इंसान के शरीर में जब कोशिकाएं यानी सेल्स के जीन्स में किसी भी तरह का बदलाव आने लगता है तो कैंसर की शुरुआत होती है। कैंसर अपने आप से भी हो सकता है या फिर गुटखा, तंबाकू या कोई भी नशीले पदार्थ का सेवन करने से भी होता है। इसके लिए अल्ट्रावॉयलेट रेज और रेडिएशन भी जिम्मेदार हो सकते हैं। कैंसर की वजह से इम्यून सिस्टम खराब हो जाता है और शरीर इसको झेल नहीं पाता। जैसे-जैसे कैंसर शरीर में बनता है वैसे वैसे ट्यूमर यानी एक तरह की गांठ बनने लगती है और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाती है। लोग कैंसर को एक लाइलाज बीमारी समझते हैं लेकिन अगर कैंसर के शुरू में ही इस पर काबू पा लिया जाए तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है। कैंसर एक बहुत खतरनाक बीमारी है।
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‘कैंसर’ यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही दिल और दिमाग में डर का माहौल बन जाता है। यह बीमारी पूरे परिवार को बर्बाद कर देती है। अगर वक्त रहते कैंसर का इलाज ना किया जाए तो यह बेहद ही गंभीर रूप भी ले लेती है। कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक और पीड़ादायक होता है इसका इलाज। कैंसर मरीजों को कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी जैसे लंबे और दर्दनाक इलाज से गुजरना पड़ता है। हालांकि अब चिकित्सा जगत में ऐसा चमत्कार हुआ है, जिससे इन दर्दनाक इलाज के बिना भी कैंसर से जंग जीती जा सकती है। जी हां, वैज्ञानिकों ने अब एक ऐसी दवा खोज निकाली है, जिससे कैंसर पर 100 फीसदी असरदार होने का दावा किया जा रहा है।
स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर से मिला
न्यूयॉर्क के स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर को क्लीनिकल ट्रायल में इस दवाई से बेहतरीन परिणाम मिले। दवा का नाम है डॉस्टरलिमेब (Dosterlimumab)। दावा किया जा रहा है कि दवा के महज 6 महीनों तक निरंतर सेवन करने से कैंसर को 100 फीसदी ठीक हो सकता है। हालांकि यह दवा मलाशय कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए हैं यानी रेक्टर कैंसल के मरीजों को ही यह दवा राहत प्रदान करेगी। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध में इससे जुड़ी जानकारी मिली है।
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न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक डोस्टरलिमैब प्रयोगशाला द्वारा उत्पादित अणुओं से बनी है। मानव शरीर में यह सब्सीट्यूट एंटीबॉडी के तौर पर काम करती है। चिकित्सा जगत में इसे उम्मीद की एक किरण के तौर पर देख जा रहा है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक कोलोरेक्टल कैंसर विशेषज्ञ डॉ. एलन पी. वेनुक कहते हैं कि ऐसा कैंसर के इलाज में पहली बार हुआ। सभी रोगियों का पूर्ण रूप से स्वस्थ्य होना ‘अभूतपूर्व’ है। हालांकि, दवा का रिव्यू करने वाले कैंसर शोधकर्ताओं मानते हैं कि इलाज आशाजनक तो जरूर लग रहा है, परंतु बड़े पैमाने पर इसके ट्रायल की आवश्यकता है। जिससे दवा के अधिक असरदार होने की पुष्टि हो सके।
डोस्टरलिमैब दवा से रेक्टल कैंसर का इलाज होने का तो भले ही दावा किया जा रहा है, लेकिन इलाज में बड़ा रोड़ा इसकी कीमत भी साबित हो सकती है। इसकी कीमत की बात करें तो अमेरिका में दवा के 500 MG का दाम 11,000 डॉलर यानी करीब 8 लाख से भी ज्यादा है। महंगी होने की वजह से यह आम जनता के लिए दुलर्भ हो सकती है।
मलाशय कैंसर क्या है?
रेक्टर कैंसर में मलाशय के ऊपर घातक कैंसर कोशिकाएं बन जाती हैं। मल में खूब आना मलाशय कैंसर का सबसे प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा रोगियों को गुदाक्षेत्र में खुजली होना, लाल होना जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। फिलहाल रेक्टल कैंसर के मरीजों को कीमोथेरेपी, रेडिएशन और कई तरह की सर्जरी से गुजरना पड़ता है। वहीं कुछ को कोलोस्टॉमी बैग लगवाने की भी जरूरत पड़ती है। हालांकि, अब इस दवा ने मलाशय कैंसर के रोगियों में एक उम्मीद की किरण जरूर जगाई है। देखना होगा कि क्या वास्तव में यह दावे आने वाले समय में भी उतनी कारगर साबित होती है और रेक्टल कैंसर से जूझ रहे मरीजों को मुक्ति दिलाने का काम कर पाती है?
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