मेकअप करके ‘चिकने बनने’ की होड़ भारतीय पुरुषों को बर्बाद कर रही है

दाढ़ी सेट कर लो, मूंछे सेट कर लो, ये सेट कर लो, वो सेट कर लो, कॉस्मेटिक कंपनियां आपको लूट रही हैं!

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Source- TFIPOST.in

जब भी कभी सौंदर्य की बात होती है, तो महिलाओं की ही छवि हमारे दिमाग में आती हैं। एक समय ऐसे लगता था जैसे सौंदर्य पर केवल महिलाओं का ही अधिकार हो। पहले सजना-सवरना महिलाओं का ही काम समझा जाता था। हर महिला दिखने में सुंदर होनी चाहिए। यहां सुंदरता की परिभाषा गोरेपन से होती हैं। कोई लड़की अगर गोरी है तो वो सुंदर हैं। महिलाएं को सुंदर, गौरा और उनकी त्वचा निखाने के तमाम उत्पाद बाजार में उपलब्ध है और इनके नाम पर सौंदर्य प्रसाधन कंपनियों का कारोबार खूब फलता फूलता भी रहा है।

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महिलाओं से ज्यादा सुंदर दिखना चाहते है पुरुष

परंतु आज बदलते वक्त के साथ यह धारणा भी बदलने लगी है। सौंदर्य अब केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं रह गया। पुरुषों में भी सुंदर दिखने की चाहत बढ़ने लगी हैं। अब पुरुष सिर्फ माचो और बलवान ही नहीं दिखना चाहते, बल्कि उनमें स्मार्ट और सुंदर दिखने की भी होड़ मची हुई है। बाजार में आज पुरुषों के सौंदर्य से जुड़े उत्पादों की भरमार हैं। क्रीम से लेकर फेसवॉश, बालों के लिए जैल तक तमाम तरह के उत्पाद बाजार में पुरुषों के लिए उपलब्ध हैं। यही नहीं पुरुषों को अपने उत्पादों की ओर आकर्षित करने के लिए मशहूर हस्तियों से विज्ञापन कराए जा रहे हैं। बड़े फिल्मी सितारों को पुरुषों के सौंदर्य प्रसाधन कंपनियों द्वारा ब्रांड एंबेडसर बनाया जा रहा हैं।

उदाहरण के लिए आप दाढ़ी-मूंछ को ही ले लीजिए। आज किस तरह से पुरुषों में स्टाइलिश दाढ़ी रखने का चलन बढ़ गया है। दाढ़ी को तो पुरुषों की मर्दांनगी से जोड़कर देखा जाता रहा है। जिन पुरुषों की दाढ़ी-मूंछ हैं, वहीं असली मर्द हैं और जिन लोगों को दाढ़ी-मूंछ नहीं आती वे लोगों के बीच मजाक का पात्र बन जाते हैं। इसके साथ ही शेविंग जेल से लेकर इससे जुड़े तमाम उत्पाद आजकल पुरुषों के बीच काफी प्रचलित होते चले जा रहे हैं। एक समय ऐसा था जब पार्लर केवल महिलाओं के लिए ही होते थे। तब कोई पुरुषों के पार्लर के बारे में कल्पना भी कर सकता था? परंतु आज पुरुषों के लिए भी जगह-जगह पर पार्लर और सैलून खोले जा चुके हैं। जहां महिलाओं की ही तरह पुरुष भी घंटों बिताकर और तरह तरह के हेयरस्टाइल से लेकर फेशियल और थ्रेडिंग तक कराने लगे हैं।

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सुंदर दिखने की होड़

एक वक्त पर पुरुष सौंदर्य पर पैसे खर्च करने को फिजूलखर्च मानते थे। हालांकि आज देखा जाए तो सुंदर दिखने की होड़ में कहीं अधिक पैसे खर्च करते हैं। महिलाओं के मुकाबले पुरुषों ब्रांड के पीछे अधिक भागते हैं। कपड़ों हो, घड़ी या फिर जूते पुरुषों को ब्रांडेड चीजों पर अधिक भरोसा हैं और वो इसका इस्तेमाल ज्यादा करते नजर आते हैं। ऐसा नहीं है कि अब महिलाएं अपने इस मामले में पीछे हैं। परंतु पुरुषों में यह ट्रेंड बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। इसके साथ ही बढ़ रहे है भेदभाव के रंग भी। अब तक हम महिलाओं को सुंदर-बदसूरत, गोरे-सांवले के पैमाने पर तोलते आ रहे हैं।

परंतु अब पुरुषों में गोरेपन के साथ ही रंगभेद को भी बढ़ावा दिया जाने लगा है और इसका सबसे बड़ा कारण है, वो सौंदर्य प्रसाधन कंपनियां जिनका उद्देश्य केवल व्यापार करना, अपना उत्पाद बेचना और पैसा कमाना है। इसके लिए यह कंपनियां किसी भी तरह का हथकंडा अपनाने को तैयार हैं और इसके लिए यह रंगभेद को भी बढ़ावा देने से पीछे नहीं हटती। पहले यह कंपनियां अपने विज्ञापन द्वारा पुरुषों को परिभाषित करते हुए “टॉल, डार्क और हैडसंम” जैसी लाइनों का प्रयोग करती थीं। परंतु अब यह बदलकर “फेयर एंड हैडसंम” हो चुकी है। जिससे साफ है कि कैसे पुरुषों के साथ भी ठीक महिलाओं की ही तरह रंगभेद को बढ़ावा दिया जाने लगा है।

ऐसे में अब समय आ गया है जब इस तरह के सौंदर्य प्रसाधन को नकार देने का जो किसी भी तरह के भेदभाव और रंगभेद को बढ़ावा देती हैं। जो खूबसूरती के पैमाने को गोरेपन या सांवलेपन पर तोलते है तो समय आ गया है कि इन कंपनियों को यह बताने का जब खूबसूरती का कोई रंग नहीं होता और बाहरी खूबसूरती से कई ज्यादा मायने रखती हैं व्यक्ति के भीतर की खूबसूरती।

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