मीडिया ने ‘महिला IAS टॉपर’ के खिलाफ घरेलू हिंसा की झूठी कहानी बेची, क्योंकि यही बिकती है!

‘खेल गयीं’ UPSC वाली दीदी!

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कुछ लोगों ने सोशल मीडिया को सटीक ज्ञान और सूचना का संसाधन बना लिया है जबकि ‘सोशल मीडिया’ और कुछ नहीं बल्कि सिर्फ आपके अभिव्यक्ति को माध्यम प्रदान करने वाला एक मंच मात्र है और समाज का एक वर्ग आपके इसी मानसिकता का दोहन करता है, अपना प्रोपगैंडा फैलाता है, झूठी सूचनाएं देता है, भ्रम को बढ़ावा देता है, न्याय को प्रभावित करता है, अपने पक्ष में झूठा माहौल बनाता है, शो-ऑफ करता है और वो सब कुछ सोशल मीडिया करता है जो सच को छुपाकर आपको छलता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे सोशल मीडिया का प्रयोग करके बड़े-बड़े लोग झूठ फैलाते हैं और आपकी आंखों में धूल झोंककर आपको मुर्ख, किसी और को विलन और खुद हीरो बन जाते है।

जानबूझकर दुख दर्द और पीड़ा ठूसा गया

हापुड़ के पिलखुआ निवासी शिवांगी गोयल ने यूपीएससी की परीक्षा में 177 वी रैंक हासिल की। उनके पिता राजेश गोयल व्यापारी हैं और उनकी माता ग्रहणी। निसंदेह, शिवांगी की सफलता प्रशंसा के पात्र हैं। किंतु, सफलता, प्रशंसा, पारिवारिक पृष्ठभूमि, मेहनत किसी को हीरो नहीं बनाती। यह सारे गुण तो गधा-मजदूरों में भी होते हैं। इंसान को हीरो बनाती है दुख, दर्द, पीड़ा के मध्य प्राप्त कि गयी सफलता। पता है उनकी इस सफलता में जानबूझकर दुख दर्द और पीड़ा ठूसा गया।

शिवांगी को नायिका बनाने के लिए दुख-दर्द के साथ एक खलनायक की भी आवश्यकता थी जो उनको ये सारे दर्द देता हो। अत:, मानवीय संवेदनशीलता को जूते की नोक पर रखते हुए एक खलनायक का सृजन किया गया और वह खलनायक बने शिवांगी के ससुराल पक्ष के लोग मुख्य रूप से उनके पति और ससुर। एकदम फिल्मी कहानी बनी जो पूरे सोशल मीडिया पर आग की तरह वायरल हो गई।

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पहले आपको इस सोशल मीडिया फिल्म की वायरल कहानी बताते हैं। इस कहानी में शिवांगी नाम की एक अबला लड़की है जिसे उसके स्कूल के प्रिंसिपल बचपन से ही एक आईएएस अधिकारी बनने हेतु प्रोत्साहित करते रहते हैं। लेकिन, लड़की की शादी हो जाती है। शादी पश्चात लड़की के ससुराल पक्ष उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगते हैं। तब तक नायिका को एक पुत्री की प्राप्ति भी हो जाती है जो बीतते हुए समय के साथ 7 वर्ष की हो जाती है। लेकिन, इन 7 वर्षों में ससुराल पक्ष द्वारा दिए जाने वाले दुख, दर्द और पीड़ा भी अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच जाता है। नायिका पति का त्याग कर देती है और अपने घर लौट आती है। वह इंसाफ के लिए न्यायालय का भी सहारा लेती है और अपने ससुराल पक्ष के लोगों पर दहेज, घरेलु हिंसा, प्रताड़ना, बलात्कार, मारपीट, हत्या का प्रयास आदि आरोप लगाते हुए भारतीय दंड संहिता के विभिन्न धाराओं के अंतर्गत केस फाइल करती है।

