मनमानी टिप्पणी करने पर ईरान को भारत ने सबक सिखा दिया

ईरान के झूठ पर भारत ने अपनाया सख्त रवैया

iran foreign minister Hussein Amir Abdullah

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स्वयं को तुर्रम खां समझने वालों को भारत कैसे सबक सिखाता है यह ईरान के साथ हुए हालिया घटनाक्रम ने साबित कर दिया। भारत हाल ही में वैश्विक स्तर पर कुछ घटनाओं को लेकर सवालों के घेरे में आ चुका था पर भारत सरकार के रुख ने इन सभी को ठंडे बस्ते में डाल दिया। वक्त आने पर भारत अमेरिका जैसे देश को सबक सिखाने से नहीं रुकता  तो अन्य की तो क्या ही बिसात है। अब ईरान को ही देख लीजिए कैसे पहले उसने गलती की और अब उस गलती को वो छुपाता फिर रहा है। भारत के कड़े रुख का ही प्रतिफल है कि इरान सही रास्ते पर आ गया वरना ऐसे समय में तो भारत को झुकाने के लिए सभी एक स्वर में चिंघाड़ते दिखते।

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भारत ने ईरान को कर दिया मजबूर

दरअसल, भारत ने ईरान को अपनी सरकारी वेबसाइट पर से अनर्गल तथ्य डालने के बाद उसे हटाने पर मजबूर किया। यूं तो भारत और ईरान के संबंध मित्रता वाले ही रहे हैं पर कभी-कभी बातें उत्तेजना में तो कभी जड़ बुद्धि के कारण निकल ही आती हैं। ऐसा ही कुछ ईरान के संदर्भ में हुआ। भारत में छिड़े पैगंबर विवाद के प्रति न केवल भारत के मुसलमान बल्कि कम से कम 16 मुस्लिम देशों ने भारत सरकार से विवादित बयान पर आपत्ति दर्ज कराई थी। यह बयान था नूपुर शर्मा का जो निलंबित होने से पूर्व भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता थीं और एक टीवी डिबेट के दौरान ही नूपुर ने उक्त बयान दिया था।

इस बयान पर खीज प्रकट करने वाले देशों में एक देश ईरान भी था। यूं तो भारत सरकार की ओर से आपत्तियों का संज्ञान लेते हुए उसको संदर्भित करते हुए कहा गया कि, “किसी टीवी डिबेट में किसी नेता द्वारा दिए गये इस तरह के बयान भारत सरकार के विचार को प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। वहीं, बीजेपी ने पार्टी से बाहर निकालकर अपने प्रवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई भी की है। लेकिन, ईरान ने इस मौके पर डबल गेम खेलने की कोशिश कर दी, जिसपर भारत ने गहरी आपत्ति जताई।”

इस घटनाक्रम के दौरान  हाल ही में, ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन, मुंबई में FIEO के ‘ईरान में व्यापार अवसर’ कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए पहली बार भारत आए थे। इस आयोजन में ईरान के साथ व्यापार के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। इस आयोजन के बाद अब्दुल्लाहियन ने भारत के विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों जैसे पीएम मोदी, विदेश मंत्रालय एस जयशंकर, और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की।

यूं तो मुलाकातें कूटनीतिक विजय का द्वार होती हैं पर यहां मामला थोड़ा खट्टा इसलिए हो गया क्योंकि NSA अजीत डोभाल के साथ मुलाकात के बाद जो विज्ञप्ति ईरान की ओर से डाली गई उसमें वो बातें लिखी और प्रकाशित की गईं जिसका वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं था। ईरान ने गुरुवार को दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ अपने विदेश मंत्री की बैठक के दौरान हुई बातचीत के बयान को बदल दिया और जिसे ईरान के सरकारी वेबसाइट पर डाल दिया गया।

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ईरान की सरकारी वेबसाइट पर कोई और ही बयान डाला गया

ईरान की सरकारी वेबसाइट पर इस मुलाकात को लेकर जो आधिकारिक बयान जारी किया गया, उसमें कहा गया, कि ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बताया था, कि जो लोग पैगंबर के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करते हैं, उन्हें “सबक सिखाया जाएगा”। इस बयान पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई। भारत की तरफ से कहा गया कि, “अजीत डोभाल से मुलाकात और बातचीत में पैगंबर मोहम्मद को लेकर कोई बातचीत ही नहीं की गई।” जिसके बाद ईरान के सरकारी वेबसाइट से उन पंक्तियों को डिलीट कर दिया गया। यानी, जैसे ही भारत ने ईरान के बड़े झूठ को पकड़ा, ईरान ने उस झूठ को ही डिलीट कर दिया।

बयान के सार्वजनिक होने के कुछ घंटे बाद, भारतीय कूटनीति हरकत में आई और ईरान ने बयान को हटा लिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान जारी कर कहा, “मैं आमतौर पर वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों के बीच (वार्ता) पर टिप्पणी करना पसंद नहीं करता, और निश्चित रूप से एनएसए और ईरानी विदेश मंत्री पर मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा कि उनकी बातचीत क्या थी। मेरी समझ यह है कि रीडआउट (ईरानी विदेश मंत्रालय द्वारा) को हटा दिया गया है।”

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अब बात वही है कि भारत दबाव में नहीं आया और न ही आएगा। गलत को गलत कहने और सही के साथ खड़े रहने इस ध्येय पर काम कर रहे भारत को झुकाना वास्तव में मुमकिन नहीं है। उक्त घटनाक्रम इसकी जीती जागती मिसाल है जहां भारत के हरकत में आते ही ईरानी तंत्र को अपने गलत तथ्यों को सही करना पड़ा और गलत जानकारी को हटाना पड़ा। निश्चित रूप से यह विजय भारतीयों की है जो कट्टरता के विरोधी और अपनी भूमि से स्नेह करते हैं।

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