केतकी चितले अभी भी न्याय की प्रतीक्षा कर रही हैं

क्या ऐसे ही आवाज दबाती रहेगी महाराष्ट्र और तमिलनाडु सरकार?

Marathi Actor Ketaki Chitale

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हाल के समय में हुए कुछ घटनाक्रम को देखकर ऐसा लगता है कि भारत के दक्षिण में उल्टी गंगा बह चली है। तो वहीं भारत के महाराष्ट्र राज्य के संबंध में ऐसा लगता है कि वहां तो उल्टी गंगा उफान पर है क्योंकि दोनों ही सरकारों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संकट में दिखायी देने लगी है। वहां जो कुछ भी चल रहा है उसको देखकर लगता है कि आम नागरिक मुंह ही न खोले तभी उनकी अस्मिता बची रह सकती है। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इस बारे में विस्तार से जानने और समझने के लिए दो घटनाओं पर ध्यान देना होगा।

एक यूट्यूबर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कार्तिक गोपीनाथ का मामला तो आपको याद ही होगा जब तमिलनाडु के सिरुवैजुर मंदिर के जीर्णोंद्धार जैसे पवित्र कार्य करने के लिए पैसे जुटाने पर गोपीनाथ पर उलजुलूल आरोप जड़ दिए गए और गिरफ्तार भी कर लिया गया था। तमिलनाडु की सरकार ने राष्ट्रवादी कार्तिक गोपीनाथ को दबाने के लिए पूरा जोर लगाया था लेकिन उससे भी कहीं आगे निकली महाराष्ट्र की सरकार जो महज एक पोस्ट शेयर करने का दंड गिरफ्तारी तय करती दिख रही है।

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महाराष्ट्र में तो कुछ और ही चल रहा है

महाराष्ट्र की एक अभिनेत्री ने मई माह में एक पोस्ट साझा किया। मराठी में लिखे इस पोस्ट में ‘पवार’ उपनाम और 80 वर्ष की आयु लिखी है। इस पोस्ट में “नरक इंतज़ार कर रहा है”, “आप ब्राह्मणों से नफरत करते हैं” जैसी टिपण्णियां लिखी थीं। 14 मई को फेसबुक पर यह पोस्ट शेयर होने के बाद एनसीपी के नेताओं में हड़कंप मच गया। भले ही इसमें उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद पवार का नाम नहीं लिखा था परन्तु फिर भी ‘पवार’ उपनाम पोस्ट में देखकर पार्टी को पूर्ण विश्वास हो गया कि वह पोस्ट 81 वर्ष के शरद पवार पर ही लिखा गया है। अब इस पोस्ट को चाहे लिखा किसी ने भी हो लेकिन इसे शेयर करने वाली टीवी और फिल्मों की मराठी अभिनेत्री केतकी चितले सबके निशाने पर आ गईं।  राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने पार्टी प्रमुख के खिलाफ इस फेसबुक पोस्ट को साझा करने पर कड़ी आपत्ति जताई और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की ठान ली। इसी के चलते महाराष्ट्र के आवासीय विकास मंत्री जीतेन्द्र आव्हाड ने यह घोषणा की थी कि उनकी पार्टी से जुड़े युवा इस पोस्ट के सम्बन्ध में महाराष्ट्र में “कम से कम 100 -200 ” पुलिस थानों में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराएंगे।

एनसीपी महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के साथ सत्ता साझा करती है। एनसीपी के कुछ नेताओं को पूर्ण विश्वास है कि सोशल मीडिया पर इस तरह की टिप्पणी किए जाने के पीछे भाजपा और आरएसएस हैं। वहीं इस पूरे मामले में शरद पवार ने इंकार किया कि न तो वो केतकी चितले को जानते हैं और न ही यह जानते हैं कि केतकी ने उनके बारे में क्या कहा।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, ‘स्वप्निल नेटके द्वारा दर्ज करायी गई एक शिकायत के आधार पर शनिवार को ठाणे के कलवा पुलिस थाने में चितले के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।’ इसके बाद, चितले को ठाणे पुलिस की अपराध शाखा ने नवी मुंबई से गिरफ्तार कर लिया। नवी मुंबई के कलंबोली पुलिस थाने के बाहर एनसीपी की महिला शाखा की कार्यकर्ताओं ने उन पर तब काली स्याही और अंडे फेंके, जब उन्हें ले जाया जा रहा था। चितले के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500, 501, 505 (2), 153 ए के तहत मामला दर्ज किया गया। इस बीच पुणे में भी राकांपा के एक कार्यकर्ता की शिकायत पर चितले के खिलाफ इसी को लेकर एक मामला दर्ज किया गया।

ये तो हुई महाराष्ट्र की बात जहां दनादन कार्रवाई की जाती है वो भी केवल और केवल पोस्ट शेयर करने पर। तमिलनाडु सरकार से महाराष्ट्र सरकार तो कही आगे निकल गयी। लेकिन तमिलनाडु सरकार की बात करें तो उसने भी मुंह बंद करवाने और दबाने में कोई कम कांड नहीं किया था गोपीनाथ के मामलें में। चलिए गोपीनाथ का मामला भी विस्तार से जान ही लेते हैं।

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गोपीनाथ का क्या है पूरा मामला?

हुआ ये कि साल 2021 के अंतिम माह में नाथन नाम के एक आदमी ने हिन्दू मंदिर में तोड़फोड़ की और देवमूर्तियों को भी भारी क्षति पहुंचायी पर मंदिर के जिर्णोंद्धार के लिए कोई आगे ही नहीं आ रहा था न तो राज्य सरकार और न ही तमिलनाडु हिन्दू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स डिपार्टमेंट [HR &CE ]। लंबे समय तक उस मंदिर पर जब ध्यान नहीं दिया गया तो कार्तिक गोपीनाथ ने ‘मिलाप एप’ के द्वारा मंदिर के जीर्णोंद्धार के लिए पैसे एकत्र किए। बस यही वो क्षण था जब तीर डीएमके सरकार के हृदय में जा लगा!

यहां तक कि HR&CE डिपार्टमेंट ने कार्तिक गोपीनाथ के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवाई और कहा कि कार्तिक ने भक्तों की श्रद्धा के साथ खिलवाड़ किया है और 50 लाख की नकद राशि इकट्ठी की है। वो बात और है कि कोई भी सबूत नहीं दिखाया गया। 30 मई को गोपीनाथ को गिरफ्तार कर लिया गया। कार्तिक तो अपने बयान में यही बताते हैं कि उन्हें डिपार्टमेंट ने मौखिक सहमति दी थी। हालांकि, उन्हें बेल मिल गयी थी। महाराष्ट्र का मामला हो या तमिलनाडु का, सब एक से बढ़कर एक है, कैसे आवाज उठाने वालों को चुप कराया जाए, कैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को छीन लिया जाए सारे कलाओं में ये सरकारे निपुण हैं और ये सब एक से बढ़कर एक हैं।

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