उद्धव ठाकरे ने यह पूरी तरह से साबित कर दिया है कि उनसे बड़ा ‘इस्लामी’ कोई नहीं है

इस्लाम की हिमायती बनी शिवसेना!

Uddhav Thackeray

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दोमुंहा जीवन जीने वाले का असल चरित्र एक न एक दिन सबके सामने आ ही जाता है। कुछ ऐसा ही हाल उद्धव ठाकरे की उस शिवसेना का है जो अब बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना न होकर कांग्रेस परस्त और सेक्युलर समर्थित शिवसेना हो गई है। जैसा कि महा विकास अघाड़ी सरकार बनने के बाद से ही प्रतीत होता आ रहा था कि शिवसेना अब हिंदुत्व की विचारधारा को ठंडे बस्ते में डाल राजनीति करेगी, हुआ भी कुछ ऐसा ही। अब शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जिस तरह समुदाय विशेष के प्रति अपना दयाभाव दिखाया है, उससे यह तो सिद्ध हो गया है कि ‘नई शिवसेना’ के उद्धव ठाकरे कितने बड़े इस्लामी हैं!

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इस्लाम की हिमायती बनी शिवसेना!

दरअसल, पैगंबर विवाद को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए महाराष्ट्र के सीएम और शिवसेना प्रमुख ने कहा कि भाजपा प्रवक्ता या भाजपा के बयान किसी भी मुद्दे पर भारत का रुख नहीं हो सकते। ठाकरे ने आगे कहा कि अरब देशों द्वारा भारत को “अपने घुटनों पर लाया गया और माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया।” औरंगाबाद में एक रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ने कहा कि, भाजपा ने पैगंबर मोहम्मद पर पार्टी प्रवक्ता द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणी के कारण देश को शर्मसार किया।

ठाकरे का असल चरित्र तो तब सामने आया जब ठाकरे ने रैली के दौरान कहा कि “उन्हें पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी करने की आवश्यकता क्यों थी? जैसे हमारे देवता हमें प्रिय हैं, वैसे ही वे भी अपने देवताओं का सम्मान करते हैं। आप किसी अन्य धर्म के प्रति घृणा क्यों दिखाते हैं?” वाह बेबी पेंगुइन के जन्मदाता, यही उम्मीद थी आपसे। आज अवश्यंभावी बालासाहेब ठाकरे की आत्मा भी विचलित महसूस कर रही होगी कि उनकी संतान ने सत्ता और कुर्सी की आपक में शिवसेना के मूल से समझौता कर लिया।

उद्धव ठाकरे को राजनीति करने से मतलब है पर उनके लिए हिन्दू धर्म पर की गई वीभत्स और संवेदनहीन टिप्पणियों पर कहने के लिए कुछ नहीं है पर मोहम्मद पर व्यक्त किये गए वास्तविक तथ्य से ठाकरे को मिर्ची लग गई। यह साबित करता है कि इस व्यक्ति ने कितने समय से अपने भीतर के हार्ड कोर इस्लाम को छिपा कर रखा था। ठाकरे ने अपने संबोधन में सवाल ही सवाल जड़ दिए, पर स्वयं का अवलोकन नहीं किया। ठाकरे ने संबोधन में आगे कहा कि “मैं संघ प्रमुख मोहन भागवत से पूछना चाहता हूं कि क्या उन्हें भाजपा से इस तरह के व्यवहार की उम्मीद थी, जैसा आज देखने को मिल रहा है?”

फडणवीस ने पटक-पटक कर धोया

ठाकरे को पता था कि इस्लामी रंग दिखाने पर सवाल उठेंगे इसलिए कवरअप करते हुए ठाकरे ने अपने संबोधन को कट्टरपंथी प्रेम से दिशाविहीन करते हुए कहा कि “देश में महंगाई बढ़ रही है और डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता जा रहा है, लेकिन इसको लेकर सरकार गंभीर नहीं है, बल्कि अन्य मुद्दों को उछालकर लोगों को भटकाने की कोशिश की जा रही है।” अब बात निकली तो दूर तलक तो जानी ही थी।

भटकाने की कोशिश कौन कैसे कर रहा है इसपर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य की अघाड़ी सरकार की पोल खोलते हुए ट्वीट किया और कहा, “उन लोगों को देखना विरोधाभासी है जो दूसरों को ज्ञान देते हैं, लेकिन जब निर्णय लेने की बात आती है तो स्वयं इसका पालन नहीं करते हैं। महाराष्ट्र में ईंधन की कीमतों में कोई कमी नहीं हुई है। किसानों से फसल के नुकसान के लिए भारी मुआवजा देने का वादा किया गया था लेकिन अब उसे भुलाया जा चुका है।” ऐसे में विषय और मुद्दों से कोई और नहीं स्वयं उद्धव ठाकरे और उनकी सरकार ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है।

यह बेशर्मी की पराकाष्ठा से कम नहीं है। जो शिवसेना ठाकरे निवास ‘मातोश्री’ के बाहर विधायक-सांसद दंपत्ति को हनुमान चालीसा पढ़ने पर जेल पहुंचा सकती है वो उसके बाद भी हिंदुत्व की बात करे तो उसका हास्यास्पद और घिनौना चरित्र दोनों प्रदर्शित होता है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में निस्संदेह आज शिवसेना का इस्लामीकरण हो चुका है और ठाकरे के हालिया बयान इसकी पुष्टि भी करता है कि वो कितने इस्लामी हो चुके हैं!

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