जानें क्या था उत्तराखंड-यूपी भूमि विवाद और कैसे भाजपा ने इसे सुलझा लिया ?

21 साल पुराना विवाद हुआ समाप्त!

अलकनंदा होटल

Source- TFI POST

नियत काम करने की और सोच राम की हो तो बिगड़े काम भी बन जाते हैं, नजरिया और नियत ही जीवन का बड़ा सार है। भाजपा सरकार इसका उदाहरण है कि सकारात्मक निर्णय लेने में समय अधिक लगता है पर उसके परिणाम वर्षों तक फल देते हैं। अब जब बात दो पडोसी राज्यों की हो तो उत्तर प्रदेश से विभाजित हुए उत्तराखंड दोनों की हो तो हालिया घटनाक्रम इस पूरी बात को प्रमाणित भी करते हैं। दो दशकों से लंबित पड़े अलकनंदा होटल संपत्ति बंटवारे को एक वार्ता में सुलझाना कोई ऐसी ट्रिपल इंजन की सरकार से सीख सकता है। इस पूरे निस्तारण का श्रेय केंद्र की मोदी सरकार, यूपी और उत्तराखंड की दोनों राज्य के योगी और धामी सरकार को जाता है। जिस कारण इसे ट्रिपल इंजन की सरकार की उपलब्धि करार कर दिया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच संपत्ति के बंटवारे के 21 साल पुराने मुद्दों को बातचीत के साथ सुलझा लिया गया है और कहा कि यह देश में दो राज्यों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए एक उदाहरण स्थापित करता है। योगी आदित्यनाथ ने हरिद्वार में अलकनंदा होटल की चाबियां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपते हुए दो राज्यों के बीच होटल को लेकर 21 साल पुराने विवाद को समाप्त करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने हरिद्वार में ₹41 करोड़ की लागत से यूपी सरकार द्वारा निर्मित भागीरथी गेस्ट हाउस का भी उद्घाटन किया।

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दोनों राज्यों के संबंधो को मिली मजबूती 

उत्तराखंड़ के अपने आधिकारिक दौरे पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, “गंगा का जन्म तभी होता है जब भागीरथी और अलकनंदा एक साथ आते हैं।” यूपी और उत्तराखंड भले ही दो राज्य हों, लेकिन दोनों राज्यों के लोगों की भावनाएं एक जैसी हैं। हमने इसे नौकरशाही पर नहीं छोड़ते हुए राजनीतिक रूप से बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाया। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव एक भारत, श्रेष्ठ भारत (एक भारत, महान भारत) के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण से प्रेरित था। अलकनंदा होटल उत्तर प्रदेश पर्यटन निगम द्वारा हरिद्वार में उत्तराखंड सरकार द्वारा आवंटित भूमि पर बनाया गया था। जब मैं 2017 में यूपी का मुख्यमंत्री बना, तो एक हफ्ते बाद सुप्रीम कोर्ट ने अलकनंदा होटल को उत्तराखंड को सौंपने के संबंध में दोनों राज्यों के बीच संपत्ति विवाद को हल करने में देरी पर नाराजगी व्यक्त की। मैंने इसे प्राथमिकता के आधार पर लिया ताकि इस तरह के अंतरराज्यीय विवादों को अदालतों में सालों तक घसीटा न जाए बल्कि बातचीत से सुलझाया जाए। मैं विश्वास दिलाता हूं कि उत्तराखंड के लोग दोनों पक्षों को संतुष्ट करेंगे क्योंकि इससे संबंधित सभी विवादों को एक समान तरीके से सुलझाया जाएगा।”

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने विवाद को सुलझाने की इच्छा के लिए योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया, यह रेखांकित करते हुए कि दोनों राज्यों में बहुत कुछ समान है और इससे दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच संबंधों को और बढ़ावा मिलेगा।

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आपसी सामंजस से समाधान निकला

बता दें यह मामला आज का नहीं है, नवंबर 2000 में जब उत्तराखंड को यूपी से अलग किया गया था। यूपी सरकार ने हरिद्वार बस स्टेशन के पास एक होटल उत्तराखंड को सौंप दिया था, लेकिन अलकनंदा होटल भी देने को तैयार नहीं थी। अलकनंदा होटल, जो हर की पौड़ी के पास गंगा नहर के किनारे स्थित है, 1964 में यूपी पर्यटन निगम द्वारा बनाया गया था। अलग राज्य बनने के बावजूद उत्तराखंड में 4,000, आवासीय भवनों, 357 गैर-आवासीय भवनों और 13,813 हेक्टेयर भूमि पर यूपी सिंचाई विभाग का नियंत्रण जारी है। पुष्कर सिंह धामी ने आखिरी बार 18 नवंबर, 2021 को लखनऊ में योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और दोनों नेताओं ने आपसी विवाद को खत्म करने का फैसला किया था। दोनों राज्यों के बीच लंबित मुद्दों में उत्तराखंड में यूपी की संपत्तियों का हस्तांतरण भी शामिल है।

यह सर्वविदित है कि सरकारें वही होती हैं, अधिकार भी वही होते हैं और तंत्र भी वही होते हैं, क्या समान नहीं होता है वो है ‘नियत’। इन सभी निर्णयों में सबसे बड़ा हाथ योगी आदित्यनाथ और पुष्कर सिंह धामी की अपने-अपने संबंधित राज्यों की जनता के प्रति उनकी जवाबदेही और कर्तव्यनिष्ठा का है परिणामस्वरूप 21 सालों से अधर में लटके इस 5 मिनट के समाधान को लटकाए रखा। निश्चित रूप से यह हस्तांतरण पडोसी राज्यों के लिए मिसाल बनने जा रहा है जिस प्रकार बुलडोज़र मॉडल बना है।

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