योगी के ‘बुलडोज़र मॉडल’ को अब सुप्रीम कोर्ट का आशीर्वाद

यूपी में दंगाइयो पर चलता रहेगा बाबा का बुलडोज़र!

बुलडोज़र सुप्रीम कोर्ट

Source- TFIPPOST.in

बहुत देर कर दी मेहरबान आते आते पर देर आए दुरुस्त आए। दो बड़ी प्रचलित कहावतों का उल्लेख कर इस मिश्रित कहावत के निर्माण का इसलिए अवसर है क्योंकि शासन-प्रशासन को अब कानूनी रूप से बुलडोज़र कार्रवाई के लिए मान्यता मिल गई है। मिल गई है स्वीकार्यता जिसको अब तक कट्टरपंथी अवैध-अवैध कहकर उलाहना देते थे। अब इन सभी दावों को सुप्रीम कोर्ट ने धराशाई कर दिया है। बुलडोज़र की कार्रवाई उसी तरह जारी रहेगी जिस तरह चल रही थी। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हिंसा करने वालों के घरों पर बुलडोज़र चलाने की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से तीन दिन के अंदर जवाब मांगा है। इसके साथ ही अगले सप्ताह सुनवाई की बात कही है। हालांकि बुलडोज़र की कार्रवाई पर अंतरिम रोक का आदेश देने से इनकार कर दिया है।

और पढ़ें- असम सरकार ने थाने में आग लगाने वालों की अवैध बस्तियों पर चलाया बुलडोज़र

प्रयागराज और कानपुर दंगा 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज और कानपुर के अधिकारियों को दंगा-आरोपियों के घरों को “प्रतिशोध की भावना में किए जा रहे विध्वंस” के लिए बुलडोज़र के कथित अवैध उपयोग पर तीन दिनों में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को भी बताया कि अनधिकृत संरचनाओं को हटाते समय कानून की उचित प्रक्रिया का सख्ती से पालन करना आवश्यक है। मामले में सुनवाई अगले सप्ताह के लिए निर्धारित की गई है।

मुस्लिम निकाय जमीयत उलमा-ए-हिंद के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील सीयू सिंह और वकील नित्या रामकृष्णन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यूपी के मुख्यमंत्री ने बुलडोज़र का उपयोग करके जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। अधिकारियों ने कानून के तहत आवश्यक नोटिस दिए बिना दंगा-आरोपियों के घरों को ध्वस्त कर दिया। इस पर उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारियों द्वारा बयान दिए जा रहे हैं, और बाद में कथित दंगा आरोपियों को अपने घर खाली करने का अवसर दिए बिना बुलडोज़र चला विध्वंस किए जा रहे हैं।

और पढ़ें- मुल्ला, मौलाना और कथित बुद्धिजीवी मजे में, उनके भड़काए चेलों पर लाठियां और बुलडोज़र

दोनों पक्षों के हितों को सुरक्षित रखते हुए सुनवाई

चूंकि कोर्ट सबकी है तो न्यायाधीश को दोनों पक्षों के हितों को सुरक्षित रखते हुए सुनवाई करनी होती है। यही इस बात से साबित हो रहा है कि गुरुवार को सुनवाई के दौरान दोनों बिंदुओं को सुनते समझते हुए कोर्ट ने अपनी बात रखी। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि “नागरिकों के बीच यह भावना होनी चाहिए कि देश में कानून का शासन है।” इस बीच, सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था। उन्होंने दावा किया कि यह “न्यायिक प्रक्रिया का उपहास होगा यदि सर्वोच्च न्यायालय एक जनहित याचिका के आधार पर एक सर्वव्यापी निर्देश देता है, तो देश भर में कानून के शासन का पालन किया जाना चाहिए।” एसजी मेहता ने बताया कि किसी भी पीड़ित व्यक्ति ने शीर्ष अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया है। वे जानते थे कि कानून की उचित प्रक्रिया के बाद विध्वंस किया गया था। उन्होंने यह भी कहा, “पीड़ित व्यक्ति संपन्न हैं और अपने संपत्ति अधिकारों की रक्षा के लिए अदालत जा सकते हैं। उच्च न्यायालय राहत दे सकता है यदि उनकी संपत्ति कानूनी थी।” 

यह सभी बातें तो हुईं कानूनी पृष्ठभूमि की जहाँ सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोज़र की कार्रवाई को न्यायसंगत करार दिया और एक सतत प्रक्रिया के भीतर पूरी कार्रवाई को अंजाम देने के लिए कोर्ट ने सरकार को निर्देशित भी किया। अदालत ने जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार को इस मसले पर राय जाहिर करने के लिए वक्त दिया जाएगा। तब तक हम उन लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। वे लोग भी समाज का ही हिस्सा हैं। यदि किसी को कोई समस्या है तो उसे हक है कि उसका समाधान तलाशे। इस तरह से निर्माण को ढहाना कानून के तहत ही हो सकता है। इस केस की सुनवाई अब हम अगले सप्ताह करेंगे।

और पढ़ें- जुमे की नमाज के बाद कहर बरपाने ​​वाले ‘मुस्लिम दंगाइयों’ पर चला योगी सरकार का बुलडोज़र

सारगर्भित बात यही है कि कानून के अंदर कानूनी डंडा चलने से कई तत्व जमींदोज़ हो जाते हैं, इस पूरी प्रक्रिया में वो तत्व जमींदोज़ हुए जिनके इरादे न कल सही थे, न आज हैं और न ही आगे रहेंगे। यही लोग ईंट, पत्थर और बम का नंगा नाच कर राज्य में अशांति का वातावरण पैदा करते हैं, कानून की अवहेलना करते हैं और बाद में यही कानून के दुश्मन अपने हितों के संरक्षण के लिए कानून की मदद भी लेते हैं। बस इन्हीं तत्वों के लिए “बुलडोज़र मॉडल” आवश्यक है क्योंकि समाज को हिलाने का प्रयास यही कुछ तत्व करते हैं।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

 

Exit mobile version