पतन के दौर से गुजर रही देश की सबसे पुरानी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नाम में भारतीय और राष्ट्रीय शब्द शोभा नहीं देता, क्योंकि कथित तौर पर कांग्रेस को न तो भारतीयता से मतलब है न ही देश की एकता, सुचिता, संप्रभुता और संस्कृति में उसे विश्वास है! सनातन संस्कृति से तो उसे इतनी ज्यादा नफरत है कि इस गई गुजरी पार्टी के नेता अपने तुष्टीकरण के चक्कर में आये दिन हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलते दिख जाते हैं। और अगर कोई सनातनी जनता के सामने इनकी पोल पट्टी खोलता है तो ये छटपटाने लगते हैं। कांग्रेस के कुत्सित कृत्यों का कुछ ऐसा ही नजारा एक बार फिर से देखने को मिला, लेकिन इस बार उनका पाला पड़ गया बाबा जी की पुलिस से और फिर जो हुआ वो देखने लायक था।
जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार का हाल भी कुछ ऐसा ही है, वो करने वाले काम नहीं करेंगे पर नहीं करने वाले काम सबसे पहले करेंगे। उनसे राज्य की कानून व्यवस्थ संभल नहीं पा रही, अपनी पार्टी के नेताओं और उनके चश्मोचिराग़ों पर नकेल कसी नहीं जा रही और राष्ट्रवादियों पर कार्रवाई करेंगे, वो भी ऐसी कार्रवाई जो न्यायोचित नहीं है। राजस्थान पुलिस की एक टीम टीवी पत्रकार अमन चोपड़ा को गिरफ्तार करने के लिए नोएडा आई, लेकिन सफलता नहीं मिली क्योंकि उनके घर में ताला लगा मिला। ध्यान देने वाली बात है कि यह सब तब हुआ जब राजस्थान उच्च न्यायालय ने शनिवार को बूंदी और अलवर जिलों में उनके खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकी में चोपड़ा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। हालांकि, अदालत ने डूंगरपुर जिले में दर्ज तीसरी प्राथमिकी में उनकी गिरफ्तारी पर रोक नहीं लगाई, जिसमें एक स्थानीय अदालत ने पत्रकार के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
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जानें क्या है मामला?
दरअसल, अमन चोपड़ा के खिलाफ पिछले महीने तीन प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जब उन्होंने राजस्थान के अलवर में एक मंदिर के विध्वंस के बाद टीवी शो की एंकरिंग करते हुए यह सवाल कर दिया था कि राजस्थान के अलवर में जिस तरह से मंदिरों पर बुलडोजर चलाया गया और प्रतिमाएं फेंक दी गई, क्या यह जहांगीरपुरी में हुई अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई के बदले में की गई कार्रवाई थी? बस फिर क्या था, राजस्थान की कांग्रेस सरकार बिलबिला गई और पहली प्राथमिकी 23 अप्रैल को डूंगरपुर के बिछवाड़ा में, दूसरी उसी दिन बूंदी में और तीसरी 24 अप्रैल को अलवर में दर्ज की गई थी। राजस्थान पुलिस ने कहा कि उनकी टीम शनिवार को नोएडा में अमन चोपड़ा के घर गई थी लेकिन वह वहां नहीं थे। यह दूसरी बार था जब हमारी टीम चोपड़ा को गिरफ्तार करने गई थी। डूंगरपुर के एसपी सुधीर जोशी ने शनिवार को कहा, “हमारे अतिरिक्त एसपी ने उन्हें चोपड़ा के खिलाफ मामले की जानकारी पहले ही दे दी थी, जो डूंगरपुर अदालत से गिरफ्तारी वारंट का सामना कर रहे हैं।”
राजस्थान पुलिस को थाने ले गई यूपी पुलिस
आपको बता दें कि चोपड़ा के खिलाफ आईपीसी की धारा 124-ए (देशद्रोह), 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से काम करना), 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत कांग्रेस शासित राजस्थान में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। डूंगरपुर कोतवाली थाना के एसएचओ मामले की जांच कर रहे हैं। और तो और यह सब कार्रवाई तब हो रही हैं जब राजस्थान उच्च-न्यायालय ने ‘न्यूज़ 18’ के एडिटर अमन चोपड़ा के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से पुलिस को रोक रखा है।
इसके बावजूद सत्ता के मद में चूर अशोक गहलोत सरकार मैडम सोनिया के इशारों में निर्णय और बदले की भावना से काम करने में लगी हुई है। खबरों की मानें तो राजस्थान पुलिस ने अमन चोपड़ा के अपार्टमेंट के दरवाजे पर गिरफ्तारी वारंट चिपकाया है। बताया जा रहा है कि राजस्थान पुलिस अमन चोपड़ा के अपार्टमेंट में भी घुस गई थी, जिसके बाद जमकर बवाल देखने को मिला। राजस्थान पुलिस की नीयत को देखते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस, राजस्थान पुलिस को अपने साथ थाने ले गई ताकि हाल ही में हुई भाजपा नेता बग्गा की गिरफ्तारी जैसे हालात पैदा न हों। हालांकि, बिसरख (नोएडा) के एसएचओ उमेश बहादुर सिंह ने कहा, “उचित प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। टीम आई और हमने उन्हें दौरा करने और बाद में जांच करने दिया। घर पर नोटिस भी दिया गया था। हमने पूरी प्रक्रिया को सुगम बनाया।”
लेकिन गहलोत सरकार के हालिया कदम से यह प्रतीत होता है कि राजस्थान सरकार अहंकार के मद में कानून और न्यायलय को कुछ भी नहीं समझ रही है। उसका मूल सिद्धांत ही यह है कि जो कांग्रेस आलाकमान या रही बची 2 कांग्रेस शासित राज्यों में सरकारों के विरुद्ध कुछ कहेगा उसको जेल में डाल देंगे। राजस्थान पुलिस की इस करतूत का लोग विरोध कर रहे हैं।
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