इस बात की प्रबल संभावना है कि भाजपा जल्द ही उद्धव सरकार को गिरा देगी

महाराष्ट्र में जल्द ही 'खेला' होगा!

Uddhav

TFIPOST.in

अपने कर्मों से सरकार गिराने में यदि किसी का नाम लिया जाएगा तो वो होगी शिवसेना। बहुमत खो चुकी महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है और भाजपा को सरकार बनाने का मौका दे दिया है। ऐसे में बहुत जल्द ही महाविकास अघाड़ी अपना बहुमत खो देगी और फिर भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार महाराष्ट्र में बन जाएगी।

दरअसल, ठाकरे परिवार के विश्वासपात्र एकनाथ शिंदे बागी हो गए और साथ में 5 दर्जन से अधिक शिवसेना विधायकों और निर्दलीय विधायकों के साथ रिजॉर्ट पॉलिटिक्स की लकीर खींचते गए। मंगलवार रात तक गुजरात के सूरत में ठहरे लगभग 40 विधायक सुबह तक असम के होटल में पहुंच गए जहां भाजपा सांसद व विधायक उनका स्वागत कर उन्हें निर्धारित होटल तक लेकर गए।

शिंदे ने 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया था

वैसे तो एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया था पर आगे दावा किया कि अतिरिक्त 10 विधायक जल्द ही उनके साथ जुड़ जाएंगे। शिंदे ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपना मन साफ कर दिया है। शिंदे ने दावा किया है कि वह बाल ठाकरे के समर्थक बने रहेंगे और राजनीतिक लाभ के लिए अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करेंगे। रिपोर्टों से पता चलता है कि शिंदे ने भाजपा के साथ एक दशक पुराने गठबंधन को नवीनीकृत करने पर जोर दिया है।

देखा जाए तो महाराष्ट्र सरकार में विश्वसनीयता का संकट उस दिन से बना हुआ है जब से सीएम उद्धव ठाकरे ने धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ अपवित्र गठबंधन किया था। हालांकि, हाल ही में संपन्न हुए राज्यसभा और एमएलसी चुनावों ने ट्रिगर पॉइंट के रूप में काम किया और आईना दिखा दिया। हाल ही में संपन्न हुए राज्यसभा और एमएलसी दोनों चुनावों में क्रॉस-वोटिंग हावी रही।

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अब टूट निश्चित है इसके उपरांत यह विदित हो कि महाराष्ट्र में सीटों की कुल संख्या 288 है और किसी भी पार्टी/गठबंधन को बहुमत तक पहुंचने के लिए 145 सीटों की आवश्यकता है। विधानसभा में वर्तमान राजनीतिक स्थिति कुछ इस प्रकार है: भाजपा 106, शिवसेना 56, एनसीपी 53 और कांग्रेस 44, अन्य निर्दलीय छोटे दलों के साथ मिलकर 29 सीटों का समावेश होता है।

अब ऐसे में सबसे प्रबल संभावनाएं जो महाराष्ट्र की राजनीति में दिखायी दे रही हैं  उस पर ध्यान देना होगा। वैसे तो तीन स्थितियां साफ-साफ दिखायी देती हैं।

पहली संभावना

सबसे पहले, जिस बात की कम से कम या न के बराबर संभावना है, वो ये है कि एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे के निकटस्थ और शिवसेना में मजबूत पकड़ रखने वाले, चार बार के विधायक, उद्धव ठाकरे को हिंदुत्व की अपनी जड़ों से पुनः अवगत करा उन्हें साथ में सरकार बनाने के लिए मनाएंगे। हालांकि उद्धव ठाकरे जैसे भेदी को बीजेपी पुनः स्वीकार करे या नहीं यह पेचीदा मामला है।

दूसरी संभावना

दूसरी स्थिति शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत के बयान के मुताबिक पैदा हो सकती है। संकट के बीच, राउत ने आज सुबह ट्वीट किया कि, “महाराष्ट्र में राजनीतिक घटनाक्रम विधानसभा को भंग करने की ओर बढ़ रहे हैं।” उनके ट्वीट से साफ संकेत मिलता है कि उद्धव ठाकरे पार्टी में तख्तापलट के बीच विधानसभा भंग करने की ओर बढ़ सकते हैं और सत्ता छोड़ सकते हैं। यदि ऐसा होता है और राज्य में चुनाव होता है और भाजपा को बढ़त मिल जाती है  तो यह तय मानिए कि शिवसेना ‘हिंदुत्व’ वोट बैंक को खो चुकी होगी जिसे बालासाहेब ठाकरे ने अपने कट्टर हिंदुत्व के माध्यम से सींचा था।

तीसरी संभावना

तीसरी और प्रबल संभावना यह है कि एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उनका खेमा 40 विधायकों के समर्थन का दावा करता है। शिंदे द्वारा किए गए दावे के अनुसार संख्या बताती है कि अगर खेमा 37 से अधिक शिवसेना विधायकों को दूसरे पाले में ले आता है जो कुल मिलाकर दो तिहाई बनता है, तो विद्रोही विधायकों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित नहीं किया जाएगा। यही फैक्टर भाजपा को बहुमत हासिल करने और एमवीए सरकार को गिराने के लिए शिंदे गुट का इसमें विलय करवा सकती है।

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पूरे हालिया घटनाक्रम इस बात को प्रमाणित करने के लिए काफी हैं कि कैसे भाजपा MVA गठबंधन की जड़ें खोदने के लिए काफी हैं। अब सब आंकड़ों के अनुसार रहा तो निस्संदेह भाजपा सरकार बनाने में सफल होने के साथ ही विश्वासघात का बदला ले लेगी जो 2019 में चुनाव बाद शिवसेना ने किया था।

पूरे हालिया घटनाक्रम इस बात को प्रमाणित करने के लिए काफी हैं कि कैसे भाजपा MVA गठबंधन की जड़ें खोदने के लिए काफी हैं। अब सब आंकड़ों के अनुसार रहा तो निस्संदेह भाजपा सरकार बनाने में सफल होने के साथ ही विश्वासघात का बदला ले लेगी जो 2019 में चुनाव बाद शिवसेना ने किया था।

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