‘दंगाइयों’ ध्यान रखना ‘अग्निवीर’ बनने के लिए कागज तो दिखाना ही पड़ेगा, ‘अग्निपथ’ जारी है…

भीड़तंत्र का शिकार नहीं होगी अग्निपथ योजना

अग्निपथ योजना

भूमि अधिग्रहण बिल, नागरिक संशोधन अधिनियम और तीन कृषि कानून… ये मोदी सरकार के कुछ ऐसे बिल अथवा कानून हैं जो कि भीड़तंत्र और झुंड में विपक्ष के विरोध के कारण ठंडे बस्ते में हैं। ऐसे में सरकार विरोधियों को लगा कि जिस प्रकार इन सभी के मुद्दे पर मोदी-शाह की जोड़ी को बैकफुट पर रखा है, कुछ वैसा ही सेना को मजबूत करने वाली नई योजना अग्निपथ के लिए भी कर देंगे लेकिन इस बार वामपंथियों और विपक्षी दलों की सोच गलत साबित हुई है।

तीन सेनाओं के अधिकारियों ने किया है स्पष्ट

दरअसल, तीन सेनाओं के अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि अग्निपथ योजना रद्द नहीं होगी। अब भविष्य में सेना में होने वाली कोई भी भर्ती अग्निपथ के जरिए ही होगी। 14 जून को सेना ने भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का ऐलान किया और उसके बाद पूरे देश में एक हिंसा भड़क गई, जो युवा देशभक्ति के भाव से सेना में जाने को उत्सुक थे वो देश की सार्वजनिक संपत्ति को ही नुकसान पहुंचाने लगे। ऐसे में पिछले पांच दिनों में इसमें कुछ छुटपुट संशोधन किए गए लेकिन फिर भी ये छात्र संतुष्ट नहीं हुए। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों और वामपंथियों ने इस विरोध को पूर्ण समर्थन दिया क्योंकि जो काम वे पिछले 8 वर्षों में नहीं कर पाए वो हिंसा के जरिए उन्हें पूरा होता दिखने लगा और मोदी सरकार इस मुद्दे पर कमजोर दिखी लेकिन अब सारा दांव उल्टा पड़ गया है क्योंकि अग्निपथ योजना खत्म तो नहीं की जा रही अपितु और सशक्त तरीके से इसे लागू कर दिया गया है।

अग्निपथ योजना के खिलाफ देशभर में हो रहे प्रदर्शन के बीच तीनों सेनाओं ने साझा बयान में साफ कर दिया है कि अग्निपथ योजना को वापस नहीं लिया जाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि अग्निवीरों को सियाचिन और अन्य क्षेत्रों में वही भत्ता और सुविधाएं मिलेंगी जो वर्तमान में नियमित सैनिकों पर लागू होती है। सेवा शर्तों में उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। इसके साथ ही देश की सेवा में बलिदान देने वाले अग्निवीरों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।

जनरल पुरी ने कहा कि अनुशासन भारतीय सेना की नींव में है। सेना में आगजनी, तोड़फोड़ के लिए कोई जगह नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति एक प्रमाण पत्र देगा कि वे विरोध या बर्बरता का हिस्सा नहीं थे। सेना में भर्ती के लिए पुलिस वेरिफिकेशन 100% है, उसके बिना कोई भी शामिल नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना के सामने आने के बाद कोचिंग सेंटरों और मीडिया के हिस्से द्वारा भ्रमित होकर छात्रों ने हिंसात्मक कदम उठाएं हैं लेकिन ऐसे छात्रों ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है।

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जनरल पुरी की सख्त घोषणा

जनरल पुरी ने कहा कि जिस भी उम्मीदवार के खिलाफ FIR होगी, वो सेना का हिस्सा नहीं बन सकेगा। उम्मीदवारों को नामांकन फॉर्म के हिस्से के रूप में लिखने के लिए कहा जाएगा कि वे आगजनी का हिस्सा नहीं थे, उनका पुलिस सत्यापन किया जाएगा। लेफ्टिनेंट अनिल पूरी ने कहा कि उन्होंने अग्निपथ योजना को लेकर हाल में हुई हिंसा का अनुमान नहीं लगाया था।

वहीं सेना से निकलने के बाद अग्निवीरों के भविष्य को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि अलग-अलग राज्यों की सरकारों से लेकर कॉर्पोरेट तक अग्निवीरों को नौकरी देंगे। इसके अलावा उनकी उच्च शिक्षा का इंतजाम भी किया जाएगा। इसलिए अग्निवीरों को अपने भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि वो भले ही नौकरी से चले जाएंगे लेकिन वो सेना से जुड़े रहेंगे। सैन्य अधिकारियों ने यह भी बताया कि अग्निपथ योजना का मुख्य उद्देश्य सेना में युवा और स्वस्थ सैनिकों को लाना है जिसके लिए 1989 से कवायद जारी थी और आज इसे यथार्थ कर दिखाया गया है।

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लगभग 5 दिन तक मोदी सरकार के खिलाफ इस योजना के नाम पर जमकर तोड़फोड़ और विरोध प्रदर्शन हुए। इस हिंसा को विपक्षी दलों और वामपंथियों का खूब साथ मिला लेकिन अब सैन्य अधिकारियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में वो सारे दावे हवा हवाई हो चुके हैं जो कि विपक्षी दलों द्वारा एक फील्डिंग के तौर पर सेट किए गए थे। वहीं अब यह भी निश्चित हो गया है कि विपक्षी दल, वामपंथी या उनके द्वारा फैलाए गए भ्रम में आए युवा अभ्यर्थी कुछ भी कर लें, चाहे छाती पीटें या सिर पटके, अग्निपथ योजना वापस नहीं होगी।

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