उल्हासनगर के बराबर जनसंख्या है फिर भी न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था ‘गर्त में समा गई’

कॉमरेड, जैसिंडा अर्डर्न को अब भी भारत बुलाना चाहते हैं ?

न्यूजीलैंड अर्थव्यवस्था

Source- TFIPOST.in

जैसिंडा अर्डर्न प्रधानमंत्री तो न्यूजीलैंड की हैं। परंतु न्यूजीलैंड से अधिक हमारे देश के वामपंथियों की चहेती हैं। लिबरल इन्हें अपने रोल मॉडल की तरह मानते हैं। कोरोना काल से निपटना हो या फिर देश की अर्थव्यवस्था संभालना वामपंथी न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री की तारीफों में कसीदे पड़ते नहीं थकते। यही नहीं वामपंथी तो 50 लाख की छोटी सी जनसंख्या वाले न्यूजीलैंड से भारत जैसे विशाल देश को सीखने के ज्ञान तक दे देते हैं। अब इन्हीं लोगों के लिए न्यूजीलैंड की जीडीपी से जुड़े कुछ ऐसे आंकड़े सामने आए हैं, जो इन वामपंथियों को आईना दिखाने और इनकी आंखे खोलने का काम करेंगे।

और पढ़ें: कोरोना की दो विनाशकारी लहर के बाद भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है

न्यूजीलैंड की बुरे दिन की शुरुआत

दरअसल, कोरोना अब अपने खात्मे की कगार पर पहुंच गया है। जिसके बाद दुनियाभर के तमाम देश अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में जुटे हुए हैं। इस दौरान कई देशों की अर्थव्यवस्था फिर रफ्तार पकड़ने भी लगी है। परंतु इस बीच न्यूजीलैंड के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के जो आंकड़े सामने आए, वे उसके लिए झटका देने वाले साबित हुए। न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था मार्च तिमाही में सिकुड़ गई। इसमें 0.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। न्यूजीलैंड को यह झटका ऐसे वक्त में लगा, जब कुछ बैंक अर्थशास्त्रियों ने इसके स्थिर रहने का अनुमान लगाया था और रिजर्व बैंक 0.7% की वृद्धि की उम्मीद कर रहा था।

परंतु ऐसा माना जा रहा है कि न्यूजीलैंड के लिए तो यह महज बुरे दिन की शुरुआत ही है। आगे आने दौर न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था के लिए और खराब साबित हो सकता है। ऐसा हम नहीं कह रहे। बल्कि यह मानना है खुद न्यूजीलैंड के वित्त मंत्री ग्रांट रॉबर्टसन का। जीडीपी के ताजा आंकड़े जारी होने के बाद न्यूजीलैंड के वित्त मंत्री ग्रांट रॉबर्टसन ने कहा कि अर्थव्यवस्था का पीछे जाना स्पष्ट रूप से अच्छा नहीं  है। उन्होंने कहा कि यह दुनियाभर में हमारे लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण समय का संकेत है। न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था अभी भी इससे निपटने के लिए अच्छी स्थिति में है, लेकिन 2022 बहुत मुश्किल होने वाला है।

और पढ़ें: कोरोना की मार के बाद अब कुलांचे भरने जा रही है भारतीय अर्थव्यवस्था, आंकड़ें यही बताते हैं

न्यूजीलैंड के जीडीपी में लगातार गिरावट

न्यूजीलैंड में जीडीपी के गिरावट के पीछे की वजह कोविड महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध को माना गया। हालांकि विपक्ष का मानना है कि यह न्यूजीलैंड की गलत नीतियों का परिणाम हैं। एसीटी पार्टी के नेता डेविड सीमोर ने कहा कि जीडीपी के आंकड़े बताते हैं कि जैसिंडा अर्डर्न के अव्यवहारिक नियम हमें मंदी की ओर धकेल रहे हैं। हम लोग लगभग हर चीज के लिए अधिक भुगतान कर रहे हैं। कीमतें बढ़ रही हैं क्योंकि सरकार ने उत्पादन बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि इसी अवधि में ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था 0.8 प्रतिशत बढ़ी, जो न्यूजीलैंड की तुलना में सालाना 4 प्रतिशत बेहतर है।

कोरोना महामारी के दौरान न्यूजीलैंड मॉडल ने काफी चर्चायेँ बटोरीं थीं। भारत में वामपंथियों ने न्यूजीलैंड मॉडल को भी काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। बड़ी ही बेशर्मी से यह लिबरल कोरोना से निपटने के लिए भारत सरकार के प्रयासों खुलकर आलोचना और न्यूजीलैंड मॉडल की तारीफों में ढिढोरा पीटते नजर आए थे। इन्हें तो यह तक लगने लगा था कि न्यूजीलैंड जैसे छोटे से देश की बागडोर संभालने वाली प्रधानमंत्री भारत में भी चमत्कार कर कोरोना पर काबू पा सकती हैं। इसलिए वामपंथियों ने कोरोना से निपटने के लिए न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री को उधार मांगना तक शुरू कर दिया। हालांकि इस दौरान यह दोनों देशों का जनसंख्या के बीच का अंतर भूल गए थे। हालांकि लिबरल के इस चहेते न्यूजीलैंड मॉडल की पोल अब खुलने लगी हैं।

और पढ़ें: भारत बना विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

 

Exit mobile version