पूर्व सीडीएस दिवंगत जनरल बिपिन रावत के दिमाग की उपज है ‘अग्निपथ योजना’

आगामी समय में रक्षा सुधारों के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगी !

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Source- TFIPOST.in

देश के एक वर्ग ने तो अपना एजेंडा ही यह बना लिया है कि सरकार द्वारा कोई भी योजना लाई जाएगी तो वो इसका विरोध जरूर ही करेंगे। पहले नागरिकता संशोधन कानून बिल, फिर कृषि कानून और अब अग्निपथ योजना को लेकर ऐसा ही होता दिख रहा है। सेना में भर्ती के लिए जैसे ही केंद्र सरकार द्वारा अग्निपथ योजना का ऐलान किया गया कुछ लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। यह लोग योजना को लेकर झूठ फैलाकर छात्रों को उकसाने का काम कर रहे हैं, जिसके चलते अग्निपथ योजना को लेकर इस वक्त बवाल मचा हुआ है।

अग्निपथ योजना के विरोध में शुरू हुई आग बिहार से फैलते हुए दूसरे राज्यों में पहुंच गई। कई राज्यों में योजना के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शन उग्र रूप ले चुके हैं। प्रदर्शन की आड़ में उपद्रवी जगह-जगह पर ट्रेनें फूंक रहे हैं, पत्थरबाजी कर रहे हैं और टायरों में आग लगाकर सड़कों को जाम कर रहे हैं।

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अग्निपथ योजना दिवंगत जनरल बिपिन रावत की उपज

यहां जानना यह भी जरूरी हो जाता है कि मोदी सरकार द्वारा अग्निपथ योजना अचानक से नहीं लाई गई। बल्कि लंबे समय से इस पर विचार किया जा रहा है। केंद्र द्वारा लाई गई यह अग्निपथ योजना भारत के पहले CDS दिवंगत जनरल बिपिन रावत के दिमाग की ही उपज थीं। दरअसल, जनरल बिपिन रावत अपने कार्यकाल के दौरान सेना में ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ (TOD) प्लान करने पर काम कर रहे थे। जब देश में कोरोना महामारी का साया छाया हुआ था और सेना में भर्तियों पर रोक लगी थीं, तब प्लान की रूपरेखा तैयार की जा रही थीं। उस दौरान तत्कालीन CDS जनरल बिपिन रावत ने ही सेना के अधिकारियों के लिए टूर ऑफ ड्यूटी का प्लान तैयार किया था। इस दौरान कई देशों में सैनिकों के भर्ती के मॉडल की भी स्टडी की गई। इसमें वो देश शामिल रहे, जहां कॉन्ट्रैक्ट पर सैनिकों की भर्ती होती हैं।

अग्निपथ योजना को लेकर जो युवा आज सड़कों पर आकर देश को हिंसा की आग में झोंक रहे हैं, उन्हें तकरीबन साढ़े तीन साल पुराने दिवंगत जनरल बिपिन रावत के एक बयान पर ध्यान देना चाहिए। 13 दिसंबर 2018 को बिपिन रावत ने दिए अपने एक बयान में युवाओं को चेतावनी देते हुए कहा था कि वो सेना की नौकरी हासिल करने का जरिया ना मानें।

तब उन्होंने कहा था कि लोग भारतीय सेना को एक रोजगार का जरिया मानते हैं। मैं इन लोगों को चेताना चाहता हूं कि इस तरह कि गलतफहमियों अपने दिमाग से निकाल दें। भारतीय सेना नौकरी पाने का जरिया नहीं। आप भारतीय सेना में शामिल होना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत होना पड़ेगा। इसके लिए आपके हौंसले बुलंद होने चाहिए। मुश्किल हालातों से निपटने की ताकत होनी चाहिए। आज के संदर्भ में जनरल बिपिन रावत की यह बातें पर गौर करें तो यह युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सलाह की तरह काम करती हैं। क्योंकि जो युवा सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वे सेना में सेवा के मौके को एक नौकरी की ही तरह देख रहे हैं। इसलिए उन्हें अपने भविष्य और पेंशन की चिंता सता रही हैं।

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प्रमुख सुझावो में से एक सुझाव यह था

इसके अतिरिक्त दो दशक पहले कारगिल समीक्षा समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में सैनिकों के लिए छोटी सेवा वाली योजना लागू करने का सुझाव दिया था। दरअसल, कारगिल युद्ध से हुए नुकसान की समीक्षा करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें  देश की रक्षा में सुधार के लिए कई सुझाव दिए गए थे। इसमें से ही एक प्रमुख सुझाव सैनिकों की औसत आयु को कम करना था। रिपोर्ट में जोर दिया गया कि सेना को हमेशा युवा और फिट रहना चाहिए।

ऐसे में यह स्पष्ट होता है कि अग्निपथ योजना को किसी आधी अधूरी तैयारी या फिर जल्दबाजी में सरकार नहीं लेकर आई है। बल्कि योजना के लिए लंबे समय से विचार किया जा रहा था। तमाम सुझावों को अमल में लाकर ही यह योजना लेकर आ गई है, जो आने वाले समय में रक्षा सुधारों के लिए एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम साबित हो सकती है।

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