2023 में चीन से ज्यादा होगी भारत की आबादी और यह बहुत अच्छा है

दुनिया का सबसे जवान देश सबसे ताकतवर भी होगा!

Ind vs china

Source- TFI

हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. इसी दिन संयुक्त राष्ट्र की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई जिसमें यह अनुमान लगाया गया है कि अगले वर्ष भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से भी आगे निकल जायेगा. चीन जिसकी जनसंख्या इस समय करीब 1 अरब 44 करोड़ है, दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है. वहीं, 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 1 अरब 21 लाख से अधिक है. हालांकि, पिछले 10 वर्षों में देश की जनसंख्या में बढ़ोत्तरी को नकारा नहीं जा सकता. मौजूदा समय में देश की जनसंख्या 1 अरब 40 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है.

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वन चाइल्ड पॉलिशी- चीन के लिए अभिशाप

ध्यान देने वाली बात है कि स्वतंत्रता के बाद से भारत की जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ी है लेकिन फिर भी चीन से आबादी के मामले में भारत के आगे निकलने का सबसे बड़ा कारण है स्वयं चीन. कुछ समय पहले तक चीन की जनसंख्या बहुत ज़्यादा थी और यह इतनी अधिक थी कि हर किसी का पेट भर पाना तक संभव नहीं था. इसी समस्या का निवारण करने के लिए चीन सरकार ने बहुत ही सख्त कदम उठाया और वर्ष 1979 में ‘वन चाइल्ड पालिसी’ को लागू किया जिसके तहत लोग केवल एक ही बच्चे को जन्म दे सकते थे. जो भी इस क़ानून का पालन नहीं करता उसे कठोर दंड दिया जाता, उसपर भारी जुर्माना लगाया जाता और उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता. चीन की यह नीति काम भी आई और चीन की जनसंख्या जो पहले काफी तेजी से बढ़ रही थी अब वह काफी हद्द तक स्थिर हो गई.

लेकिन चीन को इसकी बहुत बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी. वन चाइल्ड पॉलिसी के कारण लोगों का ध्यान इस बात पर रहा कि उनके परिवार में केवल उनका वंश आगे बढ़ाने वाला एक बेटा ही हो. अगर बेटी जन्म लेती तो लोग उसे मार देते. इसका परिणाम यह हुआ कि आज चीन में कई लड़कों को शादी करने के लिए लड़की नहीं मिल रही है. चीन का दूसरा बड़ा नुक्सान यह हुआ कि आज चीन की जनसंख्या में बूढ़े लोग बढ़ रहे हैं जबकि युवा पीढ़ी के आंकड़ों में गिरावट आ रही है. जिसके बाद आखिरकार वर्ष 2016 में चीन ने इस नीति को ख़त्म कर दिया. हालांकि, तब तक काफी देर हो चुकी थी. यदि भारत और चीन के आयु वितरण चार्ट को देखा जाए तो चीन के मुकाबले भारत में 65 वर्ष के लोग केवल 6.5 फीसदी हैं जबकि चीन में यही संख्या 14.2 फीसदी है जो कि बहुत अधिक है. साथ ही भारत में 14 की आयु से कम उम्र के बच्चे 26.16 फीसदी हैं जबकि चीन में इनकी संख्या केवल 17. 5 फीसदी है.

इन आंकड़ों को यदि ध्यान से पढ़ा जाये तो इसके अनुसार चीन ने जितनी तरक्की करनी थी कर ली. अब चीन में विकास और वृद्धि संभव नहीं है क्योंकि एक देश का विकास उसके मानव संसाधन पर निर्भर करता है. लेकिन चीन ने अपने ही हाथों अपने मानव संसाधन को नष्ट कर दिया है.

भारत की तरक्की देखेगी दुनिया

भले ही भारत की जनसंख्या बढ़ रही है लेकिन यह जनसंख्या कैसी है और किस मार्ग पर आगे बढ़ रही है, इसी पर कल का भविष्य निर्भर करता है. केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 के बाद से कई ऐसी परियोजनाएं और नीतियां लागू की जो युवा पीढ़ी के लिए लाभकारी हो और आने वाली पीढ़ी को बेहतर भविष्य के लिए तैयार कर सके. सरकार द्वारा चलाई गई कई परियोजनाओं में से कुछ इस प्रकार हैं-

स्किल इंडिया मिशन- इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 2022 के अंत तक 40 करोड़ से अधिक युवाओं को बाजार-प्रासंगिक कौशल में पर्याप्त प्रशिक्षण प्रदान करना है ताकि देश के भीतर प्रतिभा के विकास के अवसर पैदा हों.

मेक इन इंडिया– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निवेश की सुविधा, नवाचार को बढ़ावा देने, कौशल विकास को बढ़ाने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और वर्ग निर्माण बुनियादी ढांचे में सर्वश्रेष्ठ निर्माण के लिए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान शुरू किया.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ- इस योजना का लक्ष्य लड़कियों को शिक्षा के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है. इस योजना को 100 करोड़ के शुरुआती वित्त पोषण के साथ शुरू किया गया था.

डिजिटल इंडिया मिशन- डिजिटल इंडिया एक सशक्त तकनीकी समाधान है जो वर्षों से बुनियादी ढांंचे के निर्माण में सहायक रहा है और आज यह स्टार्ट-अप, डिजिटल शिक्षा, निर्बाध बैंकिंग एवं भुगतान समाधान, एग्रीटेक, स्वास्थ्य तकनीक, स्मार्ट सिटीज़, शासन तथा खुदरा प्रबंधन जैसे अन्य उभरते क्षेत्रों के आधार के रूप में कार्य कर रहा है.

स्टार्ट-अप इंडिया- यह भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य स्टार्टअप संस्कृति को उत्प्रेरित करना और भारत में नवाचार और उद्यमिता के लिए एक मजबूत और समावेशी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है.

जनसंख्या को अभिशॉप से वरदान में बदल चुकी है मोदी सरकार

जहां एक ओर भारत अपने भविष्य को बेहतर बनाने में लगा है वहीं, दूसरी ओर चीन में हालात इतने खराब हैं कि चीन अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए तरबूज पर निर्भर हो गया है. इतना ही नहीं, चीन में हजारों नागरिकों के खाते फ्रीज हो गए हैं और लोग अपने पैसों को निकाल पाने में असमर्थ हैं. चीन अभी तक अपने देश में कोरोना स्थति को कंट्रोल में नहीं ला सका है और फिर से कई जगह पर लॉकडाउन लगे हुए महीने बीत गए हैं जिसका असर उनकी अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. खबरों की मानें तो लॉकडाउन के बीच में बैंकों से परेशान चीनी नागरिक विरोध प्रदर्शन पर बैठ गए हैं और उनके गुस्से का शिकार इस समय चीनी सरकार हो रही है.

इस समय चीन के बिगड़े हालात उसके द्वारा अतीत में लिए गए गलत फैसलों का परिणाम है. वहीं, दूसरी तरफ बढ़ती जनसंख्या जिसे कई देश अभिशाप मानते हैं उसे भारत सरकार ने अपनी कुशल नीतितों से एक वरदान में बदल दिया है.

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