कुछ लोग एक उद्देश्य के लिए विरोध करते हैं। कुछ लोग नीतियों का विरोध करते हैं, क्योंकि वह नीति उन्हें उचित नहीं लगती। पर कुछ लोग विरोध केवल इसलिए करते हैं, क्योंकि करना है, तर्क और विचार जाएं भाड़ में। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे अग्निपथ योजना का अंधविरोध करने वाले कुछ नीच और कपटी राजनीतिज्ञ अब इसे भाजपा की निजी सेना तक बताने पर तुले हुए हैं, ताकि भारतीय सेना को वह भाजपा का एजेंट सिद्ध कर सके! चकित मत होइए, यही सत्य है। हमारे देश में कुछ ऐसे भी महानुभाव हैं, जिन्हें ये लगता है कि सब मोदी के एजेंट है, जो कुछ होता है, उन्हीं के इशारों पर होता है। जब ये स्पष्ट हो गया है कि अग्निपथ योजना का हाल कृषि कानून जैसा नहीं होगा, तो अपनी कुंठा जगजाहिर करते हुए कुछ लोगों ने भारत बंद करने का असफल प्रयास किया, तो कुछ लोगों ने ‘सत्याग्रह’ के जरिए यह जताने का प्रयास किया।
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ममता की कुंठा के आगे सब फेल हैं
परंतु कुछ ऐसे लोग भी थे, जिनके सोच को देखकर समझ नहीं आता कि इनका आलोचना से स्वागत करें कि अपशब्दों से! उदाहरण के लिए ममता बनर्जी की सरकार को देख लीजिए। जब भाजपा के गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने अग्निपथ योजना के कौशल विकास के परिप्रेक्ष्य में लाभ गिनाए, तो उस संदर्भ में अग्निपथ की आलोचना में महोदया कहती हैं कि “भाजपा नई रक्षा भर्ती योजना के माध्यम से अपना सशस्त्र कैडर बनाने की कोशिश कर रही है। ये योजना सशस्त्र बलों का अपमान है। क्या भाजपा अपने दफ्तरों के लिए अग्निवीर सैनिकों की तैनाती करना चाहती है?” परंतु, ममता बनर्जी इतने पर ही नहीं रुकी। वह आगे बोली, “रक्षा बल का सिर्फ एक मुखौटा के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। बीजेपी पूरे देश में अपने गुंडों की एक ताकत बनाने के लिए लॉलीपॉप पेश कर रही है।”
कुमारस्वामी ने भी उगला जहर
अरे ठहरिए, ये अकेली नहीं हैं। इनके जैसे एक और महोदय भी हैं। सत्ता से बाहर होने के पश्चात एचडी कुमारस्वामी भी विष उगलने में ममता बनर्जी से कहीं भी कम नहीं हैं। उन्होंने तो अग्निपथ को ‘नाजीवादी’ सेना सिद्ध करते हुए कहा, “क्या इससे आरएसएस के नेता आर्मी में नहीं आएंगे? अब 10 लाख से अधिक लोग भर्ती होंगे और हो सकता कि वे इसके जरिए आरएसएस के स्वयंसेवकों को सेना में भर्ती कराएंगे। इससे ढाई लाख आरएसएस कार्यकर्ता फौज में भर्ती होंगे और इनका असली मकसद तो यही है कि 75 प्रतिशत लोगों को 11 लाख रुपयों के साथ देशभर में भेजा जाएगा। सोचो यह क्या क्या करेंगे?”
अग्निपथ योजना के क्या लाभ एवं नुकसान होंगे, इस पर चर्चा तो काफी लंबी चलेगी और जैसे जैसे समय बढ़ेगा, इसके परिणाम भी सबके समक्ष आएंगे। परंतु इसके अंधविरोध में जिस प्रकार से विपक्षियों ने अपनी नीचता प्रदर्शित की है, उससे स्पष्ट होता है कि उन्हें कभी युवाओं या राष्ट्र की कोई चिंता थी ही नहीं और ऐसे लोगों के कारण वर्षों से यह योजना अधर में लटकी हुई थी। वैसे भी अच्छे काम में हाथ बंटाने कौन ही आता है?
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