संसार में अपशब्दों का आविष्कार इसलिए नहीं हुआ था कि एक व्यक्ति को देख स्वयं ही अपशब्द निकलने लगे। जी हां बात यहां हो रही है रवीश कुमार पांडे की। अफवाह फैलाओगे, उपद्रव कराओगे और ट्रेन भी जलवाओगे, इन महाशय की कुंठा का कोई अंत है कि नहीं?
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे अग्निपथ स्कीम के नाम पर फैलाए गए उपद्रव के लिए रवीश कुमार हर दृष्टिकोण से दोषी हैं और कैसे ऐसे लोगों पर अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए।
भारत सरकार ने अग्निपथ योजना को लॉन्च किया है
हाल ही में भारतीय सैन्यबलों में युवाओं को आकर्षित करने हेतु भारत सरकार ने अग्निपथ योजना को लॉन्च किया है। नई योजना के तहत, लगभग 45,000 से 50,000 सैनिकों की सालाना भर्ती की जाएगी और अधिकांश केवल चार वर्षों में सेवा छोड़ देंगे। कुल वार्षिक भर्तियों में से केवल 25 प्रतिशत को ही स्थायी कमीशन के तहत अगले 15 वर्षों तक जारी रखने की अनुमति होगी। इस कदम से देश में 13 लाख से अधिक मजबूत सशस्त्र बलों के लिए स्थायी बल का स्तर काफी कम हो जाएगा। बदले में, यह रक्षा पेंशन बिल को भी काफी कम कर देगा, जो कई वर्षों से सरकारों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है। इससे न केवल सैन्य बलों की औसत आयु में कमी आएगी, अपितु देश को सशक्त और सुदृढ़ युवाओं की एक नई खेप भी मिलेगी।
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परंतु जो देश की प्रगति से संतुष्ट हों, वो वामपंथी कहां? तुरंत लग गए अग्निपथ योजना का अंधविरोध करने में, जिसमें सबसे अग्रणी निकले रवीश कुमार। अपने प्राइम टाइम में जनाब बातों ही बातों में कह दिए, “युवा नीति से नाराज़ हैं। राजनीति से नहीं। सेना से चार साल में निकाल दिए जाएंगे लेकिन धर्म से मरने के बाद भी कोई नहीं निकाला जा सकता। आप देखिएगा, शुरुआती विरोध के बाद युवा इसे बढ़चढ़ कर स्वीकार करेंगे” –
बस, इसके बाद क्या दिल्ली, क्या आरा, जहां संभव हुआ वहां कई उपद्रवियों ने उत्पात मचाना शुरू कर दिया। कहते हैं कि हम सेना के निजीकरण का विरोध करते हैं, परंतु जब पूछो कि क्यों विरोध करते हैं और तर्क क्या है, तो सबकी बत्ती गुल, क्योंकि इसका जवाब तो रवीश मियां ने दिया ही नहीं और देंगे भी क्यों, दुकान जो बंद हो जाएगी ना।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है
आपको क्या लगता है, ये इनका पहली बार का है? उपद्रव रवीश कुमार पाण्डेय के डीएनए में है, और इस देश का दुर्भाग्य है कि ये आज भी एक पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं और माने जाते हैं, जबकि जिस प्रकार से इस व्यक्ति ने उपद्रवियों और अपराधियों को सार्वजनिक तौर पर संरक्षित किया है, इन्हें तो वर्षों पहले कारागार के पीछे डाल देना चाहिए था। स्मरण कीजिए 2020 के उस समय को, जब पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों के प्रथम चित्र वायरल हो रहे थे। लेकिन एक समुदाय के तुष्टीकरण में ये व्यक्ति सभी साक्ष्य शाहरुख पठान के विपरीत होने के बाद भी उसे अनुराग मिश्रा सिद्ध करने पर तुले हुए थे।
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सच पूछें तो अग्निपथ योजना से जुड़ें भ्रम को दूर करने का दायित्व केवल सरकार का नहीं, हमारे और आपके जैसे नागरिकों का भी है, परंतु जिस प्रकार से रवीश कुमार दिन प्रतिदिन उपद्रवियों को बढ़ावा देते आए हैं, यदि इन्हें रोका नहीं गया तो एक दिन देश में ऐसी आग भड़केगी, जिसे बुझाते बुझाते आने वाले पीढ़ियों की कमर टूट जाएंगी और दोषी होंगे सिर्फ एक – रवीश कुमार।
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