आप सभी तो जानते ही है कि आजकल जबसे इंसान के मन में असुरक्षा का भाव चरम पर पहुंचा है तबसे व्यक्ति अपने पास हथियार रखने के लिए विवश हुआ है। लेकिन पंजाब एक मात्र ऐसा राज्य है जहाँ असुरक्षा से कई अधिक अपने रुतबे को दिखाने के लिए बंदूकों को रखना प्रारंभ किया गया। किसे पता था कि इस रुतबे के चक्कर में आलम यह हो जाएगा कि पंजाब पल-पल इस भय में जीयेगा कि कब कोई हथियारबंद आदमी आकर खूनी तांडव कर जाए। बंदूक रखना सीमावर्ती राज्य पंजाब में एक स्टेटस सिंबल से कहीं अधिक है, जो देश में सक्रिय बंदूक लाइसेंस वाले राज्यों की सूची में तीसरे स्थान पर है। पंजाब में चार लाख से अधिक सक्रिय बंदूक लाइसेंस धारक हैं, जहां एक को एक ही लाइसेंस पर तीन आग्नेयास्त्र रखने की अनुमति है। ऐसे में इसका उपयोग और दुरूपयोग दोनों ही धड़ल्ले से होता आया है।
दरअसल, अब समय आ गया है कि केंद्र को पंजाब की कल्चर से हो रही तबाही में उसे हस्तक्षेप करना चाहिए। 29 मई को अपने ही गृह क्षेत्र पंजाब के मानसा में बेरहमी से मारे गए रैपर सिद्धू मूसेवाला की मौत के बाद इस मुद्दे को हवा मिली है जिसके चलते पंजाब का गन कल्चर कितना घातक हो चुका है वो प्रदर्शित हो रहा है। इसे विडंबना कहें या क्या, आंकड़ों की बात करें तो पता चलता है कि, राज्य में पुलिस अधिकारियों की तुलना में नागरिकों के पास अधिक हथियार हैं। पंजाब के निवासियों के पास अनुमानित आग्नेयास्त्रों की संख्या लगभग 11 लाख है, जबकि राज्य पुलिस बल में कुल 80,000 पुलिसकर्मी ही हैं।
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उत्तर प्रदेश से आगे है पंजाब
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, आकंड़ों पर गौर करें तो जनसंख्या के मुताबिक भी उत्तर प्रदेश के मुकाबले पंजाब हथियार रखने के मामलों में आगे दिखेगा। जिन जिलों में सबसे अधिक रूप से लाइसेंस धारक हैं वो जिले हैं- मुक्तसर, संगरूर, होशियारपुर, फिरोजपुर, तरनतारन और अमृतसर। इन जिलों के पास अधिकतम हथियार लाइसेंस हैं। बंदूकों को स्टेटस सिम्बल के रूप में पूजने के बाद इस सोच ने अवैध हथियारों की मांग को जन्म दिया है जो न केवल आसानी से उपलब्ध हैं, बल्कि काम दामों में आते हैं।
“देशी पिस्टल” या “देसी कट्टा” 2,500 रुपये से 15,000 रुपये के बीच कहीं भी उपलब्ध है। स्वचालित देशी पिस्तौल की कीमत 25,000 रुपये से 60,000 रुपये और 9 मिमी पिस्तौल की कीमत 50,000 रुपये से 1.50 लाख रुपये के बीच है। पंजाब में अवैध हथियारों की तस्करी मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से होती है। पंजाब पुलिस ने पिछले साल मध्य प्रदेश स्थित तीन अवैध हथियार निर्माण और आपूर्ति मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था। बलजीत सिंह उर्फ स्वीटी सिंह के रूप में पहचाने जाने वाले एक मुख्य आपूर्तिकर्ता को भी गिरफ्तार किया गया। बलजीत सिंह मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के रहने वाले हैं।
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केंद्र सरकार को नकेल कसनी होगी
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अलावा ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से हथियारों की तस्करी भी की जा रही है। बरामदगी की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में 340 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई है। बीएसएफ ने 2020 में 750 की तुलना में 3,322 हथियार बरामद किए थे। पंजाब पुलिस ने 2018 से 2020 के बीच 1,349 अवैध हथियार भी जब्त किए थे। इन हथियारों को गैंगस्टरों को बेचा गया था। पंजाब के बंदूक घर भी अपराधियों को कानूनी रूप से खरीदे गए गोला-बारूद बेचते हुए पकड़े गए हैं क्योंकि खरीदारों का कोई रिकॉर्ड नहीं था और उनके बंदूक लाइसेंस नकली चालान में पाए गए थे।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि अवैध हथियारों की आपूर्ति कम मात्रा में की जाती है। गिरफ्तार किए गए लोग एक तरह के रिटेलर और सप्लायर हैं। ऐसे में जब अधिकृत विभाग से ही ऐसे अनुभव सामने आते हैं तो परिवर्तन कैसे आ पाएगा। मूसेवाला की हत्या के बाद तो अब केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करते हुए चौकन्ना होते हुए अब नकेल कसनी ही पड़ेगी क्योंकि राज्य की भगवंत मान सरकार से अब यह उम्मीद करना कि ‘गन कल्चर’ को रोक लेगी वो कतई होने से रहा। इन सभी बातों पर यदि अब भी केंद्र सरकार नकेल नहीं कसती है तो सीमावर्ती राज्य पंजाब की हालत बद से बदतर हो जाएगी।
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