प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में जुटी हैं। मोदी सरकार चाहती है कि भारत किसी भी चीज के लिए दूसरे देशों पर निर्भर न रहे। परंतु कच्चे तेल के मामले में देखा जाए तो आज भी भारत की अन्य देशों पर निर्भरता काफी अधिक है। भारत अपने कच्चे तेल की आवश्कता का बहुत बड़ा हिस्सा आयात करता है। कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने और देश में इसका उत्पादन करने के लिए मोदी सरकार द्वारा बड़ा कदम उठाया गया है।
क्रूड ऑयल मार्केटिंग को लेकर हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट की हुई बैठक में एक अहम फैसला लिया गया। बैठक में सरकार ने कच्चे तेल को लेकर एक बड़े रिफॉर्म को मंजूरी दी गई। सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल की बिक्री को नियंत्रण मुक्त कर दिया। फैसले के बाद अब तेल कंपनियां घरेलू बाजार में कच्चे तेल को बेच सकेगीं। ऑयल इंडिया, ONGC और निजी तेल उत्पादक कंपनियों को इससे काफी लाभ होगा। अब तक तेल उत्पादक कंपनियां सरकार द्वारा किए गए आवंटन के तहत ही तेल बेचती आ रही है। बता दें कि यह नई व्यवस्था एक अक्टूबर 2022 से लागू होने जा रही है।
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नहीं होगा राजस्व का नुकसान
कैबिनेट द्वारा लिए गए इस फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि नई व्यवस्था के लागू होने से कच्चे तेल का उत्पादन देश में बढ़ जाएगा। उन्होंने बताया कि भारत अपनी आवश्यकता का 85 फीसदी के करीब तेल आज दूसरे देशों से आयात कर रहा है। इस फैसले से सरकार की आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता घटेगी। अनुराग ठाकुर ने आगे कहा कि इस क्षेत्र को डीरेगुलेट किए जाने से घरेलू और विदेशी कंपनियों की यहां तेल उत्पादन में दिलचस्पी बढ़ जाएगी। हालांकि पहले की ही तरह कच्चे तेल के निर्यात पर रोक जारी रहेगी।
सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले का उद्देश्य देश में कच्चे तेल के उत्पादन को बढ़ाना है। दरअसल, भारत में कच्चे तेल की मांग बढ़ रही है और इसके विपरीत उत्पादन में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में देश में केवल 28.4 मिलिटन टन ही कच्चे तेल का उत्पादन हुआ, जो पिछले लगभग तीन दशक में सबसे कम था। जैसा कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया ही इस कारण देश को अपनी जरूरत का 85 फीसदी के करीब तेल दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है।
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अनुराग ठाकुर ने यह भी स्पष्ट किया गया कि सरकार द्वारा इस फैसले से सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं होगा। क्रूड ऑयल एक्सप्लोरेशन से सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी, सेस और अन्य आय पहले की तरह मिलती रहेगी। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भविष्य में सरकारी खजाना और भरने की संभावना है।
फिलहाल सरकार यह फैसला करती आ रही है कि किस सरकारी रिफाइनरी को किस तेल उत्पादक से कितना कच्चा तेल मिलेगा। परंतु नए नियम लागू होने के बाद कंपनियां आपस में ट्रेड कर सकेगी। कंपनियों के बीच क्रूड ऑयल का उत्पादन बढ़ाने को लेकर भी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इससे घरेलू स्तर पर कच्चे तेल के उत्पादन भी बढ़ेगा। जिससे सरकार के रॉयल्टी और सेस के तौर पर होने वाली आय में भी इजाफा होने की संभावना है।
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