विश्व व्यापार संगठन की 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक: भारत के हितों की रक्षा के लिए तैयार हैं पीयूष गोयल

दबाव बनाने वालों को ललकारने की हिम्मत रखता है भारत

विश्व व्यापार संगठन की 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक

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आज भारत दबाव बनाने वालों को ललकारने की हिम्मत रखता है, आज का भारत वैश्विक निकायों की नीतियों पर अविलंब असहमति भी व्यक्त करता है। ऐसा करने वाले भारत के वो केन्द्रीय मंत्री हैं जो रेल मंत्रालय जैसे बड़े मंत्रालय को संभाल चुके हैं। जो नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से लेकर देश के कपड़ा मंत्री, वाणिज्य और उद्योग मंत्री और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पद का सफलता से निर्वहन कर रहे हैं।

जी हां, बात हो रही है पीयूष गोयल की जो विश्व व्यापार संगठन (WTO) की मंत्रिस्तरीय बैठक में शामिल होने से पूर्व ही अपने रुख को स्पष्ट कर चुके हैं। जिनेवा में रविवार से शुरू हुई विश्व व्यापार संगठन की 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में जाने से पूर्व ही गोयल ने भारत के हितों की रक्षा के लिए तैयारी करते हुए अपने पक्ष को मजबूती से रखा है।

पीयूष गोयल अपना रुख कर चुके हैं स्पष्ट

दरअसल, जिनेवा में रविवार से शुरू हुई विश्व व्यापार संगठन की 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में जाने से पूर्व ही पीयूष गोयल ने अपने पक्ष को मजबूती से रख दिया। जी 33 की मंत्री स्तरीय बैठक में भाग लेने के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि “भारत दबाव में नहीं झुकेगा और यह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।” सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के मूलभूत सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए साझा हितों के विभिन्न मुद्दों पर भारत के रुख को पेश करते हुए गोयल ने कहा, “आज के ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर कोई दबाव नहीं डाल सकता। हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। हम दबाव में कोई फैसला नहीं लेते हैं।”

यह बात पीयूष गोयल ने तीन मुद्दों पर आधारित होते हुए कही। सम्मलेन शुरू होने से पूर्व ही गोयल ने मछली पकड़ने वाले मसौदे पर, कृषि से संबंधित मसौदे पर, और कोरोना रोधी टीकों के मसौदे पर आपत्ति और अस्वीकार्यता व्यक्त कर दी। यह तीनों विषय भारत और भारतीयों के लिए विरोधाभाषी थे जिसके कारण सरकार का प्रतिनिधि होने के नाते पीयूष गोयल पहले ही अपना पक्ष रखते हुए अपने जैसे और विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व कर गए, जिनके लिए विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा थोपी जा रही तीन नीतियां जमीनी स्तर पर नुकसानदेह थीं।

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तीन मसौदों पर गोयल ने अस्वीकार्यता व्यक्त की

बता दें जिन तीन मसौदों पर भारत की ओर से पीयूष गोयल ने अस्वीकार्यता व्यक्त की है उनमें पहला प्रमुख बिंदु है- मछली पकड़कर उनका व्यापार करने वालों के लिए बदले नियम। WTO द्वारा थोपी जा रही इस नीति में 20 सालों से अवैध, अनियमित मछली पकड़ने पर सब्सिडी को खत्म करने और स्थायी मछली पकड़ने को बढ़ावा देने का दबाव शामिल था। भारत इसका विरोध इसलिए करता है क्योंकि आज भी भारत में मत्स्य पालन और मछली पकड़ने वाले 14.5 मिलियन लोगों को रोजगार देने वाला यह एक प्रमुख उद्योग है। ऐसे में WTO के नीति-नियामक मानना इस एक तबके के पेट पर लात मारना ही होगा जो भारत सरकार बर्दाश्त नहीं कर सकती है। इसी कारणवश पीयूष गोयल ने इस मुद्दे पर अपना रुख अडिग रखते हुए WTO को पहले ही चेता दिया कि भारत विश्व व्यापार संगठन की 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में दबाव में नहीं आएगा।

अगला मसौदा है कृषि से संबंधित जिसके तहत, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गरीबों को दी जा रही सब्सिडी को कम करने का प्रावधान WTO ने प्रेषित किया हुआ है। यूं तो विश्व व्यापार संगठन के मौजूदा नियम सख्त हैं पर भारत सरकार की भी जवाबदेही अपने देश के प्रति पहले है। भारत हमेशा से WTO के इस अनुबंध के खिलाफ रहा है क्योंकि भारत में गरीब लोगों को कम दामों में अनाज उपलब्ध कराने के लिए सरकारी योजनाएं चलाई जाती है। ऐसे में भारत चाहता है कि खाद्य सब्सिडी गणना के फॉर्मूले में संशोधन किया जाए जो कि 30 वर्ष पुराने आंकड़ों पर आधारित है। WTO के इस कृषि मसौदे के खिलाफ भारत को 125 देशों में से 82 देशों का समर्थन भी हासिल है, ऐसे में उसकी स्थिति और मजबूत हो जाती है। परिणामस्वरूप पीयूष गोयल का तटस्थ रुख भारत के लिए लाभप्रद ही होगा।

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WTO को पहले ही पीयूष गोयल ने कर दिया आगाह

अगला मसौदा वर्तमान परिवेश में समय की मांग है। भारत का मानना है कि गरीब देशों को महामारी से निपटने में मदद करने और टीकों के व्यापक निर्माण के लिए पेटेंट नियमों को आसान बनाने की जरूरत है। बड़ी संख्या में विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश इस बात से सहमत हैं कि मध्यम और निम्न-आय वाले देशों में आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के साथ-साथ कोविड के टीकों और दवाओं के उत्पादन को बड़े पैमाने पर खोलने के लिए आईपीआर (Intellectual Property Right) छूट का विकल्प चुनने पर आम सहमति होनी चाहिए। यह वर्तमान परिवेश में सबसे बड़ी आवश्यकता है ऐसे में नैतिक आधार पर WTO को इस बात का संज्ञान लेना बेहद ज़रूरी है। पीयूष गोयल ने इस मुद्दे पर भी अपने रुख को दर्शाते हुए WTO को पहले ही आगाह कर दिया कि अब दबाव में लाने का प्रयास मत करना क्योंकि भारत बैठक में तो आ रहा है, पर दबाव में नहीं आने वाला।

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WTO के मसौदों पर बात करते हुए संगठन में भारत के दूत गजेंद्र नवनीत ने कहा कि ‘WTO सदस्य देशों द्वारा संचालित होता है, न कि कुर्सियों या किसी मसौदे द्वारा। संगठन को देखना होगा कि दुनिया की दो तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले 80 देश क्या कह रहे हैं।’ निश्चित रूप से सारी बात का सार यही है कि पीयूष गोयल के शब्द WTO के मसौदों को भेदने का काम कर रहे हैं ताकि वो अपने मसौदों वाली सोच को त्याग बहुमत के साथ न्याय करे। निस्संदेह, विश्व व्यापार संगठन की 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में पीयूष गोयल भारत के हितों की रक्षा के लिए ही पहुंचे हैं।

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