भारत के सवर्णों को निंदित करने की कुत्सित योजना पर काम कर रहे हैं अमेरिकी बुद्धिजीवी

सवर्णों पर निशाना साधकर अपनी दुकान चलाना बंद करो लिब्रांडुओं!

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गूगल में बढ़ रहे कथित ब्राह्मणवाद के संदर्भ में उठा विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था कि बिग टेक कंपनियों में से एक अल्फाबेट कंपनी के कारण यह विवाद और तेज हो गया है। अब अल्फाबेट और गूगल के बीच विवाद हो गया है। कथित जातिगत भेदभाव को लेकर गूगल के विरुद्ध चल रहे अभियान के बीच गूगल की अभिभावक (पेरेंट) कंपनी अल्फाबेट के वर्कर्स यूनियन ने गूगल की आलोचना की है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अल्फाबेट वर्कर्स यूनियन (AWU) ने संगठन के भीतर जातिगत भेदभाव के बारे में चर्चा की और “कार्यस्थल में जाति-समानता स्थापित करने के लिए कार्रवाई” की मांग की है।

अल्फाबेट के वर्कर्स आर्गेनाइजेशन ने कहा कि वह थेनमोझी और एक वरिष्ठ प्रबंधक तनुजा गुप्ता के साथ खड़ा है, जिन्होंने थेनमोझी को कार्यक्रम में बोलने के लिए आमंत्रित किया था और कार्यक्रम रद्द होने के बाद इस्तीफा दे दिया था।

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हिंदू विरोधी दुष्प्रचार अभियान चलाने की भ्रष्ट सोच

पिछले दिनों गूगल की एक वरिष्ठ मैनेजर तनुजा गुप्ता ने गूगल के तत्वावधान में एक कार्यक्रम आयोजित किया जो कथित रूप से दलित विमर्श पर होने वाला था। इस कार्यक्रम में थेनिमोझी सुंदराजन को वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। सुंदराजन अपनी ब्राह्मण विरोधी मानसिकता के लिए प्रसिद्ध है। वह अमेरिका में इक्वलिटी लैब्स नामक एक संस्था चलाती हैं जो कथित रूप से जातिगत भेदभाव के विरुद्ध कार्य करती हैं। यह संस्था मुख्य रूप से हिंदू विरोधी दुष्प्रचार अभियान चलाने का एक माध्यम है। 2021 में भी सुंदराजन ने गूगल के तत्वाधान में एक कार्यक्रम किया था किंतु इस बार गूगल ने यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया। इसके बाद कार्यक्रम स्थगन के विरुद्ध तनुजा गुप्ता ने इस्तीफा दे दिया और सुंदराजन ने इस मामले को खींचना शुरू किया। कार्यक्रम स्थल को गूगल की कथित ब्राह्मणवादी मानसिकता से जोड़कर देखा गया जबकि गूगल का तर्क यह था की कार्यक्रम कार्यस्थल पर वैमनस्य को बढ़ाने वाली मानसिकता को फैला रहा था। संभव है कि गूगल ने यह कार्यवाई सुंदराजन के पूर्ववर्ती बयानों के आधार पर की हो। हालांकि कुछ लोगों ने इस मामले को मुद्दा बना लिया है और सीधे सुंदर पिचाई तथा अमेरिका की बिग टेक कंपनियों में कार्यरत सवर्ण हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए इस विवाद का प्रयोग किया जा रहा है।

सुंदर पिचाई मूलतः तमिलनाडु के ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते हैं। हालांकि केवल इस आधार पर उन्हें आरोपी बनाना नाजीवादी मानसिकता का प्रतीक है। उन पर लगे आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है क्योंकि यदि पिचाई ब्राह्मणवादी होते और उनकी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की जातिवादी सोच के कारण कार्यक्रम स्थगित होता तो 2021 में भी सुंदराजन का कार्यक्रम नहीं हो पाता।

अमेरिका की बैठक कंपनियों में बड़ी संख्या में भारतीय युवक व युवतियां कार्य कर रहे हैं। ऐसे में उन पर जातिवाद का आरोप लगाकर उनकी छवि खराब करके भारत के क्षमतावान युवाओं को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। भारतीयों के विरुद्ध दुष्प्रचार अभियान बिग तक कंपनियों में बढ़ती भारतीय डायस्पोरा की शक्ति के विरुद्ध चलाए जा रहे एक योजनाबद्ध कार्यक्रम का हिस्सा है।

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कथित सर्वे को बतौर सबूत दुनिया के सामने रखा गया

सुंदराजन की संस्था इक्विटी लैब ने इन आरोपों को सिद्ध करने के लिए अपने संस्था के माध्यम से किए गए कथित सर्वे को बतौर सबूत दुनिया के सामने रखा है। यदि वास्तव में भारतीयों द्वारा इस प्रकार का जातिवाद किया जा रहा होता तो इक्विटी लैब के अतिरिक्त अन्य समाजसेवी संगठनों द्वारा इस मामले को उठाया गया होता।

वॉशिंगटन पोस्ट ने जिस प्रकार इस मामले में सुंदराजन का पक्ष लिया है वह भी भारत विरोधी दुष्प्रचार अभियान का एक भाग ही है। पश्चिमी मीडिया के बड़े ब्रांड यूक्रेन संकट से लेकर कोरोना संक्रमण के फैलाव सहित किसी भी घटना को लेकर भारत को निशाना बनाने से नहीं चूकते हैं। इस बार उन्हें भारतीय डायस्पोरा को घेरने का अवसर मिला है जो अमेरिका में भारत की सॉफ्ट पावर की सबसे बड़ी शक्ति है।

एक साधारण सी बात यहां आसानी से समझी जा सकती है कि जो व्यक्ति अपनी मातृभूमि से दूर जाकर दूसरे देश में अलग रंग रूप वाले लोगों के बीच में कार्य कर रहा हो उसमें अपने देश के किसी भी नागरिक के प्रति स्वाभाविक आत्मीयता पैदा होगी। जो भारतीय अमेरिका में कार्य कर रहे हैं वह किसी भी जाति अथवा धर्म के हो उनमें अन्य भारतीयों के प्रति एक स्वाभाविक आत्मीयता का भाव का होना सामान्य है। अमेरिका की बड़ी कंपनियों में प्रतिभावान भारतीयों को जगह मिलना तथा उनकी सफलता अमेरिका के राजनीतिक विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। ऐसे बहुत से धड़े हैं जो भारतीयों की सफलता से जलते हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि इस प्रकार के लोगों ने ही भारतीयों या कहें कि विशेष रूप से सवर्ण हिंदुओं के विरुद्ध ऐसे दुष्प्रचार अभियान को शुरू किया है।

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