी। जहां के दीवार, जहां की संरचानाएं साक्ष्य हैं काशी विश्वनाथ मंदिर के होने का।

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श्री कृष्ण जन्मभूमि

अब दूसरे प्रमाण के बारे में बात करते हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा वाले श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद को लेकर भी सख्त निर्देश दिए हैं। भगवान श्री कृष्ण विराजमान के वाद हैं मित्र मनीष यादव जिसकी याचिका की सुनवाई के दौरान मथुरा कोर्ट को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से निर्देशित किया गया कि अधिकतम 4 महीने में सभी अर्जियों को निपटा लें। याचिकाकर्ता ने मांग रखी थी कि जल्द ही इस मामले को निपटाने के लिए हर दिन सुनवाई की जाए।

इस बात पर गौर करना होगा कि लखनऊ की रहने वाली रंजना अग्निहोत्री की तरफ से वाद दायर कर श्री कृष्ण जन्मभूमि की भूमि के स्वामित्व की मांग की गयी जो कि 13.37 एकड़ है। इसमें ये भी मांग की गयी है कि जो शाही ईदगाह मस्जिद श्री कृष्ण जन्मभूमि में बनी है उसको भी हटा दिया जाए।

ये केवल तीन प्रमाण नहीं है बल्कि सनातनियों की इस भारत भूमि पर कैसे मुगलों ने कोहराम किया और कैसे मंदिरों पर कब्जा करके मस्जिदों का निर्माण किया और अधिक मंदिरों को नष्ट किया इसके अनेकों प्रमाण मिल सकते हैं। वो तो धन्य हों ये न्यायालय जिनकी इन कार्यवाहियों, त्वरित निर्णयों और सख्त निर्देशों के कारण और अपनी सनातन संस्कृति और अपने भव्य इतिहास से अथाह प्रेम रखने, अपनी वास्तविकता को पा लेने का प्रयास करने वालें लोगों के कारण ऐसे मामले लोगों के ध्यान में तो आ रहे हैं। ऐसा लगता है कि निश्चित ही वो दिन दूर नहीं जब अनेकों अनेक मंदिर अपना खोया हुआ अस्तित्व दोबारा पा सकेंगी बल्कि वो दिन दूर नहीं जब देश का हर हिंदू स्वयं का पुनरुत्थान कर सकेगा।

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