NDTV की कुत्ते बिल्ली वाली लड़ाई अब सड़कों पर आई

NDTV नहीं इसे झगडा-TV कहो!

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‘NDTV अनोखी उत्पत्ति है’, कभी न कभी संसार को कुछ न कुछ देती ही रहती है। आतंकियों का समर्थन करना हो, प्रोपेगेंडावादी हो या फिर घोर जातिवादी, आप जो भी बोलिए, सब मिलेगा यहां! परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है, अब तो स्थिति ऐसी है कि यदि एनडीटीवी पर एक उंगली उठे, तो आप पर पचास उंगली नहीं उठेंगी, उल्टे NDTV के नए-नए कारनामें आपको पता चलेंगे। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे NDTV के कर्मचारी स्वयं आंख से आंख नहीं मिलाते, पर दावा तो ऐसे करेंगे, जैसे सत्य पर केवल इन्हीं का कॉपीराइट है।

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जानें क्या है पूरा मामला?

हाल ही में महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर एनडीटीवी के पत्रकार नदीम अहमद काजमी ने वही किया, जिसके लिए एनडीटीवी विश्व प्रसिद्ध है – ओछी टिप्पणी! उन्होंने शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के पूर्व व्यवसाय यानी ऑटो परिवहन पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, “तमीज़ होनी चाहिए, देख लेना, शिंदे पुनः ऑटो चालक बन जाएगा, मेरे शब्दों को भूलना मत!” काजमी का यह ट्वीट उनकी कुंठित मानसिकता को प्रदर्शित करता है, सोशल मीडिया पर लोगों ने इन्हें आड़े हाथों लिया और उन्हें जमकर ट्रोल किया। वरुण शर्मा नामक एक व्यक्ति ने तो एनडीटीवी के उच्चाधिकारियों को टैग करते हुए ट्वीट किया, “नदीम काज़मी एनडीटीवी के जर्नलिस्ट हैं। गर्व है आप पर सोनिया सिंह, निधि राज़दान और गार्गी रावत – क्या आचरण सिखाया है अपने मातहतों को आपने”

वरुण के प्रयास व्यर्थ नहीं गए। सोनिया सिंह ने इस ट्वीट को पर्सनली लेते हुए पल्ला झाड़ने का प्रयास किया और ट्वीट किया, “वे हमारे साथ 2017 से एनडीटीवी में नहीं हैं।” –

 

कथा यहीं खत्म हो जाए, तो फिर मजा कैसे आता। नदीम ने फिर ऐसी गुगली डाली कि सब हक्के बक्के रह गए। महोदय ने ट्वीट किया, “मामला कोर्ट के अधीन है मैडम और तो और एनडीटीवी पर कोर्ट में न आने के लिए 10,000 का जुर्माना भी लगा है। तनिक अपने अधिवक्ताओं से पता कर लीजिएगा। धन्यवाद”

अखिलेश शर्मा vs रवीश कुमार

आपको क्या प्रतीत होता है, ऐसा पहली बार हुआ है? वर्ष 2018 में पत्रकारिता की आवाज राजा रवीश कुमार ने फेसबुक पेज़ पर 11 अखबरों के फ्रंट पेज की फोटो शेयर करते हुए एक पोस्ट किया था। इस पोस्ट में वो कई बड़े अख़बारों में न्यूज सेंस पर सवाल खड़ा करते नजर आ रहे थे। कौन सी खबर कहां छपी… फ्रंट पर छपी तो लीड क्यों नहीं हैं…किसके बयान को हेडलाइन बनाया…वो हेडलाइन क्यों नहीं हैं…इतने कॉलम में ही क्यों छपी…इस तरह के सवाल रवीश कुमार ने अपनी पोस्ट में खड़े किये थे। उन्होंने अपनी पोस्ट में न्यूज चैनल्स को भी बुरा-भला कहा। उनके पोस्ट से यही प्रतीत होता दिख रहा था कि रवीश कुमार चाहते हैं कि सभी मीडिया हाउस अपनी खबरें प्रकाशित करने से पहले उनसे जांच करवाएं!

परंतु उनकी पोल किसी और ने नहीं, उन्हीं के चैनल के एक पत्रकार अखिलेश शर्मा ने खोल दी। रवीश कुमार की फेसबुक पोस्ट के बाद एनडीटीवी के पत्रकार अखिलेश शर्मा ने ट्वीट के माध्यम से बिना नाम लिए ही रवीश पर कटाक्ष किया। उन्होंने लिखा, “अब कुछ पत्रकारों पर ज़िम्मेदारी बढ़ गई है। उन्हें न सिर्फ़ अपना काम करना होता है, बल्कि ये भी देखना होता है कि दूसरे पत्रकार सही काम कर रहे हैं या नहीं। मसलन ख़बर छपी कि नहीं। छपी तो कहां छपी, कितने कॉलम में छपी, पहले पन्ने पर छपी तो लीड क्यों नहीं छपी? ठीक हेडलाइन क्यों नहीं लगी?”

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ऐसे में इतना तो स्पष्ट है कि NDTV की जूतम पैजार अब सार्वजनिक हो चली है। एक समय इस चैनल पर प्रश्न करना भी पाप माना जाता था, लेकिन अब इसके पत्रकारों की निजी लड़ाई तक सार्वजनिक हो चली है। जिस पर तो एक ही ख्याल आता है, एनडीटीवी न घर की रही, न घाट की।

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