कहते हैं तूफान में जो पेड़ जितना झुका रहेगा, उसके बचने की संभावना उतनी अधिक रहेगी और अन्य पेड़ तूफान के वेग में नष्ट हो जाएंगे। इस हिसाब से तो दिल्ली के पेड़ों का हिसाब बड़ा गंदा है, क्योंकि जब भी कोई तूफान आता है, दिल्ली के पेड़ों को उखड़ने में तनिक भी समय नहीं लगता। अब तो स्थिति ऐसी हो गई कि कोई हल्की फूंक मार दे तो दिल्ली के पेड़ पट से नीचे गिर जाए। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि आखिर क्यों दिल्ली के पेड़ किसी विपरीत परिस्थिति में इतनी जल्दी उखड़ जाते हैं और आखिर क्यों इस समस्या पर तत्काल प्रभाव से ध्यान देने की आवश्यकता है?
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दिल्ली में अब बारिश नहीं ‘तांडव’ होता है
मॉनसून और प्री मॉनसून शॉवर्स दिल्ली जैसे शहर के निवासियों के लिए तपती गर्मी से राहत के सूचक के समान होती है। परंतु विगत कुछ वर्षों से यही वर्षा उनके लिए काल समान बन चुकी है। यदि जीवन के लिए नहीं, तो संपत्ति के लिए तो अवश्य बन चुकी है। दिल्लीवासी अब प्रार्थना करने लगे हैं कि बरसात आए तो उनके जानमाल को विशेष नुकसान न हो। ऐसा क्यों? जब भी NCR में बारिश होती है, तो अब बारिश नहीं होती, ऐसा प्रतीत होता है मानो तांडव का Mini Exhibition हुआ हो। इसका सबसे प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलता है, जब एक नहीं, दो नहीं, अपितु भारी संख्या में पेड़ जड़ से उखड़ कर गिर जाते हैं।
अब आप भी सोच रहे होंगे, ये क्या स्यापा है? परंतु सत्य यही है। उदाहरण के लिए 30 मई 2022 को भीषण तूफान ने 30 मिनट में जैसे त्राहिमाम मचा दिया। एबीपी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, “राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश के साथ तेज हवाएं चलीं जिसके कारण कई जगहों पर पेड़ उखड़कर कर जमीन पर गिर पड़े। दिल्ली पुलिस ने जानकारी दी कि आंधी, तूफान के बाद राजधानी में 294 पेड़ उखड़ गए।”
दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने भी ट्वीट कर लिखा कि शाम की आंधी के बाद कई जगह उखड़े पेड़ और जगह-जगह जलजमाव होने से वह व्यथित हैं और उन्होंने कुछ घटनास्थलों का दौरा भी किया। इसके अतिरिक्त लोगों को होने वाली असुविधा को कम करने के लिए अधिकारियों को तत्काल मलबा हटाने और सड़कों को साफ करने के निर्देश दिए।
I share the concern of every resident of Delhi about the maintenance & upkeep of trees in the City & their related uprooting & breakage that happens in the event of a storm.We've taken the matter seriously & will address it at the earliest: Delhi LG Vinai Kumar Saxena
(File Pic) pic.twitter.com/SGwVaT7s68
— ANI (@ANI) May 31, 2022
जल्द उठाने होंगे व्यापक कदम
परंतु इस समस्या का मूल कारण क्या है? आखिर क्यों किसी भी तूफान के आने पर दिल्ली के पेड़ ताश के पत्तों की भांति बिखर जाते हैं? इसका मूल कारण स्पष्ट है – कंक्रीट। कोई माने या न माने, परंतु वृक्षों के आसपास जो भूमि है, वह कंक्रीट के जंगल बनाने के कारण सब की सब लगभग सीमेंट से पटी हुई है, जिसके कारण वृक्षों को आवश्यक ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और उन्हें घुटन होने लगती है। समझे बंधुओं?
Few days back many trees got uprooted in New Delhi and adjoining areas due to winds.
Over concretisation and lower water table weakens the roots of the trees present in Urban Areas, the govt. and the people need to work together to improve this deteriorating situation. pic.twitter.com/w3DeAoZZbr— Vivek Singh (मोदी का परिवार) (@vivek_9404) June 22, 2022
इसके अतिरिक्त जो वन मीटर के प्रावधान NGT द्वारा लागू किए गए है, वो सुनने में बहुत अच्छे हैं, परंतु उतने ही प्रैक्टिकल हैं, जितने दिल्ली जैसे क्षेत्रों में ताड़ के पेड़। भूले तो नहीं है वो वीडियो, जहां हमने बताया था कि कैसे ये पेड़ दिखने में बड़े सुंदर प्रतीत होते हैं, परंतु वास्तव में दिल्ली को खोखला कर रहे हैं? दिल्ली के पेड़ों की उखड़ने की कथा भी कुछ भिन्न नहीं है, और यदि हम चाहते हैं कि ये कथा दोहराई न जाए, तो हमें कुछ व्यापक कदम अवश्य उठाने होंगे, अन्यथा स्थिति ढाक के तीन पात समान रहेगी और दिल्ली में बर्बादी यूं ही जारी रहेगी।