आखिरकार WTO को घुटने पर लाने में कामयाब हुआ भारत

भारत के सामने WTO ने किया सरेंडर!

भारत WTO

Source- TFI

आखिर वही हुआ, जिसकी सभी को प्रतीक्षा थी। WTO के मंच पर जिस प्रकार से भारत अपने विषय पर अड़ा रहा, उससे प्रारंभ में प्रतीत हुआ कि कुछ नहीं होगा, परंतु विजय भारत की ही हुई और पराजय WTO तथा पश्चिमी जगत में स्थित उसके आकाओं की हुई। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे भारत ने WTO में न केवल दृढ़ता से अपना पक्ष रखा, अपितु इस दंभी संगठन को अपनी समस्त मांगों को मनवाने पर विवश भी कर दिया। दरअसल, हाल ही में सम्पन्न WTO सम्मेलन में भारत को अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की मानें, तो भारत की सभी महत्वपूर्ण मांगों पर विकसित देशों को हामी भरनी पड़ी है।

ज़ी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, WTO के सदस्य नौ साल के अंतराल के बाद मत्स्यपालन सब्सिडी समझौते पर एकमत हुए हैं। 12 जून से शुरू हुई और चार दिन तक चली बातचीत का समापन शुक्रवार को हुआ। इस दौरान केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत की दमदार उपस्थिति के चलते विकसित देशों की मौजूदगी में देश को सौ फीसदी कामयाबी मिली है। खबरों की मानें तो ऐसा पहली बार है जब आवश्यकता से अधिक मछली पकड़ना, गहरे समुद्र में मछली पकड़ना, अवैध, गैर-सूचित और अनियमित तरीके से मछली पकड़ने के विषय पर प्रस्तावित समझौते लाए जा रहे हैं। पीयूष गोयल ने कहा, “भारत के जोर देने पर विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (SEZ) पर संप्रभु अधिकारों को मजबूती से स्थापित किया गया जो वास्तव में एक बड़ी उपलब्धि है।”

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परंतु यह तो कुछ भी नहीं है। अभी कुछ ही समय पूर्व पीयूष गोयल ने इसी सम्मेलन में डिजिटल एक्सपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव भी रखा था। उनका कहना था कि डिजिटल एक्स्पोर्टस पर भी कस्टम ड्यूटी लगाई जाए, ताकि जो राजस्व पर अब तक केवल बिग टेक और कुछ चुनिंदा देशों का वर्चस्व था, उसका लाभ ‘विकासशील और उभरते हुए देशों को भी मिले।’ दूसरे शब्दों में पीयूष गोयल का एजेंडा स्पष्ट था – अकेले अकेले क्या मजे लूट रहे हो, हमें भी हमारा हिस्सा दो। इसके साथ ही डिजिटल एक्स्पोर्ट के विषय पर अमेरिका जैसे देशों को आड़े हाथों लेते हुए पीयूष गोयल ने ये भी कहा कि एक ओर तो बड़े-बड़े तकनीक और उसे संचालित करने वाले लोग एवं राष्ट्र बिना कोई विशेष कर या ड्यूटी दिए बच निकलते हैं, वहीं कपड़ा उद्योग जैसे छोटे काम के लिए भी तरह तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा भेदभाव नहीं चलेगा।

इस पूरे प्रकरण में एक बात तो स्पष्ट हुई है कि अब भारत वो पहले वाला भारत नहीं रहा, जो बातें लंबी चौड़ी करेगा और जब बात दम दिखाने की आएगी, तो शक्तिशाली देशों के समक्ष विशाल मंचों पर नतमस्तक हो जाएगा। अब भारत जवाब देता है, जमकर जवाब देता है, वैश्विक मंचों से महाशक्तियों को जवाब देता है। इसका प्रमाण WTO पर मत्स्यपालन संबंधी चर्चा से ही मिल गया था। परंतु ये पीयूष गोयल के लिए कोई नई बात नहीं है। WTO की बैठक से काफी पूर्व ही पीयूष गोयल ने स्पष्ट कर दिया था कि भारत WTO अथवा उसके आकाओं के इच्छानुसार नहीं चलेगा।

TFIPost के एक विश्लेषणात्मक पोस्ट के अनुसार, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि सरकार देश के मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में बातचीत करेगी। उन्होंने समुद्र में मछलियों के भंडार की कमी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गहरे समुद्र के जहाजों वाले समृद्ध देश जो समुद्र से बड़ी मात्रा में मछलियां लेते हैं, वैश्विक संकट के लिए जिम्मेदार हैं। उनका इशारा चीन की ओर था क्योंकि चीन ने हाल ही में अपने जहाजों और नौसैनिक शक्ति के बल पर कई देशों के मछुआरों के लिए समस्या पैदा की है। ऐसे में पीयूष गोयल का एजेंडा स्पष्ट है – या तो हमारे हिसाब से संसार चलें, नहीं तो हमारे पास और भी तरीके हैं।

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