खिस्यानी बिल्ली जीवनभर खम्बा ही नोचती है, एक ऐसी ही खिस्यानी बिल्ली कथित किसान नेता राकेश टिकैत भी हैं। नीचता की पराकाष्ठा को पार करते हुए इस बार राकेश टिकैत ने सभी मर्यादाओं को लांघ दिया है। भारतीय किसान यूनियन से बाहर फेंके जाने के बाद से ही राकेश टिकैत अपनी कुंठित मानसिकता का परिचय देते रहे हैं। अब उन्होंने गुरुवार को उदयपुर के सिर कलम करने वाले मामले को बड़ी ही बेशर्मी के साथ ‘छोटा’ मामला बता दिया और पाकिस्तानी बोल बोलने से भी नहीं चूके।
Such a shameless man you're @RakeshTikaitBKU !!
Don't forget that you're the instigator of farmer's protest, muπderer of many farmers and many of your members have misbehaved with women's! pic.twitter.com/ku8KiXB6Z6
— SHAILEE MALIWAL 🇮🇳. (ModiJi Ka Pariwar) (@ShaileeMaliwal) June 30, 2022
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कन्हैयालाल की हत्या का मामला टिकैत को छोटी घटना लगती है!
दरअसल, मंगलवार को भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा का समर्थन करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर उदयपुर में कन्हैयालाल दर्जी की दो लोगों ने हत्या कर दी थी। कथित तौर पर दिनदहाड़े हत्या को अंजाम देने वाले इन लोगों ने सोशल मीडिया पर अपराध स्वीकार करते हुए वीडियो भी पोस्ट किया। एक क्लिप में, एक आरोपी ने हत्या करना स्वीकार किया और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी दी। इसके बाद जांच में तो यह भी पता चला है कि एक आरोपित 2014 में पाकिस्तान भी गया था। ऐसे में इस घटना के तार पाकिस्तान से जुड़ना और जिहादी एंगल का उजागर होना स्वाभाविक था।
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लेकिन चूंकि राकेश टिकैत की दुकान इन दिनों चल नहीं रही थी तो ऐसे में पत्रकारों से बात करते हुए उदयपुर की घटना पर टिकैत ने यही प्रश्न कर दिया कि ऐसी घटनाएं केवल विपक्ष शासित राज्यों में ही क्यों हो रही हैं और टिप्पणी भी कर दी कि कुछ भी ‘छोटा’ घटित होता है तो भाजपा उसे पाकिस्तान के हाथ होने का दावा करने के लिए दौड़ पड़ती है।”
इससे बड़ी बेशर्मी की बात क्या होगी जब शुरूआती जांच में ही पाकिस्तान का लिंक सामने आने के बाद इस मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपने हाथ में ले लिया है। ऐसे में शंका नहीं, संदेह नहीं और संशय भी नहीं रह जाता है। पर नहीं, टिकैत को तो अपनी असल तस्वीर भी पेश करनी है दुकान भी चलानी है तो ऐसे बयान दिए बिना उनके पेट का पानी हिलता कैसे। अपना प्रिय काम ‘लोगों को बरगलाना और भड़काना’ वो तो टिकैत छोड़ ही नहीं सकते। पहले हजारों हजार किसानों को बरगलाने का काम किया और अब जब कहीं कोई बात नहीं बन रही तो लगे उलजुलूल बकने। आश्चर्य तो ये है कि उन्हें अपने ऐसे कर्मों के लिए लज्जा भी नहीं आती।
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