कन्हैया लाल तेली की क्रूरतम हत्या की जिम्मेदार है राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार

अगर सरकार ने वक्त रहते सही काम किया होता तो आज कन्हैया लाल हमारे बीच में होते।

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Source- TFIPOST.in

कन्हैयालाल। ये नाम अब कई दिनों तक हमारे अंतर्मन को कचोटता रहेगा। परंतु उससे भी कहीं अधिक ये बात हमारे हृदय को सताएगी कि इस व्यक्ति को बचाया जा सकता था। जो इसके साथ हुआ, वह रोका जा सकता था, परंतु वह केवल और केवल तुष्टीकरण की भेंट चढ़ गया।

जिसकी कुत्सित राजनीति के कारण एक परिवार का अपना अन्नदाता हमेशा हमेशा के लिए चला गया मैं प्रश्न पूछना चाहता हूँ उस अशोक गहलोत से, जिसके कारण आज वीरों की भूमि राजस्थान किसी शमशान से कम नहीं प्रतीत होती।

आखिर क्या मिला इस सब से? प्रसिद्धि? समृद्धि? आने वाले चुनाव के लिए चंद वोट? यदि हाँ, तो आप में और तीस्ता सीतलवाड़ में कोई विशेष अंतर नहीं, जो अपने लाभ के लिए तो मृतकों से भी राजनीति करवा लें। कन्हैयालाल के  बेटे ने जब नूपुर के समर्थन में गलती से एक पोस्ट डाला, तो जिन कट्टरपंथियों ने उसकी हत्या की, उन्होंने कई दिनों पूर्व अपनी मंशा जगजाहिर कर दी थी। कन्हैया ने इस संबंध में पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज कराई, पर आपकी व्यवस्था ने क्या किया? उलटे उसी को दोषी बनाते हुए जेल में ठूँसने का प्रयास किया? एक समुदाय को संतुष्ट करने के लिए आखिर कितना नीचे गिरोगे, कितना भाई?

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शिकायत पर प्रशासन ने की खानापूर्ति

कन्हैयालाल के द्वारा 15 जून को पुलिस को पत्र लिखकर अपनी हत्या की आशंका जतायी गयी थी और सुरक्षा की गुहार भी लगायी गयी थी। पुलिस को दिए शिकायती पत्र में कन्हैयालाल के द्वारा लिखा गया था कि मोबाइल पर इंटरनेट से उनके बेटे से गेम खेलते समय आपत्तिजनक पोस्ट हो गया। कन्हैयालाल लिखा था कि मैंने पोस्ट डिलीट भी कर दी। और उन्होंने अपनी शिकायत में ये भी बताया कि उनका पड़ोसी नाजिम और उसके साथी उनकी रेकी कर रहे हैं। उनकी फोटो अपने समाज के लोगों को भेज रहे हैं। बावजूद इसके पुलिस की नींद नहीं टूटी। उसने कार्रवाई की बजाए एक समझौता कराकर खानापूर्ति कर ली। कन्हैया लाल से कहा कि समझौता हो गया है, अब बस अपना ध्यान रखना। ये है आपका प्रशासन?

अशोक गहलोत का बेबाक बयान

परंतु यदि आपको लगता है कि ये तो कुछ भी नहीं है, तो ठहरिए, ये तो मात्र प्रारंभ है। इस घटना के सार्वजनिक होते ही इन महोदय का बयान क्या आता है, “यह एक दुखद और शर्मनाक घटना है. देश में तनाव का माहौल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह जी देश को संबोधित क्यों नहीं करते? लोगों के बीच तनाव फैला हुआ है। प्रधानमंत्री को चाहिए कि वे सार्वजनिक तौर पर लोगों को संबोधित करें और कहें कि इस तरह की घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्हें शांति की अपील करनी चाहिए”

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माननीय अशोक लक्ष्मण सिंह गहलोत, कुछ शर्म अभी भी बची है या वो भी रेगिस्तान में छोड़ आए? आप कुछ लोगों को मूर्ख बना सकते हैं, पूरे ब्रह्मांड को नहीं। सोशल मीडिया की कृपा से अब एक नौसिखिया भी तनिक अध्ययन करके बता सकता है कि कानून प्रशासन केंद्र सरकार का ही सरदर्द नहीं है, परंतु पिछले कुछ महीनों में जब भी कट्टरपंथियों ने उपद्रव मचाया है, आपको बस हर बार मुंह मोड़कर यही कहना है कि सारा दोष मोदी जी का है। सारा दोष मोदी जी का है, तो फिर आप क्या कर रहे हैं जयपुर में? अविलंब त्यागपत्र क्यों नहीं दे देते? तनिक नैतिक दायित्व थोड़ा आप भी संभालिए, या वो भी मोदी जी ही संभालेंगे?

सच पूछें तो अशोक गहलोत ने जाने अनजाने वीर सावरकर के उस कथन को सत्य सिद्ध किया है, जो उन्होंने वर्षों पहले तुष्टीकरण के परिप्रेक्ष्य में कहा था, “मुझे न मुसलमानों से भय है, न ही किसी अंग्रेज़ से, पर मुझे भय है उन हिंदुओं से, जो हिन्दू होकर भी सनातन धर्म के विरुद्ध कार्य करें”। दुर्भाग्यवश अशोक गहलोत वही व्यक्ति हैं, और आज राजस्थान में जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए केवल और केवल वही दोषी हैं।

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