कांग्रेस फिर से खेलने लगी रिसॉर्ट पॉलिटिक्स का ‘खेला’ लेकिन इस बार उसका बचना असंभव है

डर का माहौल है भैया!

congress

Source- Google

जब धरती लगी फटने तब खैरात लगी बंटने, यही हाल देश की वयोवृद्ध पार्टी कांग्रेस का हो चला है। यहां एक सांसद और विधायक अपनी नित्य क्रिया करने भी जाए तो आलाकमान का एक नेता दरवाजे पर पहरा देता है कि पीछे से मोटा भाई उन्हें निकाल न ले जाए! इसी के बचाव के लिए और राज्यसभा में गिनी चुनी चंद सीटों पर कब्ज़ा करने के लिए कांग्रेस ने इसी उपक्रम को आधार बनाया है। कांग्रेस अपनी साख बचाने के लिए अब फिर से रिसॉर्ट पॉलिटिक्स के मोड़ में आ गई है। कांग्रेस राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए अपने कुनबे को मजबूत करने में जुटी कांग्रेस ने अपने विधायकों के लिए रिसॉर्ट तलाश लिए हैं और उनका स्थानांतरण भी शुरू हो चुका है।

दरअसल, कांग्रेस 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले अपने विधायकों को उदयपुर के एक रिसॉर्ट में ले जाना शुरू कर चुकी है, जहां पार्टी ने हाल ही में अपना चिंतन शिविर आयोजित किया था। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में भाजपा पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था और उसके एक दिन बाद, राज्य में विधायकों के इधर-उधर होने या क्रॉस वोटिंग को रोकने हेतु ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’ प्रारंभ कर दी है। कांग्रेस ने बुधवार को अपने विधायकों को उदयपुर के एक होटल में शिफ्ट करने का फैसला किया। गहलोत सरकार को समर्थन देने वाले अन्य दलों के विधायकों और निर्दलीय विधायकों को उदयपुर स्थानांतरित किया जाएगा। विधायक उसी होटल में ठहरेंगे, जहां पिछले महीने कांग्रेस पार्टी का चिंतन शिविर हुआ था।

और पढ़ें: राज्य सभा सदस्यता समाप्त होते देख, सुब्रमण्यम स्वामी ने चूमा TMC का हाथ

हरियाणा में भी हो रहा है रिसॉर्ट पॉलिटिक्स

यही नहीं, कांग्रेस पड़ोसी राज्य हरियाणा से भी अपने विधायकों को भाजपा से अलग करने के लिए रिसॉर्ट-रिसॉर्ट का खेला खेल रही है। राज्यसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा विधायकों के खरीद-फरोख्त के डर से हरियाणा कांग्रेस ने गुरुवार को अपने विधायकों को ‘अवैध शिकार’ से बचाने के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर में स्थानांतरित कर दिया। राज्यसभा की दो सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है।

राजस्थान में विधायकों को ‘सुरक्षित क्षेत्र’ में ले जाने का यह निर्णय ज़ी मीडिया समूह के मालिक सुभाष चंद्रा के नामांकन करने एक दिन बाद आया, जो भाजपा द्वारा समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा चुनाव मैदान में उतरे हैं और जिन्होंने अंतिम दिन अपना नामांकन दाखिल किया है। भाजपा के समर्थन से निर्दलीय चुने गए मीडिया दिग्गज सुभाष चंद्रा और भाजपा नेता दुष्यंत कुमार गौतम का कार्यकाल समाप्त होने के कारण हरियाणा से संसद के उच्च सदन की दो सीटें अगस्त में खाली हो जाएंगी।

कांग्रेस डूबने वाली है!

आपको बताते चलें कि राजस्थान में राज्यसभा की चार रिक्तियां हैं। प्रदेश से पूर्व में एक राज्यसभा सीट जीतने वाली भाजपा ने पूर्व मंत्री घनश्याम तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने मुकुल वासनिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस, जिसके पास राज्य विधानसभा में 108 विधायक हैं, उसकी दो सीटों पर जीत सुनिश्चित है। गहलोत और कांग्रेस उम्मीदवारों ने मंगलवार को 13 में से 10 निर्दलीय विधायकों के साथ बैठक की थी। कांग्रेस यह भी दावा करती है कि उसे कुछ छोटी पार्टियों का समर्थन प्राप्त है। लेकिन अगर कांग्रेस विधायक क्रॉस-वोट करते हैं, तो निर्दलीय विधायक चंद्रा को वोट देने का फैसला कर सकते हैं, जिन्हें बीजेपी के 30 अधिशेष वोट मिलने की उम्मीद है और यह कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने के लिए काफी है।

आंकड़ों की सिरफुटव्वल में कांग्रेस अपने विधायकों को समेटने में लगी हुई है फिर चाहे वो कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान हो या हरियाणा में विपक्ष में बैठी कांग्रेस हो, दोनों ही स्थितियों में यदि कांग्रेस स्वयं को रगड़ा महसूस कर रही है तो निस्संदेह उसके हाल बड़े बेहाल हैं। अब ऐसे में यदि कोई रिसॉर्ट-रिसॉर्ट न खेले तो क्या करे। यह कांग्रेस की विवशता और नीतिगत तौर पर उसकी हार है कि विपक्ष तो विपक्ष, जहां यह पार्टी सत्ता में है वहां भी छिप-छिप कर और फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। अजीब विडंबना से गुजर रहा है कांग्रेस का जहाज, गोते ही खा रहा और खा रहा है लात!

और पढ़ें: राज्य सभा में अमित शाह का रौद्र रूप झेल नहीं पाई कांग्रेस, किया वॉक आउट, फिर भी SPG बिल पास

Exit mobile version