2,63,000 करोड़ के कर्ज तले दबा है पंजाब, मान सरकार का ‘श्वेत पत्र’ बहुत बड़े तूफान का संकेत है

AAP का 'फ्री मॉडल' पंजाब को डूबाने के लिए काफी है!

Bhagwant Mann and Punjab

Source- TFIPOST

पंजाब इस वक्त कर्ज के गहरे दलदल में फंसा हुआ है। पंजाब की आर्थिक हालत बेहद ही खराब होती चली जा रही है। शनिवार को भगवंत मान सरकार द्वारा राज्य की विधानसभा में पेश किए गए श्वेतपत्र में हाल ही में इसको लेकर बड़ा खुलासा हुआ। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा द्वारा पेश किए गए श्वेत पत्र के अनुसार पंजाब बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों का 3 लाख 13 हजार करोड़ रुपए का देनदार है। जिसमें 2 लाख 63 हजार करोड़ का कर्ज सीधे सरकार द्वारा लिया गया है, जबकि 50 हजार करोड़ का कर्ज सरकार के 25 बोर्ड कॉरपोरेशन ने लिया हुआ है।

पंजाब में कर्ज का संकट कितना गंभीर स्थिति में पहुंचा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कर्ज राज्य के कुल बजट का करीब दोगुना है। पंजाब का बजट पिछले साल एक लाख 68 हजार करोड़ रुपये का था। अब पंजाब का कर्ज तीन लाख करोड़ से अधिक हो चुका है। पंजाब पर यह कर्ज राज्य के कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 45.88 प्रतिशत है।

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पंजाब पर कर्ज

79 पन्नों के श्वेत पत्र में यह भी बताया गया है कि देश में सबसे अधिक कर्ज के संकेत पंजाब राज्य के ऊपर ही है। वर्ष 1980 में पंजाब पर 1,009 करोड़ रुपये का था। जो 30 सालों में 82 हजार करोड़ रुपये बढ़ गया। वर्ष 2011-12 में पंजाब 83,099 करोड़ रुपये का कर्जदार बन गया। अब 10 सालों के अंदर पंजाब पर कर्ज तीन गुना तेजी से बढ़ा है और वर्ष 2021-22 में पंजाब 2 लाख 63 हजार करोड़ से अधिक का कर्जदार हो गया है। पंजाब में एक वक्त ऐसा भी था, जब प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह राज्य पहले नंबर पर हुआ करता था। परंतु अब यह नीचे खिसककर 11वें स्थान पर आ गया है।

वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने श्वेत पत्र में प्रदेश की राजकोषीय गड़बड़ी के लिए पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराया। श्वेत पत्र में यह भी कहा गया कि पुराने कर्ज को चुकाने के लिए और अधिक कर्ज जमा किया जा रहा है। नए कर्ज के जरिए मकसद पंजाब के भविष्य को सुधारना था, परंतु यह संभव नहीं हो रहा है। श्वेत पत्र में कहा गया कि छठे वेतन आयोग के लागू होने के मद्देनजर पिछली सरकार 1 जनवरी 2016 से 30 जून 2021 तक संशोधित वेतन बकाया का भुगतान नहीं कर पाई। इस मद से ही अकेले बकाया देनदारी तकरीबन 13,759 करोड़ रुपये होने की संभावना है। श्वेत पत्र से स्पष्ट हो गया कि पंजाब इस वक्त कर्ज के बोझ तले बुरी तरह से दबा हुआ है। इसके कारण भगवंत मान सरकार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। परंतु यह श्वेत पत्र तो पंजाब के मुश्किल दौर की महज शुरुआत लगता है। आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में पंजाब का भविष्य अधिक अंधकार में नजर आ रहा है।

AAP का फ्री मॉडल पंजाब को डूबाने के लिए काफी है

दरअसल, आम आदमी पार्टी मुफ्तखोरी की राजनीति करती आ रही है। वह देश में मुफ्त सुविधाएं देने के चलन को आगे बढ़ा रही हैं। दिल्ली के बाद पंजाब की सत्ता पर भी काबिज होने के लिए AAP ने अपने फ्री-फ्री बांटने वाले मॉडल का इस्तेमाल किया। AAP इसमें सफल रही और पंजाब की सत्ता की चाबी उसके हाथों में आ गई। परंतु चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने जनता से जो वादे किए है, वो पूरे करेगी तो पंजाब का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी द्वारा सरकार सत्ता में आने पर मासिक 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का ऐलान किया गया था। मान सरकार द्वारा इस वादे को पूरा भी किया जा रहा है। एक जुलाई से पंजाब में 300 यूनिट प्रति माह फ्री बिजली दी जाएगी। इसके अलावा AAP द्वारा पंजाब में 18 साल से ऊपर की हर महिला को हर महीने एक हजार रुपये देने का भी वादा किया गया था। पंजाब सरकार अगर इन वादों को पूरा करती है तो उस पर हर साल 20 से 22 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है और इससे राज्य में आर्थिक व्यवस्था के चरमराने की संभावना पैदा हो सकती है। सरकार के सामने पहले ही पंजाब को आर्थिक संकट से निकालने की आवश्यकता है, अगर इस बीच मान सरकार जनता से किए गए अपने वादे पूरे करती है, तो वो अगले पांच सालों के अंदर पंजाब को बर्बाद करके रख देंगी।

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