उत्तर-प्रदेश राज्यसभा चुनाव में खंड-खंड हो जाएगा अखिलेश यादव का गठबंधन?

3 ही सीटें हैं, अखिलेश यादव किसे-किसे संतुष्ट करेंगे ?

Akhilesh and jayant

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उत्तर-प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान अखिलेश यादव किसी तरह से अपना गठबंधन बचाने में कामयाब रहे. उसके पीछे बड़ी वजह ये भी थी कि गठबंधन में शामिल पार्टियों को लग रहा था कि वो चुनाव जीतने जा रही हैं. सत्ता का लालच सभी को एकसाथ रखे था. लेकिन जनता ने अखिलेश यादव और उनके गठबंधन को धूल चटा दी.

अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल पार्टी, ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी समेत दूसरी कई छोटी-छोटी पार्टियां मिलकर भी योगी आदित्यनाथ को सत्ता से बेदखल नहीं कर पाईं. पार्टी के आधार पर वोट शेयर देखें तो बीजेपी को 41.3 फीसदी वोट तो वहीं समाजवादी पार्टी को 32.1 फीसदी वोट मिले.

 

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टियों को मिले मत प्रतिशत

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यूपी विधानसभा चुनावों में मिली बुरी हार के बाद अखिलेश यादव बौखलाए घूम रहे हैं. अखिलेश यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपना गठबंधन बचाने की है. वक्त-वक्त पर गठबंधन के साथी अखिलेश यादव को आंखें दिखाते रहते हैं. अब एक बार फिर समाजवादी पार्टी के गठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है.

जून में होने हैं चुनाव

अगले महीने 10 जून को उत्तर-प्रदेश में 11 सीटों पर राज्यसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी राज्यसभा चुनावों में सात सीटें जीतने को लेकर आश्वस्त है. वहीं, अखिलेश यादव की तीन सीटों पर जीत तय है. जबकि 11वीं सीट के लिए बीजेपी और सपा के बीच संघर्ष हो सकता है. ऐसे में अखिलेश यादव के सामने सबसे बड़ा संकट ये है कि उन तीन सीटों पर राज्यसभा में किसे भेजें ?

समाजवादी पार्टी में चल रही अटकलों की मानें तो अखिलेश यादव 2024 लोकसभा चुनावों तक अपने गठबंधन को एकजुट रखना चाहते हैं. इसी एकजुटता के लिए अखिलेश यादव राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी को राज्यसभा भेज सकते हैं. इसके पीछे एक और बड़ा कारण है. हाल ही में जयंत चौधरी ने आजम खान से मुलाकात की थी. जयंत चौधरी के पास अभी कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा नहीं है, जबकि जाट और मुस्लिम की राजनीति करने के लिए उन्हें एक बड़े मुस्लिम चेहरे की दरकार है.

वहीं, दूसरी तरफ चुनावों के बाद से ही शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच दरार पड़ी है. ऐसे में अखिलेश यादव को डर है कि कहीं, आजम खान, जयंत चौधरी और शिवपाल यादव मिलकर प्रदेश में नया मोर्चा ना बना लें. इसलिए अखिलेश यादव, जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजकर उन्हें अपने साथ बनाए रखना चाहते हैं.

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राजभर मांग रहे हैं सीट!

सिर्फ जयंत चौधरी को राज्यसभा भेज देने से भी अखिलेश यादव अपने गठबंधन को बचाने में सफल होते नहीं दिखते हैं. चर्चा है कि राज्यसभा चुनाव में सपा की दूसरी सहयोगी पार्टी सुभासपा भी टिकट चाहती है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर के लिए राज्यसभा की टिकट चाहते हैं. ओमप्रकाश राजभर की पार्टी यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके 6 सीटें जीतने में सफल रही थी.

समाजवार्दी में चल रही चर्चाओं की मानें तो अखिलेश यादव ओमप्रकाश राजभर को एक सीट देने को तैयार नहीं है. ख़बरें हैं कि अगर ओमप्रकाश राजभर को सीट नहीं मिली तो वो गठबंधन में बगावत भी कर सकते है. ऐसे में संभव है कि वो समाजवादी पार्टी के गठबंधन से अपनी पार्टी को अलग कर लें.

टूट जाएगा गठबंधन?

राज्यसभा चुनावों में अखिलेश यादव के सामने एक और बड़ी चुनौती है. हाल ही में विधानसभा चुनावों के नतीजों पर अगर नज़र डालें तो उसमें दिखता है कि 403 सीटों में से 255 पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की तो वहीं 111 सीटों पर सामाजवादी पार्टी जीती.

 

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे

 

कम विधायकों के जीतने के कारण समाजवादी पार्टी सिर्फ 3 लोगों को ही राज्यसभा भेज सकती है. ऐसे में एक सीट पर जब जयंत चौधरी को अखिलेश यादव भेजना चाहते हैं तो बची हुई तो सीटों पर किसे-किसे राज्यभा में भेजेंगे- ऐसे में अगर आने वाले कुछ ही वक्त में समाजवादी पार्टी का गठबंधन खंड-खंड हो जाए तो चकित मत होइए.

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