महिला क्रिकेट को वैश्विक बनाने वाली क्रिकेटर मिताली राज की कहानी

भले ही मिताली क्रिकेट को छोड़ दें लेकिन क्रिकेट उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा।

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यह साल 2022 है और बीसीसीआई अगले साल महिला आईपीएल शुरू करने की तैयारी कर रही है। देश भर के दर्शक इस खेल में गहरी दिलचस्पी ले रहे हैं। खेल के दीवाने इस देश में कई वर्षों से बीसीसीआई से भारतीय महिला खिलाडियों के आईपीएल की मांग कर रहे हैं। हालांकि, किसी ने क्रिकेट के महिला संस्करण की परवाह नहीं की जबकि उनके पुरुष समकक्षों को देवताओं की तरह सम्मानित किया गया।

ऐसा वर्षों से चला आ रहा था- वर्षों से महिला क्रिकेट को उस तरह से नहीं देखा गया जैसे पुरुष क्रिकेट को देखा जाता है लेकिन, सबकुछ तब बदल गया जब मिताली राज नाम की देश की बेटी ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम में कदम रखा।

दिग्गजों के साथ मिताली का नाम

मिताली राज कोई साधारण क्रिकेटर नहीं हैं। उनको एक पूरी पीढ़ी ने खेलते हुए देखा और वह यकायक प्रेरणा की साक्षात स्रोत बन गईं। राष्ट्रीय टीम में किसी भी जूनियर खिलाड़ी से पूछो तो वह आपको बताएगी कि मिताली के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करना उसका स्वप्न था। भारत की गलियों में किसी भी नवोदित महिला क्रिकेटर से पूछिए तो उनके होठों पर मिताली का नाम होगा। यह मिताली राज के खेल की ही ताकत थी कि उनका नाम सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, विराट कोहली और एमएस धोनी के नाम के साथ लिया गया।

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ऐसे में जब मिताली राज जैसी बड़ी खिलाड़ी संन्यास की घोषणा करती है तो दुख की लहर दौड़ जाती है। बुधवार को मिताली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी रूपों से संन्यास लेने की घोषणा की। ट्विटर पर एक संदेश में मिताली ने लिखा, “मुझे लगता है कि अब मेरे खेल करियर से पर्दा उठाने का सही समय है क्योंकि टीम कुछ बहुत ही प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों के हाथों में है और भारतीय क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल है।”

हालांकि, उन्होंने अपने भविष्य के कार्यक्षेत्र की घोषणा नहीं की कि वह खेल से जुड़ी रहेंगी या नहीं। उन्होंने कहा, “हर बार जब भी मैंने मैदान पर कदम रखा तो मैंने भारत को जीतने में मदद करने के इरादे से अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। तिरंगे का प्रतिनिधित्व करने के लिए मुझे जो अवसर दिया गया है, मैं उसे हमेशा संजो कर रखूंगी। इतने वर्षों तक टीम का नेतृत्व करना सम्मान की बात थी। इसने मुझे निश्चित रूप से एक व्यक्ति के रूप में आकार दिया।”

लाखों युवा लड़कियों का मार्ग प्रशस्त किया

देश के लिए खेलते हुए उन्होंने 12 टेस्ट, 232 एकदिवसीय और 89 टी-20 मैचों में भाग लिया है। 10,868 रन बनाने वाली मिताली राज महिला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अग्रणी रन-स्कोरर हैं और किसी भी बल्लेबाज ने महिलाओं के एकदिवसीय मैचों में 7805 से अधिक रन नहीं बनाए। वह महिलाओं के एकदिवसीय मैचों में लगातार सात अर्द्धशतक बनाने वाली पहली महिला भी हैं।

हालाँकि, यह रिकॉर्ड मिताली को परिभाषित नहीं करते बल्कि मिताली को परिभाषित करती है वो प्रेरणा जिसके बल पर देश-भर में लाखों युवा लड़कियों ने मैदान में कदम रखने का साहस किया है।

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मिताली राज ने भारतीय माता-पिता की उन उम्मीदों को पोषित किया है जिनमें वो देखते हैं कि उनके बच्चे क्रिकेट में करियर बना सकें। पहले ऐसा लगता था कि क्रिकेट केवल जेंटलमैन का खेल है लेकिन मिताली को देखकर लगता है जैसे क्रिकेट नैसर्गिक रूप से ‘क्लासी लेडीज’ के लिए भी बना है।

किसी भी अन्य क्रिकेटर की तुलना में मिताली के करियर में विवाद कम देखे गए। सबसे उल्लेखनीय 2018 विश्व कप के दौरान महिला टीम के कोच रमेश पवार के साथ हुई उनकी अनबन रही। तेजी से विकसित हो रहे खेल में मिताली के खेलने की शैली के बारे में भी बहुत सारी बातें उठी। क्रिकेट समुदाय में ‘स्ट्राइक रेट’ अक्सर यह दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था कि मिताली की जगह लेने के लिए नए खून की जरूरत है।

एक सच्चा पथप्रदर्शक

हालाँकि एक ऐसे खेल के लिए जिस पर सदी के मोड़ पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था, यह एक उल्लेखनीय प्रस्थान रहा है कि ऑनलाइन चैट रूम भरे हुए थे, एक माइक्रोस्कोप के तहत मिताली की खेल शैली की जांच कर रहे थे। तथ्य यह है कि भारत यह बातचीत कर रहा है, मिताली राज सदी की शुरुआत के बाद से कठिन यार्ड में हैं। यदि वह प्रशंसा के लायक बदलाव नहीं है, जिसे उसने अपनी दृढ़ता और दृढ़ संकल्प के माध्यम से अकेले लाया है, तो यह समझना मुश्किल है कि और क्या है।

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मिताली राज की विरासत अछूती रहेगी, भले ही उनसे बेहतर खिलाड़ी आ जाएं। वह महिला क्रिकेट में क्रांति की शुरुआत हैं जिन्होंने पारंपरिक शैली से परे जाने और पूरी पीढ़ी के लिए एक रास्ता बनाने का साहस किया। वह सही मायने में एक ‘ट्रेलब्लेज़र’ हैं। यह एक ऐसी बात है जो यह स्थापित करती है कि भले ही मिताली क्रिकेट को छोड़ दें लेकिन क्रिकेट उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा।

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