आप सभी जानते होंगे कि मिस्र, दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं आयातक है। नॉर्थ अफ्रीका का यह देश अपनी गेहूं की जरूरत यूक्रेन से पूरी करता है। लेकिन रूस यूक्रेन युद्ध के कारण मिस्र में गेहूं और अन्य खाद्य सामग्री नहीं जा पा रही थी और इसके कारण देश में खाद्य संकट पैदा हो गया था। इस खाद्य संकट को देखते हुए मिस्र ने भारत से मदद मांगी थी। मिस्र के इस संकट को देखते हुए भारत ने प्रतिबंध हटाते हुए मिस्र को गेहूं निर्यात करने का फैसला किया। भारत द्वारा स्टेपल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद, भारत ने अपनी सबसे बड़ी विदेशी खेप को मंजूरी देते हुए 61,500 टन गेहूं मिस्र को भेज दिया।
मिस्र के लिए बाध्य खेप के शिपर, मेरा इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड को तुरंत गेहूं के एक हिस्से के लिए कस्टम क्लीयरेंस दिया गया था, जो प्रतिबंध के प्रभावी होने के बाद लोड किया गया था और 17 मई को गुजरात के कांडला बंदरगाह से निकल गया था। जहां गेहूं के अभाव में कई देश भारत से गेहूं की मांग कर रहे थे वही तुर्की ने भारत का गेहूं यह कहकर लौटा दिया कि इसमें रूबेला वायरस है।
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भारत ने इस संबंध में तुर्की से डिटेल में जवाब मांगा
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र जांच करेगा कि तुर्की ने खेप को खारिज क्यों किया। अपनी एक बयान में उन्होंने कहा कि, “एक देश (तुर्की) ने हमारी गेहूं की खेप को खारिज कर दिया और उसे वापस भेज दिया। हमने जांच शुरू की है लेकिन प्रारंभिक जांच के बाद हमें सूचना मिली कि यह निर्यात आईटीसी लिमिटेड का है। उन्होंने कहा कि नीदरलैंड ने यह खेप खरीदी और आईटीसी को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि यह तुर्की के लिए है।“ मैं नहीं जानता कि तुर्की ने ऐसा क्यों किया लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि भारत का गेहूं अच्छी गुणवत्ता का है और आईटीसी अच्छा गेहूं खरीदती है।
खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने भी तुर्की के इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि भारत सरकार ने इस संबंध में तुर्की के प्रशासन से डिटेल में जवाब मांगा है। इस गेहूं का निर्यात आईटीसी कंपनी की तरफ से किया गया था। कंपनी का दावा है कि उसके पास निर्यात को लेकर हर स्तर से क्लीयरेंस प्राप्त है। कंपनी का यह कहना भी है कि उसने पहले जेनेवा आधारित कंपनी को गेहूं बेची। बाद में उस कंपनी ने तुर्की की कंपनी को यह गेहूं बेची होगी।
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कृषि विभाग और कृषि-निर्यात
सचिव ने आगे कहा कि कृषि विभाग और कृषि-निर्यात संवर्धन निकाय (APEDA) इस मुद्दे पर तुर्की के संगरोध अधिकारियों के संपर्क में है।हालांकि अभी तक तुर्की से औपचारिक संवाद नहीं हुआ है।“ भारत ने पिछले महीने ही मिस्र को 61,500 गेहूं का निर्यात किया था हालांकि यह खेप मिस्र के लिए न काफी थी इसके कारण मिस्र ने तुर्की द्वारा लौटाए गए गेहूं को भी खरीदने का फैसला किया था। तुर्की से लौटे करीब 55000 टन इस गेहूं को मिस्र के निजी क्षेत्र द्वारा खरीदे गए पहले भारतीय गेहूं शिपमेंट 4 जून, शनिवार को पहुंचनी थी लेकिन फिर अचानक मिस्र 55,000 टन भारतीय गेहूं वाले जहाज के प्रवेश पर रोक लगा दी। भारत सरकार ने पुष्टि की है कि वह अभी भी मिस्र को सीमा शुल्क निकासी और निर्यात की प्रतीक्षा कर रहे शिपमेंट की अनुमति देगी।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आगे बताया कि भारत ने पिछले वित्त वर्ष में 70 लाख टन और अप्रैल में 14.5 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है और यह दर्शाता है कि “दुनिया भर में, भारतीय गेहूं का स्वागत है।“ इस बीच, व्यापार और सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत को कई देशों से 15 लाख टन से अधिक गेहूं की आपूर्ति के लिए अनुरोध प्राप्त हुए हैं, जिन्हें रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण से उत्पन्न कमी को दूर करने के लिए स्टेपल की आवश्यकता है। सरकार ने फिलहाल देश से गेहूं के निर्यात पर रोक लगा रखी है। इस रोक की वजह घरेलू जरूरत को पूरा करना, बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करना और सबसे पहले पड़ोसी एवं जरूरतमंदों की मदद करना है। अब सरकार की ओर से केवल उन्हीं एक्सपोर्ट आर्डर को पूरा करने की अनुमति है जिनके लिए 13 मई से पहले लेटर ऑफ क्रेडिट जारी हो चुके हैं। बाकी अन्य पड़ोसी और जरूरतमंद देशों को गेहूं का एक्सपोर्ट सरकारों के बीच हुई डील से होगा।