हिंदी के प्रति DMK सांसद ने उगला जहर, कहा- “पिछड़े राज्यों की भाषा है हिंदी, वह हमें शूद्र बना देगी”

हिंदी के प्रति आखिर इतनी कुंठा लाते कहां से हो?

एलंगोवन हिंदी

Source, TFI

हिंदी देश की बिंदी है, इसके बिना भारत और भारतीयता की कल्पना नहीं की जा सकती लेकिन आजादी के बाद से ही इसे लेकर बवाल मचा रहा है। समय-समय पर भारत के दक्षिणी राज्यों के कुछ नेताओं ने हिंदी के प्रति अपनी कुंठा प्रदर्शित की है। अपनी राजनीति के चक्कर में ये नेता आये दिन हिंदी और देश के उत्तरी राज्यों के प्रति जहर उगलते आए हैं। हिंदी भाषा को लेकर पिछले काफी समय से देश की राजनीति गरमाई हुई है। कुछ हफ्ते पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी हिंदी को लेकर अपनी घृणित मानसिकता प्रदर्शित की थी, उसके बाद उनके एक नेता ने हिंदी बोलने वालों को पानीपुरी बेचने वाला बताया था और अब उन्हीं की पार्टी DMK के सांसद TKS एलंगोवन ने एक बार फिर हिंदी भाषा को लेकर विवादित टिप्पणी करते हुए आग में घी डालने का काम किया है।

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दरअसल, DMK सांसद एलंगोवन ने अपने एक बयान में हिंदी को “शूद्रों” की भाषा बताते हुए न केवल हिंदी भाषा को अपमानित करने की कोशिश की है, बल्कि एक जाति समुदाय को भी अपनी कुंठा का शिकार बना लिया है। सांसद ने इस दौरान बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसा राज्यों को अविकसित बताते हुए कहा कि हिंदी केवल इन्हीं राज्यों में मातृभाषा है। DMK सांसद एलंगोवन ने कहा, “हिंदी अविकसित राज्यों की भाषा है जैसे बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में मातृभाषा है। आप एक बार पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों को देखें। क्या यह सभी राज्य विकसित नहीं? इन राज्यों में हिंदी मातृभाषा नहीं हैं। हिंदी हमें शूद्रों में बदल देगी। हमारे लिए हिंदी अच्छी नहीं होगी।”

एलंगोवन का यह बयान उत्तर भारतीयों के प्रति DMK की हीन सोच और घृणा को प्रदर्शित करता है। लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि यह पहली बार तो कतई नहीं है, जब तमिलनाडु के नेताओं द्वारा हिंदी भाषा को लेकर इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी की गई हो। तमिलनाडु में राजनेता अक्सर ही उत्तर भारतीयों का समय-समय पर अपमान करते नजर आते हैं। उनके बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि वे उत्तर भारतीय और हिंदी भाषा के अपमान को अपनी राजनीति चमकाने के लिए एक औजार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इसके जरिए वे देश को दक्षिण बनाम उत्तर भारतीयों में विभाजित करने की भी कोशिश करते नजर आते हैं।

कुछ दिन पहले ही तमिल बनाम हिंदी का विवाद सुर्खियों में था, तब राज्य के शिक्षा मंत्री पोनमुडी ने हिंदी भाषीय लोगों को लेकर ऐसी ही आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। अपने बयान में उन्होंने यह तक कह दिया था कि हिंदी बोलने वाले कोयंबटूर में पानीपुरी बेच रहे हैं। वहीं, इससे पहले तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य में कोरोना फैलाने के लिए उत्तर भारतीयों को जिम्मेदार ठहराया दिया था। स्वास्थ्य मंत्री एमए सुब्रमण्यम ने कहा था कि उत्तर भारतीय छात्र तमिलनाडु में कोरोना महामारी फैला रहे हैं।

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