‘मुफ्तखोरी अब और नहीं’, ‘डॉक्टर्स’ और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को भी देना होगा टैक्स

कमाई करते हो तो टैक्स भी देना होगा !

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स टैक्स

Source- Google

गिफ्ट लेना भले किसे पसंद नहीं होगा। हर कोई चाहता है कि उसे बढ़िया से बढ़िया गिफ्ट मिले। परंतु कई बड़ी कंपनियां गिफ्ट देने के नाम पर अलग ही खेल खेलती हैं। कंपनियां डीलरों को अपने उत्पाद की ब्रिकी पर बड़े-बड़े गिफ्ट उपहार के तौर पर देती हैं, जिसमें कार से लेकर महंगे ट्रिप तक शामिल होते हैं। इसके अलावा कई कंपनियां आजकल सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को प्रचार के लिए अपने प्रोडक्ट गिफ्ट के रूप में देती हैं। दवा कंपनियां भी डॉक्टरों को नि:शुल्क सैंप्लस के नाम पर उपहार देकर ऐसा ही करती हैं। ऐसा कर कंपनियां खर्च को सेल्स प्रमोशन में डाल देती हैं और इनकम टैक्स का टैक्स बेनिफिट उठा लेती हैं। वहीं, उपहार पाने वाले अपनी आय में इसे शामिल नहीं करते और न ही रिटर्न में इसका जिक्र किया जाता है। हालांकि, अब ऐसा नहीं होगा। क्योंकि टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) से जुड़े नियमों में बदलाव किए गए हैं, जिसके बाद अब महंगे उपहार देने वाली कंपनियां और उनसे गिफ्ट हासिल करने वाले लोगों को टैक्स की चिंता सताने वाली है।

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दरअसल, आयकर कानून में TDS के प्रावधानों को बढ़ाकर इसमें धारा 194 को जोड़ा गया है। नए नियमों के अनुसार अब उपहार पर भी टैक्स लगाया जाएगा। उपहार देने वाली कंपनी उपहार पाने वाले से 10 प्रतिशत TDS वसूलेगी। इसे अब अनिवार्य किया जा रहा है। TDS काटने के बाद ही उपहार या कोई वस्तु दी जा सकेगी। वहीं, जो उपहार पाएगा उसे अपनी आय में शामिल करना पड़ेगा। हालांकि, एक वर्ष में 20 हजार तक के उपहारों पर यह नियम लागू नहीं होंगे। TDS से जुड़े यह नए नियम एक जुलाई 2022 से लागू होंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 में आयकर कानून के अंतर्गत नई धारा 194R को जोड़ने का प्रावधान किया था। वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव कमलेश सी वार्ष्णेय के अनुसार इस तरह की सुविधाएं और पर्क्स एक तरह की आय होती है और हमेशा कर योग्य होती हैं। फिर चाहे वो नकद के रूप में हो या फिर किसी वस्तु के।

नए नियमों के लागू होने के बाद डॉक्टरों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को भी प्रचार सामग्री पर टैक्स देना अनिवार्य हो जाएगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अनुसार अगर कोई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कंपनी द्वारा मार्केटिंग प्रयासों के हिस्से के रूप में प्रदान किए गए किसी उत्पाद को अपने पास रख लेता है, तो उसे IT अधिनियम की नई धारा 194R के तहत लाभ/अनुलाभ के तौर पर माना जाएगा। हालांकि, अगर उत्पाद को वापस कर दिया जाता है, तो यह प्रावधान लागू नहीं होगा। CBDT ने अनुसार उत्पाद को बरकरार रखा जाता है तो यह भत्ते या लाभ के तौर पर होगा और ऐसी स्थिति में धारा 194R के तहत कर की कटौती होनी चाहिए।

CBDT ने यह स्पष्ट किया है कि धारा 194R तब भी लागू होगा जब अगर कोई डॉक्टर अस्पताल में कार्यरत रहते हुए दवाओं के नि:शुल्क नमूने प्राप्त करते हैं। एक नियोक्ता के तौर पर अस्पताल को ऐसे नमूनों को कर्मचारियों के लिए कर योग्य अनुलाभ के रूप में मानना ​​होगा और धारा 192 के तहत कर में कटौती करनी होगी। हालांकि, इस दौरान अस्पताल को कर काटने से पहले 20,000 रुपये की वार्षिक सीमा को भी ध्यान में रखना होगा। यह धारा तब लागू नहीं होगी जब लाभ किसी सरकारी संस्था को प्रदान किया जाता है। ऐसे में यह तो स्पष्ट हो गया है कि अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और डॉक्टर्स को भी प्रचार सामग्री पर टैक्स देना अनिवार्य होगा।

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