योग पूरी तरह से हिंदू है, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि छद्म धर्मनिरपेक्षतावादी आपको क्या कहते हैं

योग हिंदू धर्म द्वारा विश्व को दी गयी सबसे बड़ी देन है

आज के समय में योग का प्रचार-प्रसार पूरे विश्व में हो रहा है। दुनियाभर में आज लोग योग के प्रति जागरूक हैं और इससे जुड़ रहे हैं। योग शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मन को शांति पहुंचने का एक माध्यम है। योग को सनातन धर्म द्वारा विश्व को दी गई सबसे बड़ी देन है। वहीं भारतीय संस्कृति से योग हमेशा ही जुड़ा रहा। योग की उत्पत्ति हजारों वर्ष पूर्व हुई थीं। बताया जाता है कि भगवान शिव ने मानव जाति को ज्ञान देना शुरू किया था और इसके लिए उन्हें पहले आदि योगी या आदि गुरु भी माना जाता है। ज्ञान के विस्तार के लिए भगवान शिव ने 7 ऋषियों को चुना और उन्हें योग के अलग-अलग पहलुओं का ज्ञान दिया। और इस तरह से वही योग के 7 बुनियादी पहलू बन गए।

महर्षि पतंजलि को योग का पितामह कहते हैं

योग गुरुओं ने योग को पूरे विश्व से परिचित करवाया था।  महर्षि पतंजलि को योग का पितामह कहते हैं, उन्होंने ही योग को एक व्यवस्थित रूप दिया था। स्वामी विवेकानंद ने अपने प्रयासों से योग को पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय बनाया। सनातन धर्म के भगवत गीता जैसे ग्रंथों में भी योग के बारे में बताया गया है परंतु इसके बाद भी लोगों के द्वारा योग को धर्मनिरपेक्ष और गैरधार्मिक के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया जाता है। इन लोगों के द्वारा ‘योग का कोई धर्म नहीं ‘ जैसे बातें कही जा रही हैं।

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निश्चित रूप से योग हर किसी के लिए हैं, चाहे वो किसी भी धर्म, समुदाय से संबंधित लोग हों वो योग से जुड़कर इसके लाभ उठा सकते हैं। परंतु इस सत्य को स्वीकार करना आवश्यक है कि योग एक हिंदू परंपरा है और हिंदू धर्म के बिना योग अधूरा है।

योगासन में सूर्य नमस्कार सबसे प्रसिद्ध अभ्यासों में से एक है, सूर्य नमस्कार के बिना योग अभ्यास पूरा नहीं माना जाता। इसके कई शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं। सूर्य नमस्कार, वैदिक देवता सूर्य को नमस्कार करने का एक माध्यम है।

ओम का उच्चारण है अत्यंत प्रभावशाली

केवल कुछ आसन करने को ही योग नहीं कहा जा सकता। ये समझना होगा कि आप भले ही किसी भी धर्म से क्यों न हों अगर आप योग करते समय ओम मंत्र का जाप नहीं करते तो आपने सही मायने में योग का लाभ पाया ही नहीं। ओम केवल हिंदू धर्म से ही जुड़ा नहीं है बल्कि इसके उच्चारण से कई शारीरिक लाभ भी होते हैं। ओम का उच्चारण अत्यंत प्रभावशाली और चमत्कारिक लाभ पहुंचाने वाला माना गया है। ओम का उच्चारण करने पर शरीर में कंपन सा होता है, जिससे पूरे शरीर को लाभ पहुंचता है।

वैसे तो हर कोई अलग अलग तरह से योग करता है। आजकल योग एक फैशन की तरह बन गया है और लोग बड़े-बड़े स्टूडियो में जाकर योग करते हैं परंतु खुली हवा, प्रकृति के पास और शांत माहौल में योग करना सबसे अनुकूल माना जाता है। प्राचीन काल से साधु संतों प्राकृतिक वातावरण में योग करते आ रहे हैं। खुली जगह में योग करने के कई फायदे होते हैं। यह प्रकृति से हमें जोड़ता है और शरीर को भी कई लाभ पहुंचता है।

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हालांकि, कुछ धर्मनिरपेक्षतावादियों द्वारा योग को एक गैर-धार्मिक शारीरिक क्रिया के रूप में बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। परंतु इस सच को नकारा नहीं जा सकता है कि योग हिंदू धर्म से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है। भले ही योग को लेकर कितना भी झूठ फैलाने और भ्रमित करने का प्रयास क्यों ना किया जाए लेकिन यह हिंदू धर्म द्वारा विश्व को दी गयी एक सबसे बड़ी देन है जिसका महत्व अब लोगों को समझ आने लगा है।

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