उत्तर-प्रदेश का आजमगढ़ आज पूरे देश में ‘आतंकवाद की नर्सरी’ या फिर ‘आतंकवाद की फैक्ट्री’ के तौर पर जाना जाता है। आजमगढ़ की जैसे ही बात होती है लोगों के दिमाग में तुरंत आतंकवाद आ जाता है। आजमगढ़ की ऐसी छवि यूं ही नहीं बनी है। एक लंबे वक्त तक चली मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति और दबंगई की राजनीति ने इस छवि को गढ़ने में बड़ी भूमिका निभाई है।
एक वक्त था जब आजमगढ़ उत्तर-प्रदेश का गर्व हुआ करता था। महान लेखक और साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन की कर्मभूमि- हिंदी के बड़े लेखक अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की जन्मस्थली के तौर पर आजमगढ़ की पहचान होती थी लेकिन धीरे-धीरे आतंकवाद ने आजमगढ़ को अपने लपेटे में ऐसा लिया कि फिर कभी वो अपनी असल पहचान को पा ही नहीं पाया।
आजमगढ़ की छवि धीरे-धीरे आतंकगढ़ की बनने लगी। इसमें उत्प्रेरक का काम किया 2008 में दिल्ली में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर ने। बाटला हाउस एनकाउंटर में आजमगढ़ के 11 आतंकियों का नाम आया था।
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इसके साथ ही 2008 के अहमदाबाद सिलसिलेवार बम धमाके मामले में आजमगढ़ के 5 आतंकियों को मौत की सजा और एक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इन घटनाओं ने आजमगढ़ का नाम और ज्यादा बदनाम कर दिया। लेकिन अब उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ठाना है कि आजमगढ़ को ‘आतंक का गढ़’ की छवि से बाहर निकालना है। आजमगढ़ में उपचुनाव होने जा रहे हैं।
उपचुनाव को लेकर एक रैली को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, “समाजवादी पार्टी की सरकार ने आजमगढ़ को ‘आतंकवाद का अड्डा’ बना दिया था। बसपा भी इससे अलग नहीं हो सकी, लेकिन यह भाजपा की डबल इंजन सरकार थी, जिसने आजमगढ़ को विकास से जोड़ा। उन्होंने आगे कहा, “आजमगढ़ को आतंकवाद का अड्डा न बनने दें। मैं यहां आजमगढ़ को आर्यमगढ़ बनाने और इसे विकास से जोड़ने आया हूं।”
योगी आदित्यनाथ की इस बात से एक बात तो बिल्कुल साफ है कि सीएम योगी आदित्यनाथ आजमगढ़ का नाम बदलकर आर्यमगढ़ करने जा रहे हैं। इसके साथ ही आजमगढ़ की छवि को बदलने के लिए काम करने भी जा रहे हैं। आजमगढ़ को उसका खोया हुआ रुतबा- उसका पुराना गौरव- उसकी पुरानी प्रतिष्ठा दिलाने जा रहे हैं।
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आजमगढ़ में ही जन्मे प्रोफेसर परमानंद सिंह का कहना है कि आजमगढ़ की मिट्टी में क्रांति है, स्वाभिमान है और जुनून भी है, लेकिन आज यह राष्ट्रवाद के लिए ना होकर आतंकवाद के लिए हो गया है। प्रोफेसर परमानंद ने जिस बात को कहा है वो बहुत महत्वपूर्ण बात है- आजमगढ़ के युवाओं को राष्ट्रवाद की ओर मोढ़ना- आज़मगढ़ की छवि को बदलना- बहुत ज़रूरी है। इसी दिशा में योगी आदित्यनाथ सरकार काम करने जा रही है।
उत्तर-प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है। आजमगढ़ की सीट समाजपार्टी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के करहल से विधानसभा चुनाव लड़ने और जीतने के कारण खाली हुई थी- जबकि रामपुर की सीट आजम खां के विधानसभा चुनाव जीतने के कारण खाली हुई थी। अब दोनों सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है। आजमगढ़ में भाजपा ने दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ को टिकट दिया है तो वहीं रामपुर से घनश्याम लोधी को मैदान में उतारा है।
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