बिना सोचे समझे लिबरल करने लगे मोदी का अंधविरोध, पड़ गए लेने के देने

UAE के "बैन" पर नाच लिए लिबरलों? अब रो लो!

UAE गेहूं

हमारे वामपंथियों की हवा से लड़ने की एक बहुत ही खराब आदत है। जमीन फट जाए या आसमान निगल जाए लेकिन मजाल है कि ये लोग इस आदत से बाज आ जाएं। हाल ही में जैसे ही पता चला कि UAE ने भारत के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण एक्शन लिया है वैसे ही लिबरलों की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा लेकिन वास्तविकता तो कुछ और ही थी और जब वास्तविकता सामने आयी तो वामपंथियों का हाल बेहाल हो गया।

इस लेख में जानेंगे कि कैसे पीएम मोदी के अंधविरोध में वामपंथियों ने भारत को नीचा दिखाने का एक हास्यास्पद प्रयास किया और कैसे वही प्रयास उल्टा उन पर ही भारी पड़ गया।

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भारत से गेहूं का एक्सपोर्ट बैन करने का वास्तविक अर्थ क्या है?

इन दिनों नूपुर शर्मा का प्रकरण केवल भारत में ही नहीं अपितु मध्य एशिया में भी काफी चर्चा में है। हो भी क्यों न आखिर वामपंथियों और कट्टरपंथी मुसलमानों ने अपने आकाओं के जरिए भारत को अपमानित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर जो लगाया। ऐसे में एक ‘महत्वपूर्ण’ निर्णय में संयुक्त अरब अमीरात यानी UAE ने तय किया कि वह भारत से गेहूं का एक्सपोर्ट कुछ समय के लिए रद्द कर रहा है!

अब इस निर्णय के पीछे समीकरण क्या है और इस निर्णय के परिणाम क्या होंगे? इसको सोचे समझे बिना ही कई वामपंथी ऐसे प्रसन्न हो गए मानो इस प्रतिबंध में इनका कोई निजी लाभ हो रहा हो। बॉलीवुड अभिनेत्री ऋचा चड्डा बड़ी मुश्किल से अपनी प्रसन्नता छिपा पा रही थी, जब महोदया ने ट्वीट किया, “स्वागत है आपका घृणा के अंतरराष्ट्रीय असर पर” –

परंतु यह महोदया अकेली थोड़ी न थी, इनके जैसे और भी पढे लिखे गंवार उपस्थित थे सोशल मीडिया पर। एक यूजर पोस्ट करती हैं, “वहां पर बुलडोज़र कब भेजेंगे?” –

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UAE से जुड़े विश्लेषक ने क्या कहा?

लेकिन जल्द ही मूल कारण भी सामने आ गया है, जिसे NDTV ने जानबूझकर हिन्दी संस्करण में छुपाया, और जिसके कारण ऋचा चड्डा को बाद में अपना हास्यास्पद ट्वीट डिलीट भी करना पड़ा। UAE से जुड़े एक विश्लेषक हसन सजवानी ने ट्वीट किया,

“UAE के आर्थिक मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि अगले 4 माह के लिए भारतीय गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित किया गया है। इसका अर्थ ये है कि UAE में आने वाला भारतीय गेहूं UAE से पुनः कहीं और नहीं जाएगा, UAE में ही रहेगा। ये निर्णय व्यापारी समस्याओं और भारत एवं UAE के बीच प्रगाढ़ संबंधों के चलते लिया गया है” –

लो जी, मतलब खाया पीया कुछ नहीं, गिलास फोड़ा बारह आना। हालांकि लिबरलों की यह पहली करामात नहीं है बंधु। जब नूपुर शर्मा की टिप्पणी पर इन्होंने इस्लामिक देशों से ‘अंतरराष्ट्रीय समर्थन’ जुटाने का दावा किया था, वामपंथियों ने दावा किया था कि कतर, ओमान, कुवैत, ईरान जैसे देशों ने भारत के राजदूतों से जवाबदेही मांगी और भारत के उत्पादों का अब सार्वजनिक तौर पर बहिष्कार होगा। अब यह और बात है कि ओमान तो पतली गली से खिसक लिया, कतर समर्थित OIC को भारत ने ठेंगा दिखा दिया, ईरान के विदेश मंत्री स्वयं भारत यात्रा पर आए और इस विषय पर मुंह की खाए।

ऐसे में UAE ने जब भारत के विरुद्ध कथित तौर पर एक्शन लिया तो बिना सोचे समझे लिबरल भारत को नीचा दिखाने में जुट गए, परंतु उन्हें क्या पता था कि ये दांव उन्हीं पर भारी पड़ेगा।

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