आपको तो पता ही होगा कि अभी कुछ दिनों पहले प्रयागराज उच्च न्यायालय ने FIR को एक सॉफ्ट पोर्न के रूप में लिखने के लिए पुलिस को फटकार भी लगाई थी। लेकिन, अगर आप कोर्ट के उद्धरण में शिवांगी के आरोप देखेंगे तो यह निसंदेह ही किसी प्रतिशोध की भावना से प्रेरित लगेगा। पति, देवर, सास, ननद, ससुर और ससुराल पक्ष में जो भी सदस्य हैं सब को आरोपी बनाया गया। इसके साथ साथ वह अपने पति से तलाक हेतु भी न्यायालय में परिवाद भी दाखिल करती है। इधर, मायके लौट आने पर पिता अपने पुत्री को भरपूर सहारा देता है और उसे पुनः आईएएस अधिकारी बनने के लिए प्रेरित करत है।

एक खलनायक की आवश्यकता थी, वो भी पूरी हो गयी

शिवांगी मेहनत करती हैं और सफलतापूर्वक परीक्षा पास भी कर लेती है। अब इस कहानी में सब कुछ है। भरपूर मिर्च-मसाला और असीम दुख दर्द और पीड़ा। इस वास्तविक कहानी में ससुराल पक्ष के लोग खलनायक की भूमिका में है। मायके पक्ष के लोग नायिका के समर्थक के भूमिका में है। और मुख्य नायिका शिवांगी समाज, न्याय व्यवस्था और पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण से लड़ते हुए अपने मुकाम को पाती है। अब यह कहानी हिट है, सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए फिट है। आपके रोंगटे खड़े करने के योग्य है। किंतु, क्या आपने इसकी सत्यता जांचने की कोशिश की। इस कहानी में सच्चाई को मापने की कोशिश की। हम यह दावे के साथ कह सकते हैं कि आपने ऐसा नहीं किया होगा। लेकिन, हमारा पत्रकारिता धर्म कहता है कि आपके आंखों पर से अर्ध सत्य की मिथ्या पट्टी को हटाना अत्यंत अनिवार्य है, अन्यथा यह प्रवृत्ति समाज को खोखला कर देगी। इस हद तक खोखला कर देगी कि सही मायनों में पीड़ित और प्रताड़ित ही पापी दिखने लगेंगे। सबसे पहले तो हम इस नायिका और उसके मानने वालों को यह स्पष्ट कर दें कि यूपीएससी की परीक्षा पास करना आपके चरित्र का प्रमाण नहीं है हां यह आपकी ज्ञान का प्रमाण अवश्य हो सकता है, नि:संदेह शिवांगी पढ़ने लिखने में तेज होंगी इसलिए उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली लेकिन क्योंकि वह पढ़ने लिखने में तेज हैं, इसीलिए उनका चरित्र भी उतना ही साफ है यह मानने वाले लोग। छोड़िए क्या कहा जाए!

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दरअसल शिवांगी ने अपने ससुराल पक्ष के लोगों पर दहेज प्रताड़ना, घरेलु हिंसा, मारपीट, बलात्कार, यौन शोषण, धमकी आदि का झूठा आरोप लगाया ताकि वह अपने ससुराल पक्ष को मजा चखा सकें और इसके बाद उन्होंने अदालत में तलाक की अर्जी दे दी। अगर आपको यह सच नहीं लगता तो आपको सूचित कर दें की शिवांगी के ससुर 1 साल तक उनके झूठे आरोपों के कारण जेल में रहें। उनके पति और देवर अभी भी हैं। लेकिन अंतत, अदालत ने शिवांगी के ससुर को सभी प्रकार के झूठे आरोपों से बरी कर दिया। उन पर लगाए गए सारे आरोप झूठे पाए गए। किन्तु, जो सबसे बड़ा सवाल अनुत्तरित रह गया वह यह है कि आखिर उनके इस 1 साल का हिसाब कौन देगा? उस मां के दर्द का हिसाब कौन देगा जिसके दोनों बच्चे अभी भी झूठे आरोप में जेल में हैं? उस परिवार के सम्मान को हौंसला कौन देगा जिसकी सारी मर्यादाएं एक लड़की के झूठे आरोपों ने तोड़ दिया।

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