अब भूमिगत होने का समय आ गया है- गंभीर धार्मिक अपराधियों के लिए बुरा समय शुरू

चुन-चुन कर सबके पापों का हिसाब होगा!

Police IFSO

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सोशल मीडिया को जितना उपयोग नहीं किया गया उससे अधिक दुरुपयोग करने वालों की संख्या बढ़ती गई। सख्त कानून लाने की बात की गई पर कानून को न मानने वालों की संख्या बढ़ती गई। अब इस बात को समझते हुए शासन और प्रशासन ने मिलकर डंडा सख्त कर लिया है। अब नीली चिड़िया धारक वाले हों या ब्लू टिक वाले दोनों पर गाज गिरेगी यदि वो समाज में वैमन्सयता फैलाते दिखते हैं तो।

दिल्ली पुलिस की IFSO इकाई एक्शन मोड में है

हालिया उदाहरण है, बुधवार को दिल्ली पुलिस की IFSO इकाई ने उन लोगों के विरुद्ध विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है जो कथित रूप से घृणा के संदेश फैला रहे थे। इनमें से कुछ को इसका अंदेशा था इसलिए एक दिन पूर्व ही लिखने लगे कि कुछ समय के लिए विलुप्त हो रही हूं। इससे यह तो पता चल गया कि घृणा  का फैलाव करने वालों को अब अंडरग्राउंड होने का समय आ गया है।

दरअसल, एक लंबे अंतराल से कुछ जिहादी तत्व, विभिन्न समूहों को उकसा रहे थे और ऐसी स्थिति पैदा कर रहे थे जो सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए हानिकारक है तथा उसे भंग करती है। ऐसे में दिल्ली पुलिस ने डंडे पर तेल लगा लिया हो ऐसा निर्णय लिया कि यह सभी तत्व बिलबिलाना शुरू कर चुके हैं। बता दें, भाजपा से निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा, निष्कासित नेता नवीन कुमार जिंदल और पत्रकार सबा नकवी के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने पैगंबर के बारे में की गई टिप्पणियों को लेकर विवाद के बीच कथित तौर पर घृणा भरे संदेश फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया है।

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दिल्ली पुलिस ने दो प्राथमिकी दर्ज की हैं – एक नूपुर शर्मा के विरुद्ध और दूसरी उन लोगों के विरुद्ध जिन पर लगातार “विवादास्पद” बयान देने का आरोप लगाया गया है। पहली प्राथमिकी नूपुर शर्मा, दूसरी में नवीन जिंदल, शादाब चौहान, सबा नकवी, मौलाना मुफ्ती नदीम, अब्दुर रहमान, गुलजार अंसारी और अनिल कुमार मीणा के नाम हैं।

यह भी सर्वविदित है कि जो गलत होता है वही डरता है। नूपुर शर्मा को उस मामले में अभियुक्त बनाने का प्रयास किया गया जो स्वयं एक समुदाय विशेष की धार्मिक पुस्तकों में संदर्भित हैं। यदि वास्तव में नूपुर शर्मा ने कोई अनर्गल या भड़काऊ बात कही होती तो निस्संदेह न उनके समर्थन में लोग आते और न ही नूपुर शर्मा लिखना जारी रखतीं। नूपुर को भारत तो भारत, नीदरलैंड के एक दूर-दराज के नेता और सांसद गीर्ट वाइल्डर्स का भी समर्थन डंके की चोट पर यह कहते हुए मिला कि जो सच है नूपुर ने वही तो कहा। ऐसे में एक बात तो साफ़ है भारतीय न्यायपालिका इस बात को समय आने पर स्वयं ही समझेगी कि वास्तविकता क्या है, तथ्य क्या है।

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पुलिसिया कार्रवाई से विचलित हुए तथाकथित सेक्युलर

अब बात आ जाती है उन तथाकथित सेक्युलरिज़्म के ध्वजवाहकों की जो बेमतलब में अपनी रोटी चलाने के लिए प्रत्यक्ष रूप से धार्मिक उन्माद फैलाने का काम करते हैं। यही तत्व पुलिसिया कार्रवाई से ऐसे विचलित हुए कि “अच्छा चलता हूं” वाले मोड़ में आ गए। एक ऐसी ही कथित पत्रकार सबा नक़वी हैं जिनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज़ की गई और वो अंडरग्राउंड हो लीं। गलत व्यक्ति ही मुंह छुपाता है, सत्य के उजागर होने से और झूठ के भंडाफोड़ होने से भागता है। ऐसा ही सबा नक़वी ने किया, पुलिस के ट्वीट से एक दिन पूर्व ही अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा था कि, “थोड़े समय के लिए सोशल मीडिया से दूर जा रही हूं।”

वही बात है न सच्चाई छुप नहीं सकती छुपाने से। एजेंडा चलाने वाला तब तक ही एजेंडा चला सकता है जब तक कानून के दायरे में नहीं आता। एक बार शासन-प्रशासन की सीधी नज़र पड़ते ही अच्छे-अच्छों के भूत भाग जाते हैं। मामला अब विचाराधीन है और भारतीय न्यायपालिका के निर्णय पर जैसा की कोई शक-संशय होना नहीं चाहिए, इसलिए निर्णय आने पर उसे सहर्ष स्वीकार किया जाना चाहिए, शेष शुभ!

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