कभी भारत में फ्लिपकार्ट की बोलती थी तूती, अब चीन की गोद में जा बैठा

Flipkart ने स्वयं अपने विनाश की कहानी लिख दी है!

फ्लिपकार्ट

Source Google

जब अमेरिका के उद्यमिता के कीड़े ने भारत में जगह ली तो Myntra, PayTm, Zomato जैसे कई स्टार्टअप्स उभरने लगे। उन्हीं स्टार्टअप्स में से एक था फ्लिपकार्ट। फ्लिपकार्ट एक ऐसा ई-कॉमर्स प्लेटफार्म बना जिसे देखकर लगा कि शायद यही है वो जो अमेज़न जैसे बड़े दिग्गज व्यापारी को पीछे छोड़कर भारत में अपनी जड़ें जमा सकता है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में एक के बाद एक नुकसान इस प्लेटफार्म ने झेला और अब तो स्थिति ऐसी आ गयी है कि वह प्लेटफार्म जो एक समय में अमेज़न का प्रतिद्वंदी बन सकता था आज वह चीन के हवाले हो गया।

बिन्नी बंसल की लगभग 1.84 प्रतिशत हिस्सेदारी ही बची है

हाल ही में आई खबरों के अनुसार, चीनी टेक दिग्गज टेनसेंट ने वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स फर्म फ्लिपकार्ट में उसके सह-संस्थापक बिन्नी बंसल से अपनी यूरोपीय सहायक कंपनी के माध्यम से $ 264 मिलियन (लगभग 2,060 करोड़ रुपये) की हिस्सेदारी खरीदी थी। यह लेन-देन 26 अक्टूबर, 2021 को पूरा हुआ था। हालांकि, यह खबर इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में सरकारी अधिकारियों के साथ साझा की गई। Tencent Cloud Europe BV को अपनी हिस्सेदारी बेचने के बाद अब बिन्नी बंसल की फ्लिपकार्ट में लगभग 1.84 प्रतिशत हिस्सेदारी ही बची है। वहीं, फ्लिपकार्ट के अन्य सह – संस्थापक सचिन बंसल ने पहले ही साल 2018 में फ्लिपकार्ट में अपनी 5.5 % की पूरी हिस्सेदारी वालमार्ट को $1 बिलियन में बेच दी।

मामले से अवगत एक शख्स ने बताया, “Tencent फ्लिपकार्ट में शुरुआती निवेशक है और यह ट्रांजैक्शन पिछले साल हुआ था जब सॉफ्टबैंक ने कई सॉवरेन फंड्स के साथ फ्लिपकार्ट में 3।6 अरब डॉलर का निवेश किया था। उस समय बिन्नी बंसल ने अपनी कुछ हिस्सेदारी Tencent को बेच दी थी।”

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भारत और चीन के बीच भू- राजनीतिक तनाव के चलते सरकार अप्रैल 2020 में महामारी के शुरुआती दिनों में प्रेस-नोट 3 (2020 सीरीज़) लेकर आई थी जो किसी भी भारतीय कंपनी को भारत के साथ सीमावर्ती देशों से मिलने वाले निवेश की जांच के लिए कहता है। इसके अनुसार कंपनी को सरकार को ऐसे निवेशों के बारे में समय से सूचित करना आवश्यक है।

हालांकि, सूत्रों के मुताबिक Tencent-Bansal डील ‘प्रेस नोट 3’ के दायरे में नहीं आती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि Tencent की हिस्सेदारी 1 फीसदी से कम है और फ्लिपकार्ट का संचालन भले ही केवल भारत में होता है लेकिन इसका पंजीकरण सिंगापुर में है।

फ्लिपकार्ट की शुरुआत भारत में साल 2007 में हुई थी और 2008 में ऑनलाइन सेल्स शुरू हो चुकी थीं। जबकि अमेज़न भारत में 2013 के अंत में पहुंचा और भारत में लॉन्च होने के बमुश्किल तीन साल बाद, अमेज़ॅन (अमेज़ॅन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड) जुलाई में सकल बिक्री के मामले में फ्लिपकार्ट से आगे निकल गया। अमेज़न अपनी बेहतर कस्टमर सर्विस और यूजर फ्रेंडली बेस के कारण मार्किट में फ्लिपकार्ट से आगे निकल गया।

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फ्लिपकार्ट की प्रतिष्ठा कम होती चली गयी

फ्लिपकार्ट भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स फर्म के रूप में कट्टर-प्रतिद्वंद्वी और रोल मॉडल अमेज़न की भारतीय इकाई के रूप में अपनी प्रतिष्ठित स्थिति को खोता चला गया।

बढ़ते घाटे, स्थिर बिक्री वृद्धि और अति-आक्रामक प्रतिस्पर्धा फ्लिपकार्ट के कन्धों पर भारी पड़ती गई। कई विशेषज्ञों और निवेशकों ने खुले तौर पर कहा कि फ्लिपकार्ट को अमेज़न के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। तो क्या यही भारी घाटे और अमेज़न के सामने बढ़ती कमज़ोरी कारण बने कि फ्लिपकार्ट के संस्थापकों ने अपने शेयर एक चीनी कंपनी के हवाले कर दिए।

Swiggy, Byju, उड़ान जैसे कई ऐसी भारतीय कंपनियां हैं, जिनमें Tencent का निवेश होता है, यानी Tencent का पैसा लगाया जाता है। सरकार ने पिछले वर्षों में कई ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिनमें Tencent Group का PUBG भी शामिल है। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।

बिन्नी बंसल के फ्लिपकार्ट के अपने शेयर्स बेचने के पीछे वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन यह खबर एक ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी रक्षा मंत्री भारतीय सीमा पर चीन की बढ़ती गतिविधियों के बारे में चेतावनी दे चुके हैं। इसके परिणाम क्या होंगे यह केवल आने वाला समय ही बता सकता है।

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