न्याय देर सवेर ही सही पर जब मिलता है तो निखार लाता है। 2002 के गुजरात दंगों में आरोपित होने के बाद से तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को लगभग दो दशक के बाद आरोपमुक्त किया गया है। इस पूरे मामले में आज तक देश के पीएम नरेंद्र मोदी तो नहीं बोले पर कोर्ट के इस निर्णय के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने फैसले की सराहना की।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे इस पूरे मामले के दौरान पीएम मोदी की चुप्पी को न्याय के प्रति विश्वास के रूप में जताते हुए अमित शाह ने विपक्षियों को आड़े हाथों लिया। दरअसल, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीएम मोदी ने एक शब्द नहीं बोला, तो वहीं अमित शाह ने कोई शब्द नहीं छोड़ा।
#WATCH | A tall leader fought this 18-19-yr-long fight without saying a word&braving all pain like 'vishpaan' of Lord Shankar…I saw him suffering through this very closely. Only a strong-willed person could've taken stand to not say anything as case was sub-judice: HM Amit Shah pic.twitter.com/aATkeKbKhE
— ANI (@ANI) June 25, 2022
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अमित शाह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सराहा
दरसअल, 2002 के दंगों से संबंधित मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य व्यक्तियों को एसआईटी की क्लीन चिट पर सवाल उठाने वाली अपील को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज करने के बाद, गृहमंत्री अमित शाह ने फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि सच्चाई सामने आ गई है, ” सच सोने की तरह चमक रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी ने पिछले 19 वर्षों से बिना एक शब्द बोले दर्द सहा और “भगवान शिव का अनुसरण करते हुए उन्होंने विषपान कर लिया।” न्यूज़ एजेंसी ANI को दिए एक साक्षात्कार के दौरान, शाह ने यह भी कहा कि मोदी ने सभी राजनेताओं के लिए संविधान का पालन करने का सबसे अच्छा उदाहरण प्रदान किया है।
ज्ञात हो कि, सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और कई अन्य को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई क्लीन चिट को चुनौती देने वाली कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता में गुजरात दंगों के मामले में मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ अपील खारिज कर दी गई, जो कि पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी द्वारा दायर की गई थी, जो हिंसा में मारे गए थे। ज़किया ज़ाफ़री ने दंगों में “बड़ी साजिश” का आरोप लगाया था। पीठ ने कहा कि वह अपील को “अयोग्य” मानती है और इसमें कोई आधार नहीं है।
बात इतनी सी है कि, कोई झूठ को कितना भी सच बनाने का प्रयास कर ले पर झूठ का नैतिक स्वभाव वही बना रहता है। अब गुजरात 2002 दंगों की ही बात करें तो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर असंख्य आरोप मढ़े गए पर 20 साल बाद ही सही, उनपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद पाया गया और अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें क्लीनचिट मिलने के साथ ही उनके विरुद्ध डाली गयी याचिका को खारिज कर दिया गया। इस पर पीएम मोदी ने न तब कुछ बोला था और न अब कुछ बोला है। वहीं मामला विचाराधीन होने के कारण पीएम मोदी ने नैतिकता का पूरा सम्मान किया, उनके इस स्वभाव पर उनके गुजरात राजनीति के साथीदार और मित्र गुजरात के तत्कालीन और वर्तमान में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्षियों को खूब धोया।
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अमित शाह ने आगे और क्या कहा?
अमित शाह ने कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट ने पूरे आरोपों को ख़ारिज किया है और आरोप क्यों गढ़े गए इसके बारे में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने यह भी सिद्ध कर दिया कि सभी आरोप राजनीति से प्रेरित थे।” उन्होंने आगे कहा कि, “18-19 साल की लड़ाई, देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बिना बोले, सभी दुखों को भगवान शंकर की तरह विषपान करते हुए, सहन करता रहा आज जब सत्य सोने की तरह चमकता हुआ बाहर आया है तो आनंद ही होगा।” शाह ने पीएम मोदी के व्यक्तिगत अनुभव को बताते हुए कहा कि, “मैंने उन्हें करीब से उस दर्द और आरोप को झेलते हुए देखा है। सब कुछ सत्य होने के बाद भी, क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चालू थी, कुछ नहीं बोलेंगे इस स्टैंड को कोई मजबूत मन का व्यक्ति ही ले सकता है।” 2003 की परिस्थिति को बताते हुए शाह ने आगे कहा कि, “मैं जो इंटरव्यू आज दे रहा हूं, ऐसा इंटरव्यू मैं 2003 में भी गुजरात के गृह मंत्री रहते हुए दे सकता था, क्योंकि फैक्ट-फैक्ट थे। लेकिन संपूर्ण न्यायिक प्रक्रिया पूर्ण होने से पहले पीएम मोदी ने इसको प्रभावित करने के लिए कुछ भी नहीं कहा, चुपचाप सहन करते रहे।”
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इस पूरे परिदृश्य से यह प्रदर्शित होता है कि कैसे न्यायिक व्यवस्था का सुचारू रूप से पालन करने के लिए पीएम मोदी ने एक शब्द नहीं कहा, बल्कि विपक्ष ने दंगों का टैग तब-तब उपयोग किया गया जब-जब उन्होंने पीएम मोदी को निशाना बनाया। बावजूद इसके कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है, विपक्ष ने न्यायिक व्यवस्था की अवमानना की और अनन्य आरोप गढ़े। अब चूंकि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आया तो भी पीएम मोदी ने एक शब्द नहीं कहा, लेकिन अमित शाह ने कोई शब्द छोड़ा भी नहीं।
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