‘क्या पाकिस्तान को दे देना चाहिए कश्मीर?’ संस्था पर ‘बाबुओं’ के प्रभाव को प्रदर्शित करते हैं ऐसे प्रश्न

दीमक की तरह हैं ये लोग, जो हमारे सिस्टम को खोखला कर रहे हैं!

MPPSC Question leak

Source- TFIPOST

इसमें कोई दो राय नहीं कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। परंतु आतंक परस्त पाकिस्तान की गंदी नजरें हमेशा ही कश्मीर पर पड़ी रहती है और कश्मीर में शांति भंग करने के लिए यह आतंकी देश आये दिन कुछ न कुछ हरकत करते रहता है। चलिए, पाकिस्तान तो दुश्मन है, उसकी कुंठा तो दिखेगी ही लेकिन सवाल तब उठता है जब भारत में ही कश्मीर को अलग करने, पाकिस्तान को सौंपे जाने जैसी बातें की जाती है। सवाल तब उठता है जब देश में रहने वाले कुछ कथित बुद्धिजीवी, देश के साथ खड़े होने के बजाय पीछे हट जाते हैं। सवाल तब उठता है जब शीर्ष स्तर वाली परीक्षाओं के प्रश्न पत्र में कश्मीर को पाकिस्तान के साथ दिखाने का प्रयास किया जाता है। दरअसल, हाल ही में मध्य प्रदेश में एक परीक्षा में कश्मीर को लेकर बड़ा ही विचित्र सवाल पूछा गया, जिसे लेकर बवाल मचा हुआ है।

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जानें क्या है पूरा मामला?

पूरा मामला मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की परीक्षा से जुड़ा है। रविवार, 19 जून 2022 को राज्य सेवा एवं वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन हुआ। इसी परीक्षा में कश्मीर को लेकर एक विवादित प्रश्न पूछा गया था कि “क्या भारत को कश्मीर पाकिस्तान को देने का फैसला करना चाहिए?” इस सवाल का उत्तर देने के लिए दो तर्क भी दिए गए थे, जो इस प्रकार थे – पहला, हां, इससे भारत का धन बचेगा। दूसरा, नहीं, ऐसे निर्णय से इसी तरह की और मांगें भी बढ़ जाएंगी। प्रश्न का जवाब देने के लिए चार विकल्प दिए गए थे।

जाहिर तौर पर MPPSC में पूछा गया यह प्रश्न बेहद ही आपत्तिजनक हैं। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर काफी आक्रोश देखने को मिला, जिसके बाद पूरे मामले पर कार्रवाई भी की गई। मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले में सख्त रवैया अपनाते हुए प्रश्न पत्र तैयार करने वाले लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई करने की बात कही है। वहीं, MPPSC ने पूरे मामले पर एक्शन लेते हुए पेपर सेट करने वाले दो विशेषज्ञों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। आयोग के मीडिया कोऑर्डिनेटर रवींद्र पंचबाई ने कहा, “मानदंडों के अनुसार विशेषज्ञों के नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता। परंतु दो विशेषज्ञों को आजीवन काली सूची में डाल दिया गया है। एमपीपीएससी ने अन्य आयोगों और उच्च शिक्षा विभाग को भी उन्हें ब्लैकलिस्ट करने के लिए लिखा है। इसके अलावा प्रश्न को काउंट भी नहीं किया जाएगा।”

मॉडरेशन के बाद भी कैसे पूछा गया यह प्रश्न?

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के प्रश्नपत्रों को तैयार करने का काम बेहद ही गोपनीय तरीके से होता है। प्रश्न पत्र तैयार किए जाने के बाद इनका मॉडरेशन भी होता है। जो प्रोफेसर प्रश्न पत्र का मॉडरेशन करते हैं, यह उनकी जिम्मेदारी होती है कि वो देखें कि प्रश्न पत्र में कोई गलत, सिलेबस के बाहर या फिर विवादित सवाल तो नहीं है। यही वजह है कि MPPSC की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं कि मॉडरेशन के बाद भी कश्मीर पर ऐसा विवादित प्रश्न कैसे पूछा गया।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी परीक्षा में इस तरह का आपत्तिजनक प्रश्न पूछा गया हो। अभी पिछले महीने ही शारदा यूनिवर्सिटी मिड टर्म एग्जामिनेशन में पॉलिटिकल साइंस के पेपर में भी विवादित सवाल किया गया था। प्रश्न था कि – ‘क्या आप फासीवादी/नाजीवादी और हिंदू दक्षिणपंथी के बीच कोई समानता पाते है?’ तर्कों के साथ विस्तृत करे।

इस तरह के प्रश्न देखकर यहीं सवाल मन में आता है कि आखिर इसके पीछे मंशा क्या होती है? ऐसे प्रश्न परीक्षा में पूछकर पेपर सेट करने वाले लोग किस तरह का एजेंडा चलाना चाहते हैं? यह देश के युवाओं और आने वाली पीढ़ी के दिमाग में आखिर जहर क्यों भरना चाहते हैं? ऐसे लोग दीमक की तरह हैं, जो हमारे सिस्टम को खोखला कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह युवाओं के मन में देश विरोधी बातें भरने के प्रयास में जुटे हैं। जरूरत है ऐसे मामले में सख्ती दिखाने की, जिससे आगे कोई भी इस तरह का कृत्य करने से पहले हजारों बार सोचे।

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