पश्चिम एशिया के देशों ने पिछले दिनों नूपुर शर्मा द्वारा इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद के बारे में दिए गए बयान को लेकर भारत की आलोचना शुरू कर दी। OIC ने भारत के विरुद्ध बयान जारी किया जबकि कतर, ईरान जैसे कुछ देशों ने भारत के राजदूत को तलब भी किया। हालांकि भारत सरकार ने नूपुर शर्मा के बयान से स्वयं को अलग कर दिया तथा इस मुद्दे पर अपना पक्ष भी स्पष्ट कर दिया है लेकिन जब से यह विवाद हुआ है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और खाड़ी देशों के आपसी संबंध एवं खाड़ी देशों की भारत के लिए आवश्यकता पर चर्चा हो रही है। भारत एक तेल आयातक देश है, खाड़ी देश तेल के सबसे बड़े निर्यातक हैं। भारत की तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था के लिए तेल सबसे आवश्यक अवयव है। भारत एक साल में 1.5 बिलियन बैरल क्रूड ऑयल आयात करता है। एक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारत ने तेल आयात का 52.7% पश्चिम एशिया से मंगवाया था। यह सत्य है कि पश्चिम एशिया हमारे लिए एक महत्वपूर्ण साथी है। लेकिन ऐसा नहीं है कि हम ही पश्चिम एशिया पर निर्भर हैं और ये देश भारत से आयात के मामले में स्वतंत्र हैं।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे अगर पश्चिम एशियाई देश भारत के साथ ‛आर्म ट्विस्टिंग’ नीति अपनाने का धूर्त प्रयास करते हैं यानी अगर ये देश भारत को तेल निर्यात पर प्रतिबंध का भय दिखाते हैं तो भारत भी इन्हें भूखों मारने की क्षमता रखता है।
भारत विश्व के सबसे बड़े खाद्यान्न उत्पादों के निर्यातक देशों में है। भारत आज विश्व को अनाज निर्यात करने वाले देशों की सूची में सबसे आवश्यक है क्योंकि यूक्रेन युद्ध ने रूस और यूक्रेन के निर्यातों पर प्रतिबंध लगा दिया है। पश्चिम एशिया के लिए भारत का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि भारत इस क्षेत्र में सबसे बड़ा खाद्यान्न निर्यातक है।
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खाद्यान्न निर्यात मिट्रिक टन में
खाद्यान्न निर्यात अगर मिट्रिक टन में देखें तो सऊदी अरब को 15,42,276.22 मिट्रिक टन, संयुक्त अरब अमीरात को 14,72,561.01 मिट्रिक टन, ओमान को 4,80,123.76 मिट्रिक टन, क़तर को 4,54,879.23 मिट्रिक टन, कुवैत को 3,25,214.12 मिट्रिक टन, बहरीन को 1,14, 255.69 मिट्रिक टन का होता है।
केवल इन 6 देशों को कुल खाद्यान्न निर्यात 43,89,310.10 मिट्रिक टन है। भारत का बासमती चावल का निर्यात बहरीन को 42, 927.70 मिट्रिक टन, कुवैत को 1,76,051.66 मिट्रिक टन, ओमान 99, 769.99 मिट्रिक टन, कतर को 1,10,850.91 मिट्रिक टन, सऊदी अरब को 10,35,026.00 मिट्रिक टन, UAE को 2,29,470.86 मिट्रिक टन है। भारत 1,86,105.06 मिट्रिक टन ताजा सब्जियां, 1,49,617.39 मिट्रिक टन ताजे फल, 3,72,587.15 मिट्रिक टन ताजे प्याज, 2,82,678.27 मिट्रिक टन गेहूं, 1,08,251.52 मिट्रिक टन मीट जिसमें भैंस और बकरी दोनों का मांस का निर्यात करता है। भारत 51,495 टन दाल, 50,325 टन मक्का निर्यात करता है।
अगर भारत ने ये निर्यात कम कर दिए तो अरब देशों के लोगों के प्रतिदिन के भोजन में आवश्यक प्रोटीन, विटामिन और फाइबर कम हो जाएंगे। भारत के भेजे चावल और मीट से अरब देशों में बिरयानी बनती है। हमारे भेजे फल, ड्राई फ्रूट जैसे काजू आदि अरब देशों के नागरिकों के लिए आवश्यक भोज्य पदार्थ हैं।
