असम KAAC चुनाव के नतीजे बताते हैं कि असम ‘कांग्रेस मुक्त’ हो गया है!

चुनाव के खेल में नेता जीतते हैं या फिर हारते हैं, लेकिन हिमंता सिर्फ जीतते हैं!

असम भाजपा

Source- TFIPOST.in

आप सभी ने सुना ही होगा कि मेहनत एक दिन ज़रूर रंग लाती है और रात कितनी ही गहरी क्यों न हो एक नयी सवेरा ज़रूर आता है। असम के चुनाव परिणाम इस सच को दर्शाता हैं। असम, एक ऐसा राज्य जहाँ आज़ादी के बाद से भी इतने वर्षों तक केवल कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व ही रहा है आज वहां भाजपा की सरकार दूसरी बार लौटी है। यह लगातार दूसरी बार है जब पार्टी ने केएएसी के चुनावों में सभी पार्टियों को पछाड़ते हुए एकतरफा जीत हासिल की है।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी

पीएम मोदी ट्वीट में उन्होंने लिखा, “कार्बी आंगलोंग में ऐतिहासिक परिणाम! मैं लोगों को भाजपा में उनके निरंतर विश्वास के लिए धन्यवाद देता हूं और उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि हम असम की प्रगति के लिए काम करते रहेंगे। भाजपा कार्यकर्ताओं का प्रयास उत्कृष्ट रहा है। उन्हें प्रणाम”। 

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सभी 26 सीटों पर विजयी हुई भाजपा

12 जून, रविवार को घोषित परिणाम के अनुसार स्वायत्त परिषद चुनाव में बीजेपी ने 26 में से 26 सीटों पर जीत हासिल की। इसी के साथ ही बीजेपी एक बार फिर असम में सत्ता में लौटी है। पिछले चुनावों में पार्टी ने कांग्रेस पार्टी को पछाड़ते हुए 26 में से 24 सीटों पर जीत हासिल की थी,  2017 में भी कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिली थी। असम में मुख्य विपक्षी दल जो कि कोंग्रेसियों का है वह इस पहाड़ी जिले में एक भी सीट नहीं जीत सकी। कांग्रेस पार्टी के लिए हार से भी अधिक शर्म की बात तो यह है कि वे अधिकांश सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों से भी काफी पीछे तीसरे या चौथे स्थान पर थी।

कांग्रेस ने 2001 से 2015 तक केएएसी पर शासन किया, लेकिन 2016 में असम में भाजपा की पहली सरकार बनने के बाद, मुख्य कार्यकारी सदस्य (सीईएम) तुलीराम रोंगहांग सहित परिषद के अधिकांश कार्यकारी सदस्य (ईएम), उसी वर्ष सत्तारूढ़ दल में शामिल हो गए। भाजपा और कांग्रेस के अलावा चुनाव लड़ने वाले अन्य दलों में नवगठित ऑल पार्टी हिल्स लीडर्स कॉन्फ्रेंस (APHLC), ऑटोनॉमस स्टेट डिमांड कमेटी (ASDC) और आम आदमी पार्टी (AAP) शामिल हैं, जिससे यह एक बहुकोणीय लड़ाई बन गई है। भाजपा ने सभी 26 सीटों पर, कांग्रेस ने 24 सीटों पर, आप ने 10 सीटों पर और भाकपा माले ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

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हिमंता अपने विचारधारा पर डटे रहें

हिमंता हमेशा से ही ‘2 चिल्ड्रन पालिसी’, राष्ट्रीय जनसंख्या बिल की ज़रुरत पर ज़ोर दिया है। वे एक ऐसे नेता के रूप में उभरे जिसने जीत के लिए कभी भी ‘सेकुलरिज्म’ का झूठा चोला नहीं ओढ़ा और शायद उनका यही अंदाज़ उनकी पार्टी की जीत का सबसे बड़ा कारण बना। राज्य में भाजपा की लगातार दूसरी जीत पार्टी में असम के लोगों और राज्य के आदिवासी समाज का विश्वास दिखाती है।

पिछले कुछ वर्षों से ऐसा लग रहा है जैसे मानो कांग्रेस को अब हार की आदत हो चली है। ऐसा भी पूर्ण रूप से संभव है कि शायद कांग्रेस अब हमेशा के लिए केवल एक विपक्षी दल बनकर ही रह जायेगा या फिर जिस तरह से कांग्रेस एक-एक कर हर राज्य में हारती जा रही है यह भी पूरी तरह संभव है कि भारत देश के राजनीतिक मानचित्र से बहुत जल्द कांग्रेस पार्टी का नाम ही गायब हो जाए।

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