ममता बनर्जी शासित बंगाल में कानून व्यवस्था खुदा भरोसे हैं, यहां लोकतंत्र छुट्टी पर है और यहां की मुख्यमंत्री सार्वजनिक मंच से जिहाद के नारे लगाती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे ममता बनर्जी जानबूझकर बंगाल को पुनः 1946 के काले दिनों की ओर ले जाने के लिए अग्रसर हैं।
ममता बनर्जी ने क्या कहा है?
हाल ही में बर्धमान में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि 21 जुलाई की शहीद सभा से बीजेपी के खिलाफ जिहाद का ऐलान करेंगी। वास्तव में तृणमूल कांग्रेस 21 जुलाई को शहीद दिवस का पालन करती हैं क्योंकि इस दिन वाममोर्चा शासन के दौरान मारे गए युवा TMC के कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
कोई भूल से वन्दे मातरम भी कह दे तो उसे हिन्दू आतंकवादी घोषित करने में वामपंथी दो सेकेंड नहीं लगाएंगे, परंतु यहां इतने महत्वपूर्ण पद पर होते हुए भी सार्वजनिक तौर पर लोगों के नरसंहार के नारे मुख्यमंत्री लगा रही हों, और सब चुप हों? ये हो क्या रहा है?
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जब जब ममता ने ऐसे भड़काऊ नारे लगाए हैं इतिहास साक्षी है कि तब तब बंगाल में हिंसा का तांडव हुआ है। चाहे CAA विरोधी प्रदर्शन हो या फिर 2021 के चुनाव में ‘खेला होबे’ का नारा हो, इन नारों के पश्चात बंगाल में लोकतंत्र को कैसे चीर फाड़ दिया जाता है ये किसी से नहीं छिपा है। इसके बाद भी ममता बेशर्मी से कहती फिरती हैं कि उनकी आवाज का दमन होता है।
परंतु जिस प्रकार से ममता ने सार्वजनिक तौर पर भाजपा के विरोध की आड़ में ‘जिहाद घोषणा दिवस’ का नारा लगाया, वो क्या संकेत देना चाहती हैं? क्या वे 1946 के काले दिन वापिस लाना चाहती हैं, जब डायरेक्ट एक्शन डे के कारण सम्पूर्ण भारत में भीषण रक्तपात हुआ था? क्या वे फिर से अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए पूरे बंगाल को भस्मावशेष में परिवर्तित करना चाहती हैं?
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शुभेंदु अधिकारी ने राज्यपाल से भी की मुलाकात
इसी ओर संकेत देते हुए नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी विधायक अग्निमित्रा पॉल सहित अन्य शामिल थे। वहीं शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ऐलान पर कड़ी आपत्ति जतायी और कहा कि उन लोगों ने राज्यपाल से ममता बनर्जी की सरकार को बर्खास्त कर धारा 356 लगाने की मांग की है।
स्वयं राज्यपाल ने इसका अनुमोदन करते हुए कहा, “यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण है और चिंताजनक है, ये स्पष्ट तौर पर संविधान को चुनौती देने के समान है”। उन्होंने मुख्य सचिव को तलब किया और सीएम से बयान वापस लेने की मांग की है। परंतु जिस प्रकार से ममता सत्ता के नशे में चूर होकर ऐसे बयान देने पर उद्यत हैं, उससे एक बात तो स्पष्ट है कि या तो वह बंगाल को नर्क बनाकर मानेंगी या फिर अपना विनाश करवाकर मानेंगी।
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