‘दिवालिया पाकिस्तान’ BRICS+ में शामिल होना चाहता था, भारत ने ‘लात मारकर’ बाहर कर दिया

चीन ने निमंत्रण भी दिया था लेकिन आगे जो हुआ वो पाकिस्तान को वर्षों तक याद रहेगा!

BRICS

Source- TFI

क्या कभी ऐसा हुआ है कि पाकिस्तान ने भारत पर कोई आरोप लगाया हो और उसमें कोई सच्चाई हो? उत्तर है- बिल्कुल नहीं! क्योंकि पाकिस्तान के आरोप हमेशा बेबुनियाद, बचकाने और झूठे होते हैं. वो अलग बात है कि वैश्विक मंचों पर आतंक परस्त पाकिस्तान की हकीकत सामने लाने में भारत कोई कसर नहीं छोड़ता. इसी बीच पाकिस्तान ने सोमवार को नाम लिए बिना भारत पर आरोप लगाया है कि ब्रिक्स समूह के ‘एक सदस्य’ ने चीन द्वारा आयोजित हालिया शिखर सम्मेलन की वर्चुअल मीटिंग में उसकी भागीदारी को रोक दिया. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि इस साल वैश्विक विकास पर एक उच्च स्तरीय वार्ता ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के 14वें शिखर सम्मेलन में एक साइड इवेंट के रूप में आयोजित की गई थी। इस कार्यक्रम में कई विकासशील/उभरती अर्थव्यवस्थाओं को आमंत्रित किया गया था।

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आतंकी पाकिस्तान को भी चाहिए BRICS में स्थान

पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार ने कहा, “चीन ब्रिक्स बैठकों से पहले पाकिस्तान के साथ जुड़ा हुआ मेजबान देश है, जहां गैर-सदस्यों को निमंत्रण देने सहित सभी ब्रिक्स सदस्यों के साथ परामर्श के बाद निर्णय लिए जाते हैं।” इस्लामाबाद ने सोमवार को भारत का नाम लिए बिना कहा, “अफसोस की बात है कि एक सदस्य ने पाकिस्तान की भागीदारी को अवरुद्ध कर दिया।” विदेश मंत्रालय ने कहा, “दुखद है कि ब्रिक्स के एक सदस्य देश ने संवाद में भाग लेने से पाकिस्तान को रोक दिया। हमें विश्वास है कि समूह के आगामी फैसले समावेशिता पर आधारित होंगे। इसमें विकासशील दुनिया के हितों का ध्यान रखा जाएगा और वह संकीर्ण भूराजनीतिक विचारों से रहित होगा।”

भले ही पाकिस्तान ने स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा लेकिन पाकिस्तानी मीडिया ने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि वह देश भारत ही था, जिसने पाकिस्तान की भागीदारी को अवरुद्ध कर दिया। ध्यान देने वाली बात है कि BRICS जो कि दुनिया की अग्रणी उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक गंठजोड़ है. ब्रिक्स के मेजबान चीन ने इस बार 14 गैर सदस्य देशों को ब्रिक्स बैठक के लिए निमंत्रण देने की बात कही थी, जिसमें 13 देशों को तो बैठक में निमंत्रित करने की मंजूरी मिल गई लेकिन एक देश के निमंत्रण पत्र को फाड़  दिया गया और वह देश था पकिस्तान. BRICS का उद्देश्य शांति, सुरक्षा, विकास और सहयोग को बढ़ावा देना है. तो कैसा लगेगा जब एक ऐसे उभरते और सुरक्षा के लिए कार्य करने वाले समूह में डूबती अर्थव्यवस्था और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश को न्योता दिया जाये?

वैसे भी इस बैठक में पाकिस्तान क्या ही करता

वैसे अब पाकिस्तान में इसी बात पर विलाप किया जा रहा है कि पाकिस्तान को इस बैठक में नहीं बुलाया गया और पाकिस्तान के निमंत्रण पत्र फाड़ने का दोष पाकिस्तानी भारत पर लगा रहे हैं. और शायद यह पहली बार है जब कोई भारतवासी पाकिस्तान के इस दोष को आमोद से स्वीकारेगा. क्योंकि अगर देखा जाये तो निमंत्रण पत्र भेजने के लिए पाकिस्तान का नाम सुझाने वाला चीन पाकिस्तान का मुंहबोला भाई है, ब्रिक्स के बाकी सदस्य ब्राज़ील, रूस और दक्षिण अफ्रीका को कथित तौर पर पाकिस्तान से कोई परेशानी नहीं. तो बचा केवल भारत. ब्रिक्स के नियमों के तहत यदि ब्रिक्स का कोई एक सदस्य भी किसी गैर सदस्य को बैठक में शामिल करने पर आपत्ति जताता है तो उस गैर सदस्य को नहीं बुलाया जाता.

भारत तो समय-समय पर पाकिस्तान की कश्मीर अलाप को सुनकर उसे फटकारता रहा है और पकिस्तान की आतंकवादियों को शरण देने की आदत कहें या पाक के नापाक इरादे, से पूरी दुनिया परेशान हो चुकी है. ऐसे में शांति की बात करने वाला भारत क्यों ही इस बैठक में पाकिस्तान के शामिल होने की बात करेगा. साथ ही पाकिस्तान को निमंत्रण देने के पीछे चीन की मंशा पर ये सवाल उठता है कि उसके मुंहबोले भाई पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इतनी हिली हुई है कि अब तो चाय भी केवल अमीरों को नसीब होती है, ऐसे में वो इस बैठक में क्या ही करता, सिवाय एक बार फिर कश्मीर राग अलापने के.

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