जम्मू कश्मीर में ‘कट्टरपंथी इस्लाम’ सिखाने वाले स्कूलों को किया गया बंद

आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र के खिलाफ हुई बड़ी कार्रवाई !

जमात-ए-इस्लामी

Source- TFIPOST.in

यह तो आपने सुना ही होगा कि ‘इलाज से बेहतर रोकथाम है’। बच्चे कच्चे घड़े के समान होते हैं उन्हें जिस आकार में ढाला जाये उसी आकार में ढल जाते हैं। एक बार अगर आकार बिगड़ गया तो चाहे कोई कितने ही प्रयत्न क्यों न कर ले उस बालक की सोच और चरित्र नहीं बदल सकता। बालकपन ही जीवन का वह पड़ाव है जहाँ बच्चा या तो योद्धा बनता है या फिर आतंकी। इसी को समझते हुए जम्मू कश्मीर के शिक्षा सचिव बीके सिंह ने हाल ही में एक बयान जारी किया है जिसका उद्देश्य बच्चों को सही मार्ग पर ले जाना है ताकि वे एक उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर हो सकें।

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जम्मू-कश्मीर स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रतिबंधित इस्लामी संगठन जमात-ए-इस्लामी (JeI) के द्वारा चलाए जा रहे 300 से अधिक स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी किए हैं। यह आदेश स्कूल शिक्षा सचिव बीके सिंह ने 14 जून, मंगलवार को जारी किया है। स्कूल शिक्षा सचिव ने आदेश जारी करते हुए जमात-ए-इस्लामी से संबंधित सभी स्कूलों की शैक्षणिक गतिविधियों में रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं। साथ ही इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पास के सरकारी स्कूलों में दाखिला देने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी, प्राचार्य और जोनल शिक्षा अधिकारी को दी गई है।

जमात-ए-इस्लामी छात्र बन रहे कट्टर अलगाववादी

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच में पाया गया है कि जमात-ए-इस्लामी (JeI) संस्थान के छात्र कट्टरपंथ में शामिल हैं, जो बाद में कट्टर अलगाववादी भी बन रहे हैं। पुलिस अधिकारी के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों से लगभग 1 लाख छात्र प्रभावित हुए। इसके अलावा ये प्रतिबंधित इस्लामी संगठन बड़े पैमाने में अवैध कार्य, धोखाधड़ी व सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने के आरोपों से घिरा हैं, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत यह कार्रवाई की है।

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मनोज सिन्हा ने दिये कड़े संदेश

गौरतलब है कि इस फैसले के एक दिन पूर्व ही जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा एक समारोह में आतंक और पाकिस्तानियों द्वारा की जा रही आतंकवादी गतिविधियों के बारे में बोलते हुए नज़र आये। “निर्दोष को छेड़ना नहीं और अपराधी को छोड़ना नहीं।” केंद्र सरकार की इसी नीति को एक बार फिर से सभी को याद दिलाते हुए जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत करते हुए केंद्र शासित प्रदेश में संकट पैदा करने की कोशिशों से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत पर ज़ोर दिया। 13 जून सोमवार को 16 कोर्प्स की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सिन्हा ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए सरकार की स्पष्ट नीति है। “हम लोगों की सुरक्षा, राष्ट्र की एकता और अखंडता और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, “आतंकवादी को बंदूक थमाने वाला उतना ही आतंकवादी है जितना कि बंदूक चलाने वाला”

उनके इस बयान से यही अंदेशा लगाया जा सकता है कि इस बार केंद्र सरकार जड़ों से आतंकवाद नाम की बुराई का अंत करने का दृढ़ संकल्प ले चुकी है। कश्मीर पर पाकिस्तान की नज़र हमेशा से रही है और घाटी में अशांति और तनाव पैदा करने की मंशा से कई बार पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को भेजने की कोशिशें की और जब वे नाकाम रहे तो आतंकवाद को पनाह देते हुए उन्होंने समय-समय पर कश्मीर में आतंवादियों को घुसपैठ में सहायता दी। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार गरीब परिवारों को पैसे देकर कुछ लोग उनके बच्चों को अपने साथ ले जाते हैं जहाँ उनका ब्रैनवॉश या कहें कि बुद्धि परिवर्तन कर उसके मन में भारत के प्रति इतना विष भर देते हैं कि बच्चे को लगने लगता है हर भारतीय ही उसका शत्रु है। फिर उन्हीं नन्हे हाथों में पहले तो पुलिस बल और आर्मी पर हमला करने के लिए पत्थर दिए जाते हैं और फिर जल्द ही बंदूकें थमा दी जाती हैं। इस तरह एक आतंकवादी का निर्माण किया जाता है।

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घाटी में यह सब काफी लम्बे समय से होता आया है और सरकार इससे लड़ने की हर कोशिश करती रही है। लेकिन इस बार जब उन्होंने बीमारी को जड़ से पकड़ा है तो आशा है कि इस बार आतंकवाद नाम की इस बुराई और बीमारी को सरकार पूरी तरह से ख़त्म करने में सफल होगी।

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