नेहरू से सोनिया तक सभी घोटालों के जिम्मेदार हैं मोतीलाल वोरा!

खाएगा परिवार, भरेगा मोतीलाल?

मोतीलाल वोरा

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‘मुर्दे की आवाज़ नहीं होती, होती तो आज मोतीलाल वोरा चीख-चीख कर कह रहे होते, “हमको फंसा रिया है।” यह कोई आम बात नहीं है, अपने बचाव में केजरीवाल जैसा धूर्त आदमी अपने बच्चों की झूठी कसम तक खा लेता है यह तो फिर भी राहुल गांधी के दूर के नेता लगते थे।

राहुल गांधी ने नेशनल हेराल्ड घोटाले की जिम्मेदारी मोतीलाल वोरा पर डाली तो, इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो अब कांग्रेस अपने सभी ‘पापों’ की जिम्मेदारी वोरा पर ही डालने जा रही है, क्योंकि वोरा स्वयं तो आकर कहेंगे नहीं कि हमने कोई घोटाला नहीं किया बल्कि हम स्वर्गवासी हो गए इसलिए हमें फंसाया जा रहा है। राहुल के ऐसे बयानों से और कांग्रेस के नए-नए खुलासों से यह प्रदर्शित होता है कि नेहरू से लेकर सोनिया तक हुए सभी कांग्रेसी घोटालों के लिए मोतीलाल वोरा ही अकेले जिम्मेदार थे और सब तो देवमानुष थे।

लंबे समय से लंबित मामलों में अब गांधी परिवार को लाइनहाज़िर किया  जाना शुरू हुआ है। सात दशकों तक सत्ता पर राज करने वाली इस वयोवृद्ध पार्टी के चश्मोचिराग राहुल गांधी ईडी के सवालों का सामना कर रहे हैं और चूंकि सोनिया गांधी अस्वस्थ चल रही हैं इसलिए वो पूछताछ में सम्मिलित नहीं हो पा रही है। इन सभी घटनाक्रमों में राहुल गांधी के बयान और ईडी को दिए गए जवाब में यह प्रदर्शित हुआ कि कांग्रेस की सरकार में जितने भी घोटाले हुए हैं सभी के ज़िम्मेदार एक ही व्यक्ति थे- मोतीलाल वोरा।

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राहुल ने हाल ही में नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के दौरान पार्टी नेता स्वर्गीय मोतीलाल वोरा को याद कर सारा ठीकरा उन पर फोड़ दिया। प्रवर्तन निदेशालय को राहुल गांधी ने बताया है कि पार्टी नेता स्वर्गीय मोतीलाल वोरा ने YI-AJL सौदा से संबंधित सभी लेनदेन की देखरेख की थी।

यह मामला चल ही रहा था कि कांग्रेस कवर करने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने एक लेख लिखा…अपने लेख में उन्होंने बताया कि कैसे कोयला आवंटन की सिफारिश के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पहले मंत्री के पास गए पर उन्हें वोरा से मिलने के लिए कहा गया। पीएम होने के बावजूद मनमोहन सिंह यदि मोतीलाल वोरा पर आश्रित थे तो इसका मतलब यह है कि कांग्रेस कहना चाहती है कि कोई भी घोटाला हुआ तो उसके कारक और सूत्रधार मोतीलाल वोरा ही थे।

यूपीए की कमान सोनिया गांधी पर थी लेकिन डॉ मनमोहन सिंह को मोतीलाल वोरा निर्देशित कर रहे थे। यदि ऐसा ही था तो निश्चित रूप से आज़ादी उपरान्त जवाहरलाल नेहरू की चीन परस्त नीतियों के कारक भी मोतीलाल वोरा रहे होंगे, पाकिस्तान और चीन को भारत की जमीन दे देने का काम भी मोतीलाल वोरा ने ही किया होगा। और वही क्यों, 1976 में हुआ तेल घोटाला जिससे इंदिरा गांधी और संजय गांधी का नाम जुड़ा है उसमें भी कहीं न कहीं मोतीलाल वोरा का ही हाथ रहा होगा।

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फिर 1987 में राजीव गांधी द्वारा किया गया बोफोर्स कांड, 1980 और 1990 के दौरान भारत और स्वीडन के बीच हुआ एक प्रमुख हथियार-अनुबंध राजनीतिक घोटाला था- वो भी निश्चित रूप से मोतीलाल वोरा ने ही किया होगा। फिर वर्ष 2008 के समय से कांग्रेस के पतन की कहानी लिख रहे 2G स्पेक्ट्रम की बात हो या फिर उसी वर्ष कैश फॉर वोट घोटाले की बात हो- जिम्मेदार मोतीलाल वोरा को ही ठहराया जाएगा।

फिर आया वर्ष 2010, जब कॉमनवेल्थ घोटाला हुआ- कांग्रेस की नई थ्योरी के अनुसार उसके लिए भी वोरा को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए-

फिर 2012 का कोयला घोटाला जिसके लिए किदवई ने मनमोहन सिंह वाले घटनाक्रम को संदर्भित किया ही है- उसकी जिम्मेदारी भी किसी और नहीं बल्कि मोतीलाल वोरा की ही है- इसके बाद वर्ष 2013 का चॉपर घोटाला जिसे अगस्ता वेस्टलैंड के नाम से जाना जाता है- वो भी किसी और ने नहीं बल्कि वोरा ने ही किया होगा।

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सौ बात की एक बात यह है कि गांधी परिवार आपदा में अवसर कुछ ऐसे तलाशता हैं कि मृत इंसान पर ठीकरा फोड़ दो, कौन-सा वो आकर झुठला देगा। वर्तमान में राहुल गांधी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। पूरे यूपीए कार्यकाल में किसका प्रभुत्व रहा, कैसे 10 जनपथ से इधर का उधर होता था, सब साइड रखते हुए अपनी जान बचाने के लिए मोतीलाल वोरा पर दोष डालने की सियासी बिसात बिछा दी गई। एक के बाद एक नए मामले में अब कांग्रेस और उसके चश्मोचिराग राहुल गांधी मोतीलाल वोरा को ऐसे निशाना बना रहे हैं जैसे सारा किया धरा वोरा का ही था, गांधी परिवार तो कतई मासूम और भोला भाला है जो कुछ जानता है नहीं था- सब वोरा ही कर रहे थे।

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