अभी पश्चिम एशिया में आयात होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पाद में भारतीय निर्यात की हिस्सेदारी 8.25% है लेकिन एक तथ्य यह भी है कि पश्चिम एशिया का खाद्यान्न आयात 2035 तक बढ़कर दोगुना होने वाला है। एक रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम एशिया के देशों का खाद्यान्न आयात 35 बिलियन डॉलर का है जो 2035 तक बढ़कर 70 बिलियन डॉलर हो जाएगा। जबकि इसी अवधि में भारत अपने तेल आयात को घटाने पर कार्य करेगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2035 तक भारत की ग्रीन एनर्जी, तेल आयात के स्तर को पार कर जाएगी। ग्रीन एनर्जी का उत्पादन क्षमता सात गुना बढ़ने वाला है। भारत सरकार ने हाल ही में अपनी राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन नीति को अधिसूचित किया है, जिसमें कम उत्सर्जन तकनीकों के माध्यम से उत्पादित हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की गई है। ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के निर्माताओं को 25 वर्षों के लिए अंतरराज्यीय संचरण शुल्क में छूट दी गई है। भारत के निजी उद्यमियों ने हाईड्रोजन फ्यूल के विकास पर निवेश शुरू कर दिया है।
ऐसे में यह भ्रम है कि खाड़ी देश जब चाहें भारत को अपने अनुरूप चला सकते हैं। आज भारत को यदि तेल निर्यात बन्द कर दिया जाए तो इसका असर अकेले भारत पर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा किसी भी बैन से सबसे सीधा असर तो तेल निर्यातक मुस्लिम देशों पर ही आएगा, क्योंकि भारत विश्व के सबसे बड़े तेल आयातकों में से एक है। भारत पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध पश्चिम एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था को भी बर्बाद करेगा। दूसरा यह कि भारत भी जवाब में खाद्यान्न निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकता है। शेख साहब चाहकर भी तेल पीकर तो नहीं जी सकते।
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भारत पर कोई भी प्रतिबंध लगाना होगी बड़ी भूल
यदि भारत पर कोई भी प्रतिबंध लगता है तो भारत को तेल आयात करने के लिए रूस जैसे देश हैं। भारत अफ्रीका और अमेरीका से तेल आयात कर सकता है। लेकिन भारत पर लगा कोई भी प्रतिबंध वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख देगा। प्रत्यक्ष उदाहरण है कि भारत रूस से तेल खरीदना शुरू कर चुका है। ऐसे में यूरोप में होने वाले रूसी ऊर्जा संसाधनों के निर्यात प्रभावित होंगे, जिससे वहां भी अस्थिरता आएगा। ऐसा कोई कदम पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को डांवाडोल कर सकता है।
ये तो है कि निश्चित रूप से भारत अपने संबंध पश्चिम एशियाई देशों से नहीं बिगाड़ना चाहता, क्योंकि ओमान और UAE जैसे मित्र राष्ट्र हमारी आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। जैसे हम उनकी आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। ओमान में भारत का नेवल बेस है, UAE के साथ हमारा मुक्त व्यापार समझौता है, सऊदी भारत के लिए एक बड़ा निवेशक है। ऐसे में यह मूर्खता होगी कि हम सहयोगियों से शत्रुवत व्यवहार करें। लेकिन यह भी सत्य है कि हम पश्चिमी एशियाई देशों पर निर्भर नहीं हैं।
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