‘सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी जैन समाज का अपमान है’, AAP नेता संजय सिंह के बयान से मचा बवाल

ऐसे विचार आपियों के ही हो सकते हैं!

संजय सिंह

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अपराधी का कोई धर्म कोई जाति नहीं होती, उसका अपराध ही उसका पूरा हाल ऐ बयां कर देता है। अब यदि किसी आरोपित को उसकी जाति कौनसी है उस आधार पर गिरफ्तार किया जाए, तो न जाने आज कितने लोग जेल की चक्की पीस रहे होते! अब आम आदमी पार्टी को ही देख लें तो पता चलता है कि उसके नेता अपने मंत्रियों के काले कारनामों को ढ़कने के लिए जाति कार्ड खेल रहे हैं। दिल्ली की आम आदमी सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन इन दिनों ईडी की हिरासत में हैं और भ्रष्टाचार के मामले झेल रहे हैं। इन आरोपों को प्रायोजित बताते हुए अब आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह इसे जातीय एंगल देने की कोशिश कर रहे हैं।

दरअसल, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आप नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि “भाजपा नेता और प्रवक्ता के बयानों और कृत्यों से ध्यान भटकाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आप नेता सत्येंद्र जैन के आवास पर छापेमारी की थी।” संजय सिंह ने आगे कहा कि “यह न केवल सत्येंद्र जैन का अपमान है बल्कि पूरे जैन समुदाय का अपमान है। सत्येंद्र जैन ने भारत का नाम रोशन किया है, इसलिए भाजपा उनका अपमान कर रही है।”

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ऐसे विचार आपियों के ही हो सकते हैं

वाह जी वाह, इतने बढ़िया विचार “आपियों” के ही हो सकते हैं, जिनके नेता कभी सीडी काण्ड में नाम रोशन करते पाए जाते हैं, जिनके विधायक बीवी पर कुत्ता छोड़ जाते हैं, कोई नकली डिग्री से नाम रोशन करते हैं तो कोई अपनी ही साली के साथ छेड़छाड़ कर जाता है, कोई बुजुर्ग महिलाओं से बदसुलूकी करते पाया जाता है तो कोई पैसों की उगाही कर नाम रोशन करते पाया जाता है। ऐसे में सत्येंद्र जैन का भ्रष्टाचार और वैसे आरोप भी नाम रोशन करने वाले ही होंगे!

ऐसे में ‘जैन’ समुदाय के अपमान वाला संजय सिंह का दावा उनकी नज़र में तो बिल्कुल सही ही होगा। अब उनके हिसाब से तो शायद विकास दुबे को एनकाउंटर में निपटाना ब्राह्मणों का अपमान था, मुन्ना बजरंगी को जेल पहुंचाना ठाकुर समाज का अपमान था, मुख्तार अंसारी की कुर्की मुस्लिम समुदाय का अपमान था। न जाने अबोध बालक वाली बुद्धि लिए संजय सिंह ने उस वक्त कौन सा पदार्थ खाकर प्रेस वार्ता की थी, जब उन्होंने सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी को पूरे जैन समाज से जोड़ दिया। निस्संदेह ऐसी सोच आम आदमी पार्टी के नेताओं की दोयम दर्ज़े की मानसिकता को दर्शाती है, क्योंकि ये आरोप से बचने के लिए धर्म का सहारा लेने और मूल्यों से समझौता करने से कम नहीं हैं।

संजय सिंह ऐसा खेल न खेलो भैया, हाथ जल जाएंगे!

ज्ञात हो कि बीते सोमवार को संजय सिंह ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की खिंचाई की और इसको ‘यातना’ कहा। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, “जैन से पांच दिनों तक पूछताछ की गई है लेकिन भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं मिला है। हाईकोर्ट ने पूछा तो ईडी ने कहा कि उनके खिलाफ कोई प्राथमिकी नहीं है, कोई शिकायत नहीं है। फिर वह अभी भी हिरासत में क्यों है?” उन्होंने कहा,  “जैन एक ईमानदार नेता होने की कीमत चुका रहे हैं जो दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। उन्होंने अपनी जनसेवा से पूरे विश्व में देश को गौरवान्वित किया है। पूरी दुनिया दिल्ली के स्वास्थ्य मॉडल की प्रशंसा कर रही है और इसका बहुत बड़ा श्रेय सत्येंद्र जैन को जाता है।”

संजय सिंह ने आगे कहा कि ईडी द्वारा पांच दिनों तक उनका अपमान करने और परेशान करने के बाद, वे उनके परिवार, पत्नी और बच्चों का अपमान करने और उन्हें परेशान करने के लिए उनके घर पहुंचे। उन्होंने कहा, “ईडी द्वारा जैन का उत्पीड़न पूरे जैन समुदाय का बहुत बड़ा अपमान है। सीबीआई, ईडी और आयकर अधिकारियों ने जैन के घर पर चार बार छापेमारी की, लेकिन उनके खिलाफ कोई सुराग नहीं मिला। इस बार भी पांच दिन की जांच के बाद भी ईडी के पास उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है।

संजय सिंह ने जैन समुदाय का सहारा लेने की आड़ में सत्येंद्र जैन की गिरफ़्तारी को गलत बताते हुए कहा कि “यह न केवल सत्येंद्र जैन का अपमान है बल्कि पूरे जैन समुदाय का अपमान है। समुदाय ने देश की प्रगति और विकास में योगदान दिया है। आज पूरा समाज जैन के उत्पीड़न से आक्रोशित है। देश भर में जैन समुदाय को लगता है कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।”

सत्य तो यह है धर्म की राजनीति का उलाहना देने वाली यह वो आम आदमी पार्टी है जो भाजपा को धर्म के आधार पर राजनीति करने वाली पार्टी कहती है। संजय सिंह ने तो सारी सीमा ही पार कर दी और सीधा ‘जैन’ समुदाय पर अत्याचार हो रहा है यह कह दिया। सारगर्भित बात यह है कि आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं के कुकृत्यों के घड़े भर चुके हैं और जब उनका पर्दाफाश हो रहा है तो वो बिलख-बिलख कर धर्म और जाति कार्ड खेलने की नाकामयाब कोशिश कर रहे हैं।

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