प्रशांत किशोर ने अंतत: वही स्वीकार कर लिया जो हम पहले से कह रहे थे

'कांग्रेस, हमें भी डूबो देगा...’ प्रशांत किशोर इस बार खुलकर बोले हैं!

प्रशांत किशोर कांग्रेस

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हम तो डूबेंगे सनम साथ में तुम्हें भी ले डूबेंगे के सिद्धांत को आत्मसात कर चुकी कांग्रेस ने तो अब पीके के दर्द को ऐसा उबाल दिया है कि अंततः पीके ने उसे उगलने में ही भलाई समझी। अपने राजनीतिक रणनीतिकार के करियर में  प्रशांत किशोर ने सबसे बड़ा काल कांग्रेस को बता दिया है।

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एक ग्रहण के रूप में कांग्रेस ने पीके के ग्राफ में दाग लगाया है, ऐसा पीके हाल ही में कहते देखे गए। बिहार के वैशाली में दिवंगत आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के आवास पर पत्रकारों के साथ प्रशांत किशोर ने बातचीत की। प्रशांत किशोर ने इस दौरान कहा कि वह कांग्रेस के साथ नहीं जुड़ेंगे क्योंकि कांग्रेस ने उनका रिकॉर्ड ख़राब कर दिया है। यह भविष्यवाणी TFI ने पहले ही कर दी थी। टीएफ़आई ने आपको पहले ही बताया था कि प्रशांत किशोर हारने वाले घोड़े पर पैसे नहीं लगाते हैं।

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दिवंगत आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के आवास पर मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि उन्होंने 10 चुनाव जीतने में विभिन्न पार्टियों की मदद की है लेकिन एक चुनाव ने उनके ऊपर ग्रहण लगा दिया। प्रशांत किशोर इस दौरान 2017 उत्तर-प्रदेश विधानसभा चुनाव की बात कर रहे थे। 2017 में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए रणनीतिकार का काम किया था, लेकिन पार्टी बुरी तरह से हार गई थी।

पीके ने कहा, “मैं 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से जुड़ा था, फिर 2015 में जद-यू, 2017 में पंजाब में अमरिंदर के साथ, आंध्र प्रदेश में 2019 में जगन मोहन रेड्डी के साथ, दिल्ली में 2020 में अरविंद केजरीवाल के साथ, और पश्चिम बंगाल में 2021 में टीएमसी से जुड़ा था और उसी वर्ष तमिलनाडु में एमके स्टालिन के साथ जुड़ा था। 2011 से 2021 तक, मैं 11 चुनावों से जुड़ा और 2017 में यूपी में कांग्रेस के अलावा और किसी में हार का सामना नहीं करना पड़ा। तब से मैंने फैसला किया है कि मैं उनके (कांग्रेस) साथ काम नहीं करूंगा क्योंकि उन्होंने मेरा ट्रैक रिकॉर्ड खराब कर दिया है।”

इसके साथ ही हंसते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, ’अभी की जो कांग्रेस की व्यवस्था है वो ऐसी है कि अपने तो सुधरेगा नहीं, हमको भी डूबो देगा।’ इसके साथ ही वो आगे बोले, ”वैसे कांग्रेस के प्रति मेरा बहुत सम्मान है, लेकिन मौजूदा हालत कांग्रेस की यही है। इसलिए  मैं फिर कभी कांग्रेस के साथ काम नहीं करूंगा।”

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ज्ञात हो कि जो बात पीके ने अब कही है या फिर स्वीकारी है वो बात टीएफ़आई ने अप्रैल माह में ही कह दी थी। कांग्रेस से बात बिगड़ने पर पीके ने अप्रैल माह में ट्वीट किया था जिसके जवाब में टीएफआई संस्थापक अतुल कुमार मिश्रा ने लिखा था, “पीके केवल जीतने वाले घोड़े पर ही दांव लगाते हैं और फिर पार्टी नेतृत्व और कैडर की जीत को अपने परिश्रम से प्राप्त की गई जीत दिखाने के लिए ओवरटाइम काम करते हैं।”

ऐसे में यह तो सिद्ध हो गया कि पीके अपने खेल को इतनी चतुरता से खेलते हैं कि मीठा-मीठा गप-गप और कड़वा-कड़वा, थू-थू। पार्टी और विचार की जीत को अपनी जीत करार देना कोई पीके से सीखे। पीके ने अब तक कांग्रेस को इसलिए नहीं कोसा क्योंकि कांग्रेस से बड़ी डील की उम्मीद थी, अब वो डील विलुप्त हो गई है। उसके बाद ‘कांग्रेस का सम्मान करता हूँ’ कहकर कोसना पीके की चतुर बुद्धि की उपज है, पर जैसा कि टीएफ़आई पहले कहता रहा वही अन्तोत्गत्वा पीके ने कह दिया।

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