चाय, लस्सी और सत्तू से पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था में ‘क्रांतिकारी सुधार’ करने जा रहा है

पाकिस्तान की इस अर्थनीति का अध्ययन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे पूरी दुनिया के अर्थशास्त्री!

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Source: TFI

डियर पाकिस्तानियों, हमें तुम्हारे साथ कोई सहानुभूति नहीं है, जबकि हमें पता है कि तुम आधा कप चाय पीने के लिए मजबूर हो। हमें तुम्हारी बर्बाद अर्थव्यवस्ता पर कोई दुख नहीं है जबकि हमें पता है तुम कभी भी दिवालिया हो सकते हो। हमें तुम्हारी दयनीय स्थिति पर कोई तरस नहीं आता, जबकि हम जानते हैं कि तुम सत्तू पीकर गुजर करने को मजबूर हो। जी हां, पाकिस्तान अब कटिंग चाय, सत्तू और लस्सी पीकर गुजर करने के लिए मजबूर हो गया है।

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की चरमराती अर्थव्यवस्था को देखकर कोई भी कह सकता है कि कभी भी इस अराजक इस्लामिक राष्ट्र का हाल श्रीलंका जैसा हो सकता है। बर्बाद अर्थव्यवस्था के बीच पाकिस्तान की सरकारें अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए जो उपाय लेकर आती हैं, वो अद्भूत हैं, अद्वितीय हैं, अकल्पनीय हैं, चमत्कारिक हैं। कटिंग चाय के बाद अब पाकिस्तानी सरकारों ने ठाना है कि लस्सी और सत्तू पीकर अर्थव्यवस्था को बदहाली से बचाएंगे। पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर खड़ा है।

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पाकिस्तानी सरकार निरंतर कोशिशों में जुटी है कि किसी तरह से इस्लामिक मुल्क को बचा लिया जाए। इस बचाने के चक्कर में पाकिस्तानी सरकारे अद्भुत तरीके निकालकर ला रही हैं। पाकिस्तान की सरकार ने पहले कहा था कि पूरा देश आधा कप चाय पिया करे यानी कि कटिंग चाय। जिससे कि अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। अब पाकिस्तानी सरकार ने एक और नया तरीका अर्थव्यवस्था को सुधारने का निकाला है।

पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग ने अब चाय के आयात पर होने वाले खर्च में कटौती के लिए एक नया तरीका सुझाया है। शिक्षा निकाय ने कुलपतियों से ‘लस्सी’ और ‘सत्तू’ जैसे स्थानीय पेय की खपत को बढ़ावा देने के लिए कहा है। उनका कहना है कि इस कदम से न केवल रोजगार बढ़ेगा, बल्कि देश में चल रहे आर्थिक संकट के बीच जनता के लिए आय भी पैदा होगी।

पाकिस्तान की सरकार की कोशिश है कि चाय के आयात को कम किया जाए, क्योंकि चाय का आयात करने के लिए भी पाकिस्तान को भीख मांगनी पड़ती है। पहले कटिंग चाय और अब सत्तू और लस्सी। पाकिस्तान तो अजीबो-ग़रीब मुल्क है ही, वहां की सरकारें और भी ज्यादा अद्भूत हैं। कटिंग चाय, सत्तू और लस्सी से क्या ही अर्थव्यवस्था में बदलाव करेंगे। लेकिन वो कर भी सकते हैं- उनकी अर्थव्यवस्था है ही कितनी, ख़ैर हम मुद्दे से भटकेंगे नहीं, क्योंकि मुद्दा ही इतना बड़ा है।

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कोई देश कटिंग चाय, सत्तू और लस्सी से अपनी अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन करने के बारे में सोच रहा है, इससे ज्यादा बड़ा मुद्दा और क्या हो सकता है। शुक्रवार को पाकिस्तान का शेयर बाजार ठप हो गया, उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। लाहौर में बैठा मुईनुद्दीन चिस्ती कटिंग चाय पिए तभी अर्थव्यवस्ता ठीक होगी और इस्लामाबाद में इमरान खान के साथ बैठकर उनकी तीसरी बीबी, बुशरा बीबी जब सत्तू पीएंगी तभी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सुधरेगी।

चीन, सऊदी अरब, अमेरिका और IMF कर्ज़ दे-देकर थक गए, इसके बाद भी पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था नही संभाल पाया लेकिन सत्तू खाकर ज़रूर संभाल लेंगे। ऐसे में बस यही कहने को बचता है कि जिन्ना ने जिस पाकिस्तान को लाशों के ढेर पर लिया था। जिस पाकिस्तान को मज़हब की बुनियाद पर बनाया गया था, जिस पाकिस्तान के लिए लाखों लोगों की बलि दे दी गई।

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उस पाकिस्तान की स्थिति अभी और भी बर्बाद होनी तय है, यह तय है क्योंकि यही उस पाकिस्तान का होना है जो आतंकवाद को पालता है। जो भारत के विरुद्ध दिन-रात आतंकवादी साज़िश रचता है। जो हर मौके पर- हर मंच पर भारत के विरुद्ध ज़हर उगलता है। यह होना है उस पाकिस्तान का जहां की सरकारें सिर्फ और सिर्फ भारत विरोधी एजेंडा के साथ सत्ता में आती हैं।